दिल्ली दंगे. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उमर ख़ालिद, शरजील इमाम और फ़ैज़ान खान की गिरफ़्तारी की थी. अब एडिशनल सेशन्स जज अमिताभ रावत की अदालत में दिल्ली पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है. पुलिस ने आरोप लगाया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उमर और शरजील ने बड़ा षड्यंत्र रचा था.
बार एंड बेंच के मुताबिक़, इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने UAPA, आर्म्स एक्ट, PDPP एक्ट (यानी जनता की सम्पत्ति को नुक़सान पहुंचाने संबंधी अधिनियम) और IPC की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
इस मामले में उमर ख़ालिद और शरजील इमाम अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं, जबकि फ़ैज़ान खान को दिल्ली हाईकोर्ट से ज़मानत दी गई थी.
इस मामले में मुख्य चार्जशीट सितम्बर महीने में दाख़िल की गई थी. इसमें दिल्ली पुलिस ने पिंजरा तोड़ के सदस्यों, जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों, छात्र नेताओं, एक्टिविस्टों, AAP के पार्षद ताहिर हुसैन समेत कई लोगों पर आरोप लगाए थे.
पुलिस ने किस ‘सीक्रेट ऑफ़िस’ की बात की है?
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर की मानें तो दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि दंगे भड़काने के लिए उमर ख़ालिद ने चांदबाग़ के इलाक़े में एक ख़ुफ़िया ऑफ़िस में इस दंगे में शामिल षड्यंत्रकारियों और आरोपियों से मुलाक़ात की थी. ग़ौरतलब है कि चांदबाग़ ही वो इलाक़ा है, जहां बड़ी संख्या में दंगे हुए थे. और दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत भी चांदबाग़ इलाके में हुई थी.
इसी ख़बर के मुताबिक़, ये भी आरोप है कि संसद से नागरिकता संशोधन क़ानून पास होने के बाद उमर ख़ालिद ने देशभर में अपनी तरह के लोगों से गठजोड़ किया. वो शरजील इमाम की मदद से मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ़ जेएनयू (MSJ) नाम के संगठन के लिए निर्देश दे रहा था. ख़ालिद ने MSJ का उपयोग दिसंबर 2019 में दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने के लिए किया था, जिसके बाद शाहीन बाग़ का प्रदर्शन शुरू हुआ था. इसके बाद उमर ख़ालिद ने मौजूदा सरकार से नफ़रत करने वालों की मदद से वॉट्सऐप पर दिल्ली पुलिस सपोर्ट ग्रुप का गठन किया. पुलिस ने ये भी कहा है कि 23 और 24 फ़रवरी को दिल्ली में हुई हिंसा को उमर ख़ालिद ने दूर से नियंत्रित किया था.
पटना से कनेक्शन
इंडियन एक्सप्रेस में सूत्रों के हवाले से छापी गई ख़बर की मानें तो षड्यंत्र के मुताबिक़, जिस समय अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को भारत आना था, उसी समय यानी 23 फ़रवरी को उमर ख़ालिद दिल्ली से पटना रवाना हो गया, और वापिस 27 फ़रवरी को आया. पुलिस के मुताबिक़, एक इन्फ़ॉर्मर द्वारा क्राइम ब्रांच के नारकोटिक्स यूनिट के सब-इंस्पेक्टर अरविंद कुमार को दी गयी सूचना के आधार पर 6 मार्च को उमर ख़ालिद के खिलाफ़ FIR दर्ज की गयी थी. FIR के मुताबिक़, उमर ख़ालिद ने दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए थे. इन भाषणों में उमर ख़ालिद ने अपील की थी कि लोग घरों से बाहर आएं और अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान सड़कों को जाम कर दें. इससे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ये संदेश जाएगा कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए जा रहे हैं.
एसआई अरविंद कुमार ने FIR में आरोप लगाए हैं कि षड्यंत्र के फलस्वरूप करदमपुरी, जाफ़राबाद, चांदबाग़, गोकुलपुरी, शिव विहार और आसपास के इलाक़ों में छतों पर हथियार, पत्थर, पेट्रोल बम और तेज़ाब भरे बोतल रखे गए थे. चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने AAP के पार्षद ताहिर हुसैन पर ये भी आरोप लगाए हैं कि शाहीन बाग़ में ताहिर हुसैन, उमर ख़ालिद और ख़ालिद सैफ़ी की मुलाक़ात हुई थी, जिसके बाद ट्रम्प के दौरे के दौरान दिल्ली में दंगे भड़काने की प्लानिंग हुई थी.
इस मामले में फ़ैज़ान खान पर दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाए हैं कि फ़ैज़ान ने जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी को फ़र्ज़ी सिम कार्ड मुहैया कराया. दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपों में जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी (JCC) पर भी नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ़ प्रदर्शन करने के आरोप लगाए हैं. पुलिस के मुताबिक़, जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तनहा की मांग पर सिम कार्ड फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर चालू किया गया था.
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