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RRB NTPC के रिजल्ट में किन गड़बड़ियों पर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, खुद उनसे सुनिए

क्या एक ग्रेजुएट और एक 12वीं पास को एक एक जैसा पेपर देना जायज है?

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बिहार के आरा में छात्रों का प्रदर्शन. (ANI)
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26 जनवरी 2022 (Updated: 26 जनवरी 2022, 14:20 IST)
Updated: 26 जनवरी 2022 14:20 IST
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बीते दो दिनों में दो तस्वीरें घूम घूम कर सोशल मीडिया और खबरों में दिखाई दे रही हैं. पहली, बिहार में ट्रेन रोकते छात्र. और दूसरी तस्वीर कल शाम आई, जिसमें प्रयागराज में पुलिस हॉस्टल के कमरों के दरवाज़े बंदूक की बट से ठोक रहे हैं और उन्हें पीट रहे हैं. बीते दो दिनों से ट्विटर पर #Railway, #RRB_NTPC लगातार ट्रेंड कर रहा है. सोशल मीडिया पर ये हैशटैग ट्रेंड कराने वाले हैं वो छात्र हैं, जिन्होंने रेलवे भर्ती परीक्षा दी है. छात्रों के लगातार प्रदर्शन नतीजा आज ये हुआ कि कि सरकार ने रेलवे की NTPC LEVEL-2 और ग्रुप डी की परीक्षाओं पर फिलहाल रोक लगा दी है. साथ ही साथ एक कमेटी का भी गठन किया है.
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बिहार के आरा में छात्रों ने रेल रोकी. (फोटो: आजतक)
क्या है पूरा मामला? दरअसल, छात्र रेलवे की दो भर्तियों के संबंध में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पहली, NTPC लेवल-2 की परीक्षा और दूसरी ग्रुप डी की परीक्षा. यहां हम NTPC परीक्षा की बात करेंगे.
दरअसल, 28 फरवरी 2019 को रेलवे ने NTPC की 35,277 वैकेंसी जारी कीं. इन भर्तियों को 2 भागों में बांटा गया. पहले भाग में ग्रुप 2 और ग्रुप 3. दूसरे भाग में ग्रुप 4, ग्रुप 5 और ग्रुप 6. ग्रुप 2 और ग्रुप 3 की परीक्षा अंडर ग्रैजुएट छात्रों के लिए थी जिसमें जूनियर क्लर्क, अकाउंट क्लर्क, ट्रेन क्लर्क और टिकट क्लर्क जैसी वैकेंसी थीं. और ग्रुप 4 से ग्रुप 6 में भर्तियां ग्रैजुएट छात्रों के लिए थी जिसमें ट्रैफिक असिसटेंट, गुड्स गार्ड से लेकर कॉमर्शियल अप्रेंटिस और स्टेशन मास्टर जैसी वैकेंसी थीं. परीक्षा CBT यानी कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट से होनी थी.
गया में रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करते छात्र. फोटो-ANI
जहानाबाद में रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करते छात्र. फोटो-ANI

नोटिफिकेशन में परीक्षा की टेंटटिव तारीख जून से सितंबर 2019 के बीच में होनी थी, परीक्षा हुई दिसंबर 2019 से 2020 जुलाई के बीच. इस परीक्षा में करीब 1 करोड़ 40 लाख छात्रों ने फार्म भरा. 70 लाख छात्र परीक्षा के लिए उपयुक्त पाए गए. देश भर में अलग-अलग जोन्स में बांटकर 57 सीटिंग में परीक्षा हुई. 14-15 जनवरी को सभी जोन्स का रिजल्ट आया. सबसे आखिर में इलाहाबाद बोर्ड का रिजल्ट आया. 7 लाख 5 हजार 446 छात्र प्रिलिम्नरी परीक्षा में पास हुए.
नोटिफिकेशन में कहा गया था कि मेंस परीक्षा के लिए प्रिलिम्नरी परीक्षा में कुल वैकेंसी से 20 गुणा ज्यादा छात्रों को बुलाया जाएगा. ऐसा ही हुआ. लेकिन यहीं फंसा असली पेंच. ग्रुप 2 से ग्रुप 6 के लिए एक ही परीक्षा हुई. लेकिन उस एक ही परीक्षा में अलग अलग ग्रुप के लिए अलग-अलग कट ऑफ जारी की गई. हुआ कुछ यूं कि काफी सारे छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने ग्रुप 6 की कट ऑफ क्लियर की और ग्रुप 2 की भी. यानी एक ही छात्र ने दो या उससे ज्यादा ग्रुप के लिए क्वालिफाई किया. और ऐसा छात्रों की संख्या 3 लाख से ज्यादा है. और कुल मिलाकर करीब 3 लाख 84 हजार छात्रों ही असल में क्वालिफाई किया यानी करीब 11 गुणा ज्यादा. लेकिन इतने ही छात्रों ने क्योंकि अलग अलग ग्रुप्स की परीक्षाएं पास कीं, तो इनकी कुल संख्या को जोड़ कर 7 लाख 5 हजार 446 बताया गया. छात्रों का आंदोलन इसी बात को लेकर चल रहा है.
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बिहार के गया में प्रदर्शन करते छात्र. (ANI)

परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद से छात्रों में काफी गुस्सा है. छात्र अलग अलग जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा प्रदर्शन बिहार में देखा गया. बिहार में छात्रों ने कई जगहों पर रेल रोक दी. कुछ जगहों पर पटरी उखाड़ने जैसी घटनाएं भी सामने आईं.  बिहार के आरा में कुछ छात्रों ने कथित तौर पर आरा-सासाराम पैसेंजर ट्रेन में आग लगा दी. ऐसी ही खबर गया से भी आई है. देश के कुछ और इलाकों में भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. क्या कहते हैं छात्र? अलीगढ़ के मृदुल कहते हैं,
"जब SSC अलग अलग ग्रुप्स के लिए अलग अलग परीक्षाएं कराता है तो रेलवे एक ही परीक्षा में सारी भर्तियां क्यों कर रहा हैं. इस तरीके से भर्ती करने से सबसे ज्यादा नुकसान ग्रुप 2 और ग्रुप 3 यानी अंडर ग्रैजुएट वाली वैकेंसी के छात्रों को होगा. जो छात्र ग्रुप 6 के लिए क्वालिफाई है वो ग्रुप 2 के लिए भी हो गया. लेकिन मेन्स के बाद जो छात्र ग्रुप 4,5 और 6 में भर्ती होंगे उनका ग्रुप 2 और 3 से कोई लेना देना नहीं होगा. ऐसे में ग्रुप 2 और 3 के लिए काफी कम बच्चे अंत तक बचेंगे. और हजारों छात्र इस तरीके से भर्ती करने की वजह से मेन्स ही नहीं दे पाएंगे."
इसी परीक्षा में शामिल हुए राजन कहते हैं,
"वैसे तो नोटिफिकेशन में कहा गया था कि 20 गुणा ज्यादा छात्रों को मेन्स के लिए बुलाया जाएगा, लेकिन असल में ये संख्या आधी है. इस तरीके की भर्ती प्रक्रिया सिर्फ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है."
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इधर छात्रों के लगातार प्रदर्शन के बाद रेलवे मिनिस्ट्री ने आज नोटिफिकेशन जारी कर के परीक्षा को रद्द कर दिया है. सरकार ने एक इस पूरे मामले पर 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाई जो इस मामले की जांच करेगी. इस कमेटी में रेलवे बोर्ड के प्रिंसिपल एक्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर दीपक पीटर चेयरमैन हैं. सरकार ने कहा है कि छात्र 16 फरवरी 2022 तक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं. और 4 मार्च 2022 तक कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी.
सरकार के परीक्षा टालने से कुछ छात्र खुश नज़र आ रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनकी मांगे पूरी होंगी. इस मामले में पटना वाले खान सर ने भी मीडिया से बात की. उन्होंने कहा,
"RRB ने जो अभी परीक्षा रद्द करने का स्टेप लिया है वो अगर पहले लिया जाता तो इतना हंगामा नहीं होता. ऐसा नहीं है कि ये आंदोलन मैं करा रहा हूं. अगर मैं चुप हो जाऊं तो क्या ये आंदोलन खत्म हो जाएगा. एक टीचर या छात्र गलत हो सकता है देश के सारे टीचर और छात्र गलत नहीं हो सकते. हालांकि छात्रों ने जो भी हिंसा की है वो कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है. हमने छात्रों को हिंसा करने से रोका. 26 जनवरी को प्रदर्शन करने से मना किया था."
पटना के खान सर पहले भी इन मुद्दों पर छात्रों का समर्थन करते आए हैं. उन्होंने सवाल उठाया था कि ग्रेजुएट और सिर्फ 12वीं पास छात्रों को आखिर एक ही तरह का पेपर कैसे दिया दा सकता है.

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