‘कांटा लगा गर्ल’ के नाम से फेमस एक्टर और मॉडल शेफ़ाली ज़रीवाला की 27 जून को मौत हो गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लड प्रेशर बहुत लो हो जाने की वजह से उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ. शेफाली वो 42 साल की थीं. ये ख़बर सुनकर उनके सब फैन्स अब तक शॉक में हैं. उनकी मौत की एग्जैक्ट वजह अभी तक पता नहीं चल सकी है. लेकिन, अब तक आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेफ़ाली एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट ले रही थीं. वो ख़ासतौर पर विटामिन-C और ग्लूटाथियोन का इस्तेमाल भी कर रही थीं.
क्या एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट से दिल का दौरा पड़ सकता है? शेफाली जरीवाला की मौत के बाद चर्चा
एक्टर और मॉडल शेफ़ाली ज़रीवाला की 27 जून को मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेफ़ाली एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट ले रही थीं. वो ख़ासतौर पर विटामिन-C और ग्लूटाथियोन का इस्तेमाल कर रही थीं.
.webp?width=360)
एक सोर्स ने NDTV को बताया, ‘शेफ़ाली पिछले 7-8 साल से लगातार एंटी-एजिंग दवाएं ले रही थीं. उनके घर में 27 जून को एक पूजा थी. शेफ़ाली ने पूरा दिन कुछ खाया नहीं था. इसके बावजूद, उन्होंने उस दिन दोपहर में एंटी-एजिंग दवा का इंजेक्शन लिया. ये दवाएं उन्हें सालों पहले एक डॉक्टर ने दी थीं. तब से हर महीने वो एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट लेती थीं. अब तक जो पुलिस इनवेस्टिगेशन हुई है, उससे पता चला है कि ये दवाएं कार्डियक अरेस्ट का बड़ा कारण हो सकती हैं.’
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पूरा दिन कुछ न खाने और इंजेक्शन लेने की वजह से शेफाली का बीपी बहुत तेज़ी से गिरा. वो बेहोश हुईं और फिर कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई.
हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद ही पूरा सच सामने आ पाएगा. मगर इस पूरी घटना में एक शब्द जो हम बार-बार सुन रहे हैं. वो है- एंटी एजिंग ट्रीटमेंट. क्या होता है ये? क्या एंटी एजिंग ट्रीटमेंट लेने से किसी की जान भी जा सकती है? डॉक्टर से समझते हैं.
एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट क्या होता है?
ये हमें बताया मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम में न्यूरोसाइंसेज़ डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉक्टर प्रवीण गुप्ता और के.ए.एस मेडिकल सेंटर एंड मेडस्पा के मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉक्टर अजय कश्यप ने.

उम्र बढ़ने के साथ शरीर के टिशूज़ धीरे-धीरे बूढ़े होने लगते हैं. शरीर के अंदर सूजन और ऑक्सीडेशन से होने वाले रिएक्शन टिशूज़ को नुकसान पहुंचाते हैं. ऑक्सीडेशन में शरीर के सेल्स, ऑक्सीजन के संपर्क में आकर केमिकल रिएक्शन पैदा करते हैं. इससे उम्र बढ़ी हुई नज़र आती है. हमारी स्किन, शरीर और मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है. कई लोग इस नुकसान को ठीक करके युवा दिखना चाहते हैं. इसके लिए वो कई सारे एंटीऑक्सीडेंट्स, स्किन रिपेयर और बॉडी टिशू रिपेयर ट्रीटमेंट (इलाज) लेते हैं. इन ट्रीटमेंट्स से उम्मीद की जाती है कि वो युवा लुक वापस लेकर आएंगे.
विटामिन-C और IV-ग्लूटाथियोन का क्या काम होता है?
एजिंग का एक बड़ा कारण ऑक्सीडेशन और ऑक्सीडेटिव नुकसान होता है. इसी वजह से एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे विटामिन-C और ग्लूटाथियोन का इस्तेमाल एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट में किया जाता है. ये दोनों शरीर को एंटीऑक्सीडेंट गुण देते हैं, जो फ्री रेडिकल्स (शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ें) से लड़ते हैं. इससे स्किन, बॉडी और टिशूज को बचाया जा सकता है. उम्मीद की जाती है कि इस तरह एजिंग यानी बुढ़ापे को धीमा किया जा सकता है.

क्या बोटॉक्स और IV-ग्लूटाथियोन से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है?
IV-ग्लूटाथियोन या बोटॉक्स अगर सही मात्रा में दिए जाएं, तो दिल पर कोई असर नहीं होता. अगर ग्लूटाथियोन बहुत ही ज़्यादा इस्तेमाल किया जाए, तब भी वो दिल पर नहीं, लिवर पर असर कर सकता है. मेडिकल सुपरविज़न में इनका उपयोग करने से मौत या हार्ट अटैक जैसी घटनाएं नहीं होतीं. IV-ग्लूटाथियोन का सीधा असर हार्ट पर नहीं होता. बोटॉक्स भी जितनी मात्रा में दिया जाता है, यहां तक कि अगर उससे 10 गुना ज़्यादा भी दिया जाए, तब भी हार्ट अटैक नहीं होता.
ज़्यादा विटामिन C, बोटॉक्स, IV-ग्लूटाथियोन लेने का रिस्क
अगर विटामिन C ज़्यादा मात्रा में लिया जाए, तो पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर निकल जाता है. बहुत ज़्यादा लेने पर पथरी बनने का ख़तरा हो सकता है. बाकी इससे कोई बड़ा नुकसान आमतौर पर नहीं होता.
ग्लूटाथियोन एक एंटीऑक्सीडेंट है, जिसे लोग अक्सर गोरा होने के लिए लेते हैं. ये कोई एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट नहीं है. उल्टा कई बार इससे उम्र जल्दी बढ़ने जैसे असर दिख सकते हैं, लेकिन गोरा होने का चांस भी होता है. कई बार इसके साइड इफेक्ट स्किन या लिवर पर हो सकते हैं. पर अगर डॉक्टर की निगरानी में लिया जाए तो ये अक्सर सेफ होता है. इसे कई बार पार्किंसंस जैसी बीमारियों में भी दिया जाता है. लेकिन ये गोरा होने का ट्रीटमेंट है, एंटी-एजिंग का नहीं. एंटी एजिंग में इसका कोई रोल नहीं है.

वहीं बोटॉक्स एंटी-रिंकल (झुर्रियां) ट्रीटमेंट है, एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट नहीं. यानी इससे झुर्रियां कम नज़र आती हैं. बोटॉक्स के इंजेक्शन दिए जाते हैं. इससे झुर्रियां कम हो जाती हैं, पर उम्र में कोई फर्क नहीं पड़ता. हालांकि देखने में आपकी उम्र कम लग सकती है. पर ये एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट नहीं है, बल्कि झुर्रियां कम करने के लिए है. बोटॉक्स सबसे आम कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट है. इसका असली नाम बोटुलाइनम टॉक्सिन है. आमतौर पर इसकी जितनी मात्रा दी जाती है, वो सेफ होती है. ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल करना नुकसानदेह होता है. जो मात्रा दी जाती है, वो इतनी कम होती है कि सिर्फ उसी जगह असर करती है, शरीर में नहीं फैलती.
बोटॉक्स चेहरे से झुर्रियों को हटाता है. इसका सबसे बड़ा रिस्क है कि ये पैरालाइज़िंग एजेंट है. ये स्किन के नीचे मौजूद मांसपेशियों को कमज़ोर करके, चेहरे के हाव-भाव खराब कर सकता है. मांसपेशियों को कमज़ोर कर सकता है. मुस्कान को टेढ़ा कर सकता है. आंखें भारी और सुस्त लग सकती हैं. इसी तरह, ग्लूटाथियोन का ओवरडोज़ भी कभी-कभी शरीर में ये रिएक्शन कर सकता है. इससे कभी-कभी ऑक्सीडेशन बढ़ सकता है, और कार्डियक एरिदमिया (दिल की धड़कन असामान्य होना) जैसी समस्या भी हो सकती है.
अगर कोई ऐसे ट्रीटमेंट लेता है, तो किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है?
अगर आप एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट ले रहे हैं और युवा लुक चाहते हैं, तो संतुलन बनाना बहुत ज़रूरी है. कौन-कौन सी दवाएं (ड्रग्स) ले रहे हैं, वो कैसे काम करती हैं, इसका ध्यान दें. साथ ही अपनी डाइट, एक्सरसाइज़, नींद और तनाव पर ध्यान दें ताकि शरीर की एजिंग खुद ही कम हो.
शेफ़ाली ज़रीवाला की मौत ने एंटी-एजिंग जैसे ट्रीटमेंट पर कई सवाल उठाएं हैं. उनकी मौत की असल वजह क्या है, ये पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद साफ़ होगा. लेकिन डॉक्टर्स की सलाह है कि कोई भी ऐसा ट्रीटमेंट, बिना मेडिकल सुपरविज़न के न लें. अगर ध्यान न दिया जाए तो ये ख़तरनाक हो सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वीडियो: सेहत: सिर्फ एक मिनट चलना इतना फायदा करा देगा!