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सरकारी नौकरी छोड़ी, अंग्रेजों को चित किया, अब जडेजा को रिप्लेस करेगा यूपी का ये खिलाड़ी

Saurabh Kumar का सेलेक्शन इंडियन क्रिकेट टीम के लिए हुआ है. वो इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया का हिस्सा हैं.

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सौरभ कुमार को हुआ टीम इंडिया में सेलेक्शन (फोटो: सोशल मीडिया)

तारीख 27 जनवरी 2024. अहमदाबाद में भारत और इंग्लैंड की टीम्स के बीच मैच खेला जा रहा था. अरे ठहरिए भाई. आप कंफ्यूज हों, उससे पहले बता दें कि ये एक अनऑफिशियल मैच था. इंडिया A और इंग्लैंड लायंस (India A vs England Lions) की टीम्स के बीच. मैच में इंडिया A की पकड़ बहुते मजबूत थी. लेकिन ओली रॉबिन्सन की अगुवाई में इंग्लैंड लायंस भी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थी. मैच में वापसी के लिए अंग्रेजों की टीम पुरजोर कोशिश कर रही थी. और इस कोशिश में टीम कुछ हद तक सफल होती नज़र आ रही थी. तभी बॉलिंग अटैक पर आता है एक बाएं हाथ का स्पिनर. आते ही वो गेंद को ऐसा घुमाता है कि इंग्लिश टीम के चारो खाने चित हो जाते हैं. वो ना सिर्फ अंग्रजों की मैच में वापसी की रही सही सारी उम्मीदों को खत्म कर देता है. बल्कि इनिंग में पांच प्लेयर्स को पवेलियन का रास्ता दिखाता है. बॉलर का नाम है सौरभ कुमार (Saurabh Kumar). 

वो कहते हैं ना कि 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है'. और ये बात 30 साल के सौरभ कुमार से बिल्कुल रिलेट करती है. जिनका सेलेक्शन इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के दूसरे मैच के लिए टीम इंडिया में हुआ है. दरअसल, चोट के कारण रविंद्र जडेजा और केएल राहुल इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं होंगे. उनकी जगह पर सरफराज खान और ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर के अलावा बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार को टीम में मौका दिया गया है. अब ये सौरभ कुमार हैं कौन? और अचानक से इनकी टीम इंडिया में एंट्री कैसे हुई? सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

कौन हैं सौरभ कुमार? 

उनके बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने ESPN Cricinfo की वेबसाइट खंगाली. जहां हमें पता चला कि सौरभ का जन्म 1 मई को यूपी के बागपत जिले में हुआ. वो बाएं हाथ से स्पिन बॉलिंग करने के साथ-साथ ठीक ठाक बैटिंग भी कर लेते हैं. उनके पास घरेलू क्रिकेट में अच्छा खासा अनुभव है. न्यूज एजेंसी PTI  के मुताबिक, उनके पिता का नाम रमेश चंद्र है. जो ऑल इंडिया रेडियो के आकाशवाणी भवन में एक जूनियर इंजीनियर थे. इस स्पिनर की फैमिली मूल रूप से मुजफ्फरनगर के बिटावदा गांव की रहने वाली है. हालांकि, साल 2005 में वो परिवार के साथ बागपत शिफ्ट हो गए थे. फिर कुछ दिन वो मेरठ में रहे और अब सौरभ परिवार समेत गाजियाबाद जिले के राजनगर एक्सटेंशन में रहते हैं. सौरभ के दो भाई और एक बहन भी हैं. 

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छोड़नी पड़ी सरकारी नौकरी

हालांकि, सौरभ के लिए क्रिकेटर बनना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा. सौरभ को खेल कोटे से इंडियन एयरफोर्स में नौकरी मिली हुई थी. ऐसे में सौरभ को एक बार अपना सपना और स्थाई नौकरी में से किसी एक चीज को चुनने की दुविधा का सामना करना पड़ा था. और सौरभ ने यहां क्रिकेट को तवज्जो दी.  
उन्होंने PTI को दिए इंटरव्यू में बताया,

''जीवन में एक पल ऐसा आता है, जब आपको कठिन निर्णय लेना होता है. सर्विसेज के लिए रणजी ट्रॉफी खेलना छोड़ना एक कठिन निर्णय था. मुझे इंडियन डिफेंस का हिस्सा बनना काफी पसंद था. मैं दिल्ली में पोस्टेड था. और मैंने एक साल (2014-15 सीज़न) के लिए रणजी ट्रॉफी में सर्विसेज के लिए खेला था. लेकिन मुझे अपनी काबिलियत पर भरोसा था कि मैं टीम इंडिया के लिए खेल सकता हूं. और इस वजह से मुझे ऐसा फैसला लेना पड़ा.''

इस दौरान सौरभ को परिवार का भी पूरा सपोर्ट मिला. इसके बारे में सौरभ बताते हैं,

''इंडियन एयरफोर्स की नौकरी छोड़ना मेरा व्यक्तिगत फैसला था. लेकिन मेरे माता-पिता का इस फैसले को लेकर पूरा सपोर्ट मिला. इससे मुझे अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत आत्मविश्वास मिला.''

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सौरभ ने टीम इंडिया के लिए खेलने के ड्रीम को पूरा करने लिए दीपदास गुप्ता की कोच रहीं सुनीता शर्मा से कोचिंग लेना शुरू किया. सौरभ के मुताबिक, वो प्रैक्टिस करने के लिए रोजाना 7 घंटे का सफर लोकल ट्रेन से किया करते थे. वो बागपत से दिल्ली ट्रेनिंग करने के लिए आते थे. उन्हें 2 बजे की प्रैक्टिस के लिए हर रोज सुबह 10 बजे घर से निकलना पड़ता था. इस दौरान दिल्ली में इंडियन क्रिकेट के दिग्गज बिशन सिंह बेदी समर कैंप लगाते थे. और सौरभ ने भी इसमें हिस्सा लिया. बाएं हाथ के स्पिनर की स्किल देख, बेदी साहब काफी प्रभावित हुए. इस बारे में सौरभ ने बताया,

''बेदी सर को मेरी गेंदबाजी काफी पसंद आई. उन्होंने मुझे गेंद की ग्रिप को लेकर छोटी-छोटी बारीकियों से परिचित कराया. उन्होंने मेरी बॉलिंग में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया. क्योंकि उन्हें मेरा एक्शन पसंद आया और मैंने जिस तरह से गेंदबाजी की, वो उन्हें काफी पसंद आया.''

सौरभ के प्रदर्शन से भारत के पूर्व बाएं हाथ के गेंदबाज और उत्तर प्रदेश के मौजूदा कोच सुनील जोशी भी काफी प्रभावित नजर आए. उन्होंने PTI से कहा, 

“सौरभ एक शानदार क्रिकेटर हैं. वो खेल और कंडीशन को अच्छे से समझते हैं. वह जानते हैं कि लाइन-लेंथ का बैलेंस कैसे बनाना है. उन्हें इन कंडीशन में और घरेलू क्रिकेट में चेतेश्वर पुजारा और मयंक अग्रवाल जैसे प्लेयर्स के खिलाफ गेंदबाजी करने का काफी अनुभव है. सौरभ ने अपनी बल्लेबाजी में भी सुधार किया है और वह लोअर ऑर्डर में बल्ले से भी योगदान दे सकते है.”

कैसा रहा है करियर?

सौरव के क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने साल 2014 में सर्विसेज की तरफ से अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया. ये मैच हिमाचल के खिलाफ था. एक साल तक सर्विसेज के साथ रहने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश की रणजी टीम से खेलना शुरू किया. उन्होंने पहले दो सीजन में 51 और 44 विकेट लेकर सबको काफी प्रभावित किया.सौरभ कुमार ने साल 2022 में इंडिया ए और न्यूजीलैंड ए के खिलाफ खेलते हुए 9 विकेट हासिल किए थे. 

उत्तर प्रदेश के लिए खेलने वाले बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार ने इंग्लैंड लॉयन्स के खिलाफ दमदार प्रदर्शन से सेलेक्टर्स को काफी प्रभावित किया. दूसरे अनऑफिशियल टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने कुल 5 विकेट झटक मैच में इंडिया ए को जीत दिलाई थी. 30 साल के इस स्पिनर ने 68 फर्स्ट क्लास मुकाबले खेलकर 290 विकेट हासिल किए हैं. जबकि करीब 27 की औसत से उन्होंने 2061 रन भी बनाए हैं.

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