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सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर जहर की खेती करने वाले ये 'ट्रेड' कौन हैं?

पुलिस के मुताबिक मुसलमान, दलित और औरतों से घृणा करते हैं 'ट्रेड' से जुड़े लोग.

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बाएं से दाएं. Sulli Deals मामले में गिरफ्तार किया गया ओंकारेश्वर ठाकुर और Bulli Bai मामले में गिरफ्तार किया गया नीरज बिश्नोई. (फोटो: ट्विटर)
'सुल्ली डील्स' और 'बुल्ली बाई' एप्लिकेशन के मामले में मुंबई पुलिस और दिल्ली पुलिस ने एक के बाद एक कई गिरफ्तारियां की हैं. सबसे पहले मुंबई पुलिस ने आरोपी विशाल कुमार झा, मयंक रावत और श्वेता सिंह को गिरफ्तार किया. फिर इस एप्लिकेशन के कथित मास्टरमाइंड नीरज बिश्नोई के बारे में पता लगाया. मुंबई पुलिस नीरज को गिरफ्तार करने ही जा रही थी कि दिल्ली पुलिस ने उसे 6 जनवरी को पहले ही गिरफ्तार कर लिया. दो दिन बाद यानी 8 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने एक और गिरफ्तारी की. उसने मध्य प्रदेश के इंदौर से ओंकारेश्वर ठाकुर को गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, ठाकुर सुल्ली डील्स का मास्टरमाइंड है.
इन दोनों मामलों में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनकी उम्र 18 साल से 25 साल के बीच है. पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि ये आरोपी ट्विटर, टेलीग्राम, रेडिट और डिस्कॉर्ड ग्रुप पर एक दूसरे से जुड़े हुए थे. आरोपियों ने पूछताछ में ये बात कबूली है. ओंकारेश्वर ठाकुर की गिरफ्तारी तो नीरज बिश्नोई की निशानदेही पर ही हुई. पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने यह भी कबूला है कि ये सब एक बड़े समूह का हिस्सा हैं, जिसे 'ट्रेड' नाम से जाना जाता है. इन मामलों की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस साइबर सेल के डीसीपी केपीएस मलहोत्रा ने बताया,
"हमने सुल्ली डील मामले में इंदौर के ओंकारेश्वर ठाकुर को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया है कि वो ट्विटर पर ट्रेड महासभा नाम के एक समूह में शामिल हुआ था, जिसका मकसद मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को बदनाम करना और उन्हें ट्रोल करना था."
पुलिस ने यह भी बताया कि ओंकारेश्वर BCA का स्टूडेंट है और सुल्ली डील्स एप्लिकेशन बनाने का आइडिया उसे ट्रेड महासभा से ही आया था. वहीं ट्रेड समूह का उद्देश्य केवल मुस्लिम समुदाय और उसकी महिलाओं का ही उत्पीड़न करना भर ही नहीं है, बल्कि मूल रूप से इस समूह से जुड़े लोग घोर जातिवादी, स्त्री विरोधी और कट्टरपंथी हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
"जिस समूह के बारे में आरोपी ओंकारेश्वर ठाकुर ने जानकारी दी, उसके बारे में हमने जानकारी जुटाई. इस समूह से जुड़े लोगों के विचार उत्पीड़न वाली मानसिकता के हैं. जातिप्रथा से लेकर महिलाओं के सशक्तिकरण तक, वे समाज में होने वाले परिवर्तनों की निंदा करते हैं और ज्यादातर धर्मग्रंथों में लिखी बातें शेयर करते हैं. आपत्तिजनक मीम्स डालते हैं."
क्या है ट्रेड? ट्रेड (Trad) शब्द, ट्रेडिशनलिस्ट (Traditionalist) से निकला है. हिंदी में इसका अर्थ है परंपरावादी. ट्रेडिशनलिस्ट शब्द का प्रयोग यूरोप और अमेरिका के धुर-दक्षिणपंथी खुद को परिभाषित करने के लिए करते आए हैं. वहां के धुर-दक्षिणपंथी, यहूदियों के नरसंहार को अंजाम देने वाले एडोल्फ हिटलर को अपना आइकॉन मानते हैं. साथ ही साथ 'श्वेत वर्चस्ववाद' में यकीन रखते हैं और अश्वेत समुदाय से आने वाले लोगों के साथ-साथ, लैटिन अमेरिकी, एशियाई और अफ्रीकी लोगों से घृणा करते हैं. इस्लामोफोबिया और यहूदियों के प्रति घृणा की अपनी पहचान को बहुत गर्व के साथ दिखाते हैं. महिलाओं के प्रति इनकी सोच भी बहुत कुंठित और संकरी है. मसलन, ये महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन से अधिक कुछ नहीं मानते.
इसी तरह भारत में ट्रेड समूह से जुड़े लोग खुद को हिंदू धर्म का परंपरावादी फॉलोवर कहते हैं. मुस्लिम समुदाय से आने वाले लोगों के प्रति घृणा तो इनकी पहचान है ही, साथ ही साथ ये दलित समुदाय के लोगों से भी घृणा करते हैं. इस समूह से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर इस तरह के कई आपत्तिजनक मीम डालते हैं. मसलन, किसी मीम में मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाले व्यक्ति को गाड़ी के नीचे कुचला हुआ दिखाया जाता है, तो किसी में मैला साफ करते हुए अपनी जान गंवा देने वाले दलित समाज के व्यक्ति के शव पर जनेऊ पहने मीम फ्रॉग को पेशाब करते हुए दिखाया जाता है. एक मीम में मुस्लिम समुदाय के लोगों को गैस चेंबर में दिखाया गया है, जहां जहरीली गैस से उन्हें मारने की तैयारी चल रही है. ये मीम इतने आपत्तिजनक और हिंसक हैं कि हम इन्हें यहां लगा नहीं सकते.
एक Trad अकाउंट का स्क्रीनशॉट.
एक Trad अकाउंट का स्क्रीनशॉट.

इस समूह से जुड़े रहे एक युवक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ट्रेड ग्रुप में ज्यादातर युवा ही जुड़े हैं और लगभग सभी ऊंची जातियों से आते हैं. युवक के मुताबिक, ये लोग ब्राह्मणों की श्रेष्ठता में विश्वास रखते हैं और देश के संविधान को मनुस्मृति से बदलना चाहते हैं. अंबेडकर से लेकर महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के प्रति ये घृणा से भरे हुए हैं. ये अंतरजातीय शादियों के विरोधी हैं. इनका मानना है कि ऐसा करने पर ब्राह्मणों का 'शुद्ध आर्य रक्त' दूषित हो जाएगा. हिटलर की तरह ही ये लोग नाजी विचारधारा के 'रक्त की शुद्धता' वाले सिद्धांत में विश्वास रखते हैं. इस संदर्भ में ये पूरी दुनिया में खौफ का पर्याय बनी नाजी विचारधारा के भारतीय संस्करण हैं. प्रधानमंत्री पर निशाना ट्रेड समूह से जुड़े लोगों के मानसिक दिवालियेपन का आलम ये है कि ये धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, बराबरी, आजादी और नारीवाद जैसे आधुनिक और एक प्रगतिशील समाज के प्रतीक विचारों को स्वीकार ही नहीं करते है. यही नहीं, खुद को दक्षिणपंथी बताने वाले ये लोग देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौलाना मोदी कहकर बुलाते हैं. खासकर तब, जब देश के प्रधानमंत्री संविधान को एक पवित्र पुस्तक बताते हैं, ईद और क्रिसमस के मौके पर मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोगों को बधाई देते हैं या फिर 'सबका साथ और सबका विकास' जैसा नारा लगाते हैं. इन लोगों को प्रधानमंत्री मोदी के ओबीसी समुदाय से आने से भी परेशानी है. यही नहीं, खुलेआम मुस्लिम समुदाय के नरसंहार का समर्थन करने वाले इन ट्रेड समूह के कट्टरपंथियों की नजर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्याप्त तौर पर मुस्लिम विरोधी नहीं हैं.
कुछ दिन पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्म संसद नाम का एक कार्यक्रम हुआ था. उस कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के नारे लगे थे. इसके कुछ दिन बाद रायपुर में भी एक ऐसा ही कार्यक्रम हुआ था. यहां भी मुस्लिम समुदाय के प्रति बेहद आपत्तिजनक बातें कही गई थीं. कार्यक्रम में शामिल कालीचरण ने ये बातें कही थीं. उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति भी अपशब्दों का प्रयोग किया था और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौलाना मोदी कहता एक ट्रेड अकाउंट.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौलाना मोदी कहता एक ट्रेड अकाउंट.

ट्रेड समूह के लोग नाथूराम गोडसे और गुजरात दंगो में मुस्लिम समुदाय के लोगों के नरसंहार के दोषी बाबू बजरंगी को अपना हीरो मानते हैं. ऐसे में इन लोगों ने हरिद्वार और रायपुर के कार्यक्रम में शामिल लोगों का भी समर्थन किया. हरिद्वार का कार्यक्रम तो यति नरसिंहानंद ने आयोजित कराया था. मुस्लिम समुदाय और महिलाओं के प्रति घृणास्पद बयानबाजी के लिए चर्चित यति नरिसिंहानंद इस ट्रेड समूह के चहेते हैं.
हाल ही में अलीगढ़ के एक कार्यक्रम में यति नरसिंहानंद ने कहा था कि हिंदू समुदाय की जो महिलाएं केवल एक बच्चा पैदा करती हैं, वो नागिन हैं. यति नरसिंहानंद का कहना था कि हिंदू समुदाय की महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए. इसी तरह इस ट्रेड समूह के लोग भी मानते हैं कि हिंदू समुदाय की महिलाओं को केवल बच्चे पैदा करने की मशीन बनकर ही रहना चाहिए. इस समूह के लोग बार-बार एक पोस्टर डालते हैं, जिसमें महिलाओं से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कहा जाता है. ये पोस्टर और कुछ नहीं, बल्कि हिटलर की नाजी पार्टी का प्रोपेगैंडा पोस्टर है. ट्रेड समूह के लोग इसमें फेर बदल करके इसे हिंदुत्व के पोस्टर के तौर पर प्रदर्शित करते हैं. ये पोस्टर भी बताता है कि ये विनाशकारी नाजी विचारधारा के भारतीय संस्करण हैं.
महिलाओं को अधिक बच्चे पैदा करने की हिदायत देते हुए Trads द्वारा पोस्ट किया जाना वाला पोस्टर, जो नाजी विचारधारा पर आधारित है.
महिलाओं को अधिक बच्चे पैदा करने की हिदायत देते हुए Trads द्वारा पोस्ट किया जाना वाला पोस्टर, जो नाजी विचारधारा पर आधारित है.

अपनी पिछड़ी हुई और कट्टरपंथी सोच के चलते ये लोग सती प्रथा का महिमामंडन करते हैं. खुले में शौच को जरूरी बताते हैं. इनके सोशल मीडिया अकाउंट में एनीमे कैरेक्टर से लेकर दक्षिणपंथ के प्रतीक बन चुके पेपे फ्रॉग के साथ-साथ 'एंग्री हनुमान, राम और परशुराम' के फोटो होते हैं. अक्सर ये अकाउंट अपने ही जैसे अकाउंट की पोस्ट को आगे बढ़ाते रहते हैं. ट्रेड बनाम रायता खुद को दक्षिणपंथी और परंपरावादी बताने वाले ट्रेड समूह के ये लोग दूसरे दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों को भी निशाने पर लेते हैं. इनकी नजर में ऐसे लोग पर्याप्त हिंदूवादी और दक्षिणपंथी नहीं हैं. ऐसे लोगों को ये अपनी भाषा में 'रायता' कहते हैं. रायता शब्द 'राइट विंग' और हिंदी के एक आपत्तिजनक शब्द को मिलाकर बनाया गया है. साथ ही साथ इसे 'रायता फैलाने' के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है चीजों को खराब कर देना. ट्रेड समूह की नजर में रायता समूह के लोग अवसरवादी हैं और केवल अपने राजनीतिक हितों के लिए हिंदूवादी होने का नाटक करते हैं.
बीते दिनों इन दोनों समूहों के लोग एक दूसरे के प्रति हमलावर रहे हैं. 'रायता' अर्थात कथित तौर पर उदार दक्षिणपंथी समूह के लोग भी इन ट्रेड समूह वालों को निशाने पर लेते रहे हैं. उनके मुताबिक, ट्रेड समूह के लोगों ने पूरे दक्षिणपंथ को बदनाम कर दिया है. खासकर, बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स के जरिए मुस्लिम महिलाओं का यौन उत्पीड़न करके. कथित तौर पर उदार दक्षिणपंथी समूह के लोग ट्रेड समूह से इसलिए भी नाराज रहते हैं क्योंकि ये बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी पर्याप्त हिंदूवादी नहीं मानते. इसलिए भी नाराज रहते हैं क्योंकि ट्रेड खुले तौर पर ब्राह्मणों के वर्चस्व और औरतों की गुलामी का समर्थन करते हैं.
सुल्ली डील्स मामले में Trad समूह के लोगों की गिरफ्तारी की मांग करता Rayta समूह का एक ट्विटर अकाउंट.
सुल्ली डील्स मामले में Trad समूह के लोगों की गिरफ्तारी की मांग करता Rayta समूह का एक ट्विटर अकाउंट.

दूसरी तरफ, प्रोपेगैंडा फैलाने वाली दक्षिणपंथी वेबसाइट्स इन ट्रेड्स का समर्थन करती हैं. इन वेबसाइट्स पर ना केवल इन ट्रेड्स के समर्थन में आर्टिकल लिखे जाते हैं, बल्कि इन्हें चलाने वाले भी इनके सपोर्ट में ट्वीट करते हैं और इनके कंटेट को आगे बढ़ाते हैं. मसलन, ऑप इंडिया नाम की प्रोपेगैंडा वेबसाइट को चलाने वाली नुपुर शर्मा ने कथित तौर पर उदार दक्षिणपंथियों के एक समूह को संबोधित करते हुए ट्वीट किया,
"तुम ट्रेड्स के साथ वैसा ही कर रहे हो, जैसा वामपंथियों ने 'भक्तों' के साथ किया. उनको फेमस करने के लिए गुड लक. मुझे अंडरडॉग्स से प्यार है और इस तरह से निशाना बनाकर उन्हें (ट्रेड्स) अंडरडॉग बनाया जा रहा है. उनके लिए अच्छा है."
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नुपुर शर्मा का ट्वीट-1

अगले ट्वीट में नुपुर ने लिखा,
"तुम्हें ट्रेड्स पसंद नहीं हैं. ठीक है. मुझे भी उनके कुछ विचार पसंद नहीं हैं. लेकिन उन्हें चुप कराने की ये कौन सी मानसिकता है. तुम उनसे बहस क्यों नहीं करते. मैं प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराऊंगी और मैं ही बहस को मॉडरेट करूंगी. चलिए, उनके सबसे विवादास्पद विचारों पर बात करते हैं और क्यों वो सही या गलत हैं."
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नुपुर शर्मा का ट्वीट- 2

एक समुदाय विशेष के नरसंहार का समर्थन करने वालों और महिलाओं, दलितों के प्रति घृणित सोच रखने वालों से किस प्रकार बहस की जा सकती है, ये हमारी समझ से परे है. इसी ऑप इंडिया वेबसाइट में पहले काम करने वाला अजीत भारती भी ट्रेड्स का समर्थक है. अजीत भारती ने पिछले साल सुल्ली डील्स को प्रमोट करता हुआ एक ट्वीट किया था जिसमें लिखा था,
"किसी ने 'सुल्ली डील्स' के नाम से एक ऐप बना दिया है. ओपन सोर्स है. लिखा है कि मनपसंद 'सुल्ली' आपको मिल जाएगी. ये उन्होंने सामान्य समाज की सहायता हेतु बनाया है. मैं तकनीक और ओपन सोर्स का बचपन से ही पक्षधर रहा हूं. लिंक दे देता हूं ताकि आप लोग जांच लें."
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अजीत भारती का ट्वीट.

बुल्ली बाई मामले में जब शुरुआती गिरफ्तारियां हुईं, तो रितेश झा नाम के एक यूजर ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट किया. इस पोस्ट में लिखा गया,
"मेरे दो छोटे भाइयों और एक बहन को सुल्ली डील मामले में गिरफ्तार किया गया है. जो भी दक्षिणपंथी उनके खिलाफ बातें कर रहे हैं, उनसे निपटा जाएगा. जल्द ही मुलाकात होगी बच्चों."
रितेश झा वही शख्स है जिसने पिछले साल ईद के मौके पर अपने यूट्यूब चैनल 'लिबरल डोगे' पर पाकिस्तान और भारत की मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन बोली लगाई थी. इस ऑनलाइन ऑक्शन के बाद ही सुल्ली डील्स का मामला सामने आया था. रितेश झा और अजीत भारती एक दूसरे का समर्थन करते रहे हैं और ट्रेड्स का भी. मसलन इस ट्वीट
में अजीत भारती साफ-साफ एक समुदाय विशेष के मानसिक उत्पीड़न की बात कह रहा है और लिबरल डोगे उसका समर्थन कर रहा है.
फिलहाल इस मामले में पुलिस की जांच चल रही है. लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि ये ट्रेड नेटवर्क कोई फ्रिंज नेटवर्क नहीं है. इसके तहत लगातार जहर फैलाया जा रहा है और युवाओं को भटकाया जा रहा है. ट्रेड समूह से जुड़े लोगों की सोच बहुत पिछड़ी है. ये साफ है कि ये लोग सभ्यता के क्रम में पीछे छूट गए हैं. कानूनी कार्रवाई के साथ इन्हें काउंसलिंग की भी जरूरत है. क्योंकि अपनी सोच के साथ ये समाज के लिए खतरा हैं.