श्रीलंका में 484 मेगावाट (MW) के विंड एनर्जी प्रोजेक्ट से अडानी समूह ने खुद को बाहर कर लिया है. यह फैसला तब आया जब श्रीलंका सरकार ने इस प्रोजेक्ट की शर्तों को दोबारा तय करने की बात कही. अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने 13 फरवरी, 2025 को श्रीलंका के बोर्ड ऑफ इन्वेस्टमेंट को सूचित किया कि कंपनी इस परियोजना से सम्मानपूर्वक वापस हट रही है. अडानी ग्रीन के अधिकारियों की श्रीलंका के सेयलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (CEB) और मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हाल ही में बातचीत हुई थी, जिसमें बताया गया कि सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए नई समितियां बनाकर इसकी शर्तों को फिर से तय करेगी.
अडानी ने 41 करोड़ खर्चने के बाद डील तोड़ दी, आखिर श्रीलंका सरकार ऐसा क्या करने वाली थी?
Adani Group की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने 13 फरवरी, 2025 को श्रीलंका के बोर्ड ऑफ इन्वेस्टमेंट को सूचित किया कि विंड एनर्जी प्रोजेक्ट से कंपनी सम्मानपूर्वक वापस हट रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने एक आधिकारिक पत्र में कहा,
"हम श्रीलंका की संप्रभुता और उसके निर्णयों का पूरा सम्मान करते हैं, इसलिए हमने इस परियोजना से पीछे हटने का फैसला किया है."
यह विंड एनर्जी प्रोजेक्ट पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के चुनाव के बाद से विवादों में था. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने इस प्रोजेक्ट को "भ्रष्ट" बताते हुए इसे रद्द करने का वादा किया था. इसके अलावा, प्रोजेक्ट का स्थानीय मछुआरा समुदाय और पर्यावरणविदों द्वारा भी विरोध किया गया था.
$1 बिलियन का निवेश हो सकता थाइस प्रोजेक्ट में अडानी समूह का लगभग $1 बिलियन (करीब 8,300 करोड़ रुपये) का निवेश प्रस्तावित था. अडानी ग्रीन ने परियोजना से पहले की गतिविधियों, भूमि अधिग्रहण और अन्य मंजूरी प्रक्रियाओं में करीब $5 मिलियन (करीब 41 करोड़ रुपये) खर्च किए थे. यह परियोजना बिल्ड-ओन-ऑपरेट (Build-Own-Operate) मॉडल के तहत मन्नार और पुनरीन में विकसित की जानी थी. हालांकि, अडानी समूह ने यह भी कहा कि अगर भविष्य में श्रीलंका सरकार उसे किसी अन्य विकास परियोजना में शामिल करना चाहे, तो वह तैयार रहेगा.
अडानी समूह वर्तमान में कोलंबो पोर्ट पर एक टर्मिनल परियोजना भी विकसित कर रहा है. हालांकि, दिसंबर में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड ने अमेरिकी इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) से $553 मिलियन के कर्ज की मांग वापस ले ली थी.
इससे पहले कल अमेरिका से अडानी समूह के लिए राहत भरी खबर आई थी. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने उस कानून पर ही अस्थाई रोक लगा दी है जिसके तहत अमेरिका में अडानी पर केस दर्ज हुआ था. नवंबर में अमेरिका की एक अदालत ने गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने भारत में सौर ऊर्जा परियोजना के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) जल्दी मंजूर करवाने के मकसद से $265 मिलियन (करीब 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी थी.
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