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रात में सोते-सोते कैसे आ जाता है हार्ट अटैक? ये 3 दवाएं जान बचा लेंगी

कई बार तो लोगों को मौका ही नहीं मिलता. एक रोज़ आप आराम से सोते हैं और सुबह पता चलता है कि कोई शख्स, जिसे आप जानते थे, वो अब नहीं रहा. उसकी रात में सोते हुए मौत हो गई. वजह? हार्ट अटैक. ऐसे हार्ट अटैक में तो व्यक्ति को बचाने का भी समय नहीं मिलता. पर क्यों होता है ऐसा?

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कभी-कभी लोगों को सोते हुए हार्ट अटैक पड़ जाता है (फोटो: iStock)

कभी जिम में एक्सरसाइज़ करते हुए हार्ट अटैक आ गया, तो कभी डांस करते हुए दिल की धड़कनें रुक गईं. कभी यूं ही टहलते हुए हार्ट अटैक से जान चली गई, तो कभी स्कूल में फेयरवेल स्पीच देते वक्त मौत हो गई. आपने हार्ट अटैक से जुड़ी बहुत-सी ख़बरें सुनी होंगी. पढ़ी होंगी. ये वो मामले थे जो हमारी-आपकी आंखों के सामने घटे. मगर हर बार व्यक्ति आंखों के सामने हो. उसकी जान बचाने की कोशिशें आप कर पाएं, ऐसा ज़रूरी नहीं है.  

कई बार तो लोगों को मौका ही नहीं मिलता. एक रोज़ आप आराम से सोते हैं और सुबह पता चलता है कि कोई शख्स, जिसे आप जानते थे, वो अब नहीं रहा. उसकी रात में सोते हुए मौत हो गई. वजह? हार्ट अटैक. ऐसे हार्ट अटैक में तो व्यक्ति को बचाने का भी समय नहीं मिलता. पर क्यों होता है ऐसा? क्यों रात में अचानक हार्ट अटैक आ जाता है? क्या ये वाकई अचानक होता भी है या नहीं? चलिए समझते हैं.

रात में सोते हुए हार्ट अटैक क्यों पड़ता है?

ये हमें बताया डॉक्टर अमित भूषण शर्मा ने. 

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डॉ. अमित भूषण शर्मा, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड, कार्डियोलॉजी, पारस हेल्थ, गुरुग्राम

शरीर की अपनी बॉडी क्लॉक होती है, जिसे सर्केडियन रिदम कहते हैं. ये रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक स्ट्रेस हार्मोन रिलीज़ करती है. इसकी वजह से ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होता है. हार्ट रेट में भी उतार-चढ़ाव आता है, जिससे दिक्कत हो सकती है. 

दूसरा कारण ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नाम की बीमारी है. मोटापे की वजह से रात में सांस आने की रफ्तार कम हो जाती है. ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन लेवल घटता है और कार्बन डाईऑक्साइड बढ़ जाती है. इससे दिल की मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ता है. 

तीसरा कारण डायबिटीज़ है. अगर रात को खाना खाने के बाद शुगर लेवल बढ़ता है. तब ग्लूकोज़ दिल की धमनियों में जाकर जमा हो जाता है, क्योंकि रात को शरीर उसे बर्न नहीं कर पाता. इससे रात में हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है. 

चौथा कारण खून के थक्के बनना है. कुछ PAI-1 नाम के सेल्स रात के समय खून को गाढ़ा बनाते हैं. इससे खून का थक्का बनने का ख़तरा बढ़ता है. रात 12 से सुबह 5 बजे के बीच ये प्रक्रिया तेज़ होती है. जब ये सारी चीज़ें होती हैं, तो हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है. व्यक्ति को रात में हार्ट अटैक आ सकता है.

रात में हार्ट अटैक पड़ने से पहले क्या लक्षण दिखाई देते हैं?

नींद के बीच अचानक आंख खुलना और छाती में भारीपन महसूस होना. छाती, गले और दोनों बाज़ुओं पर एक-दो किलो वज़न रखा महसूस होना. पसीना आना. घबराहट और बेचैनी होना. रात में हार्ट अटैक आने से पहले ये लक्षण दिख सकते हैं. 

डायबिटीज़ के मरीज़ों, महिलाओं और बुज़ुर्गों में कई बार साइलेंट हार्ट अटैक होता है. इसमें छाती में दर्द या भारीपन नहीं होता, इसलिए लोग इसे पहचान नहीं पाते. लोगों को घबराहट, एसिडिटी या बदहज़मी जैसा लगता है. सांस लेने में तकलीफ होती है, जैसे हवा नहीं मिल रही. लेटे-लेटे अचानक सांस रुकने लगती है और उठकर बैठना पड़ता है. फिर कमरे की खिड़की खोलने पर थोड़ी राहत महसूस होती है. ये सारे चेतावनी वाले संकेत हो सकते हैं. खासकर अगर आप डायबिटिक हैं, हाई बीपी के मरीज़ है, महिला हैं या बुज़ुर्ग हैं. इसे मेडिकल भाषा में एंजाइना इक्विवैलेंट कहते हैं. ऐसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें, ये हार्ट अटैक का संकेत हो सकते हैं.

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ओवरवेट लोगों को रात में हार्ट अटैक आने का रिस्क ज़्यादा है 

किन्हें रात में हार्ट अटैक आने का रिस्क ज़्यादा होता है?

- जिन्हें मोटापा, खासकर पेट के आसपास फैट ज़्यादा है.

- जिनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में नहीं रहता.

- जिन्हें डायबिटीज़ है.

- जिनकी लिपिड प्रोफाइल ख़राब है यानी बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है.

- जिनके परिवार में लोगों को दिल की बीमारी रही हो.

- इन सभी फैक्टर्स से दिल की धमनियों में ब्लॉकेज बनता है.

- कई बार ये ब्लॉकेज अचानक फट जाता है और धमनी पूरी तरह बंद हो जाती है.

- इससे हार्ट अटैक और यहां तक कि जान का ख़तरा भी हो सकता है.

रात में हार्ट अटैक न पड़े, इसके लिए क्या करें?

आपकी पल्स 60-70 के बीच होनी चाहिए. ब्लड प्रेशर 120/80 होना चाहिए. फास्टिंग शुगर 100 से कम होनी चाहिए. चलने की क्षमता ठीक हो. अगर पहले 1 किलोमीटर आराम से चलते थे, अब 500 मीटर में ही सांस फूलने लगती है, तो इसका मतलब आपको कोई रिस्क फैक्टर है.

अगर आपको ठीक से नींद नहीं आती या नींद का पैटर्न बिगड़ा हुआ है, तो दिल पर बुरा असर पड़ता है. कई लोग रात की शिफ्ट में काम करते हैं और सुबह सोते हैं. ऐसे लोगों का सर्केडियन रिदम खराब हो जाता है, जिससे अचानक दिल का दौरा पड़ने का चांस बढ़ जाता है. 

ज़रूरत पड़ने पर एस्पिरिन (Aspirin) ले सकते हैं. 325 mg की एस्पिरिन चबाएं. अगर मरीज़ चबा न सके तो पानी में घोलकर चम्मच से दें. ये गोली 22% तक डेथ रेट कम कर सकती है.

दूसरी गोली क्लोपिडोग्रेल (Clopidogrel) है. 75 mg की 4 गोलियां पानी के साथ निगलें. ये तब लें जब बताए गए लक्षण दिखें. जैसे छाती में भारीपन, जो बताया न जा सके. अगर आप अपनी छाती का भारीपन बता पा रहे हैं, तो वो आमतौर पर गैस का होता है. हार्ट अटैक वाला भारीपन उंगली से बता नहीं पाएंगे. वो छाती के साथ-साथ गले और बाजुओं तक फैला होता है. अगर डायबिटीज़ के मरीज़ हैं, तो सिर्फ पसीना आएगा. घबराहट, बेचैनी, और एसिडिटी जैसा लगेगा, तो ये लक्षण भी हार्ट अटैक के हो सकते हैं.

तीसरी गोली रोसुवास्टेटिन (Rosuvastatin) है. ये 40 mg वाली एक गोली लेनी है. ये तीनों गोलियां मिलकर 44% तक डेथ रेट कम कर सकती हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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