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एलन मस्क की कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को क्या बताया जो हाई कोर्ट ने सुना दिया?

Karnataka High Court में Elon Musk की कंपनी X ने एक याचिका दायर की है. कंपनी ने IT एक्ट की एक धारा की वैधता पर सवाल उठाया है. इस दौरान कंपनी के वकील ने भारतीय अधिकारियों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया.

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कर्नाटक हाईकोर्ट एलन मस्क के एक्स की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. (File Photo/Reuters)

एलन मस्क की कंपनी एक्स और भारत सरकार के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बन गई है. कर्नाटक हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिकारियों को लेकर दिए गए बयान पर अदालत ने आपत्ति जताई है.

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दरअसल, हैदराबाद में एक महिला के रेलवे ट्रैक पर कार चलाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसके बाद रेल मंत्रालय ने एक्स को नोटिस भेजकर वीडियो हटाने का निर्देश दिया. इस पर एक्स ने मंत्रालय के नोटिस की वैधता को हाई कोर्ट में चुनौती दी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्स की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील केजी राघवन ने 26 जून को मिले नोटिस का हवाला देते हुए दलील दी,

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"क्या होगा अगर हर टॉम, डिक और हैरी अधिकारी मुझे नोटिस भेजे. देखिए इसका कैसे दुरुपयोग किया जा रहा है."

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस तरह का वीडियो पोस्ट करना गैरकानूनी कॉन्टेंट माना जा सकता है.

इस टिप्पणी पर भारत सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा,

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"मैं इस पर आपत्ति करता हूं, वे अधिकारी हैं, टॉम, डिक और हैरी नहीं. वे कानूनी अधिकारी हैं, जिन्हें कार्रवाई करने का अधिकार है. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को इस तरह का अहंकार नहीं रखना चाहिए."

उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में नियमों का पालन करना होगा, जैसा वे अन्य देशों में करती हैं.

जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने भी एक्स के वकील की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा,

"ये भारत संघ के अधिकारी हैं. मैं इस पर आपत्ति करता हूं. वे अधिकारी हैं, टॉम, डिक और हैरी नहीं."

बता दें कि Tom, Dick and Harry एक अंग्रेजी फ्रेज है जिसका मतलब मामूली आदमी होता. एक्स के वकील ने इसका इस्तेमाल करके ये कहने की कोशिश की है कि सरकार के ‘मामूली लोग’ भी ऑर्डर देने लगे हैं. हालांकि कोर्ट को उनकी ये दलील पसंद नहीं आई है.

एक्स ने अपनी याचिका में आईटी एक्ट की धारा 79(3)(b) की वैधता पर सवाल उठाया है. कंपनी का कहना है कि अधिकारियों को सीधे तौर पर कंटेंट ब्लॉक करने का अधिकार नहीं है. इसके लिए धारा 69A के तहत निर्धारित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए.

वीडियो: एयर इंडिया और बोइंग के खिलाफ UK कोर्ट में चल सकता है केस

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