उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक टीचर ने आत्महत्या करने की कोशिश की. वजह? कथित तौर पर 96 महीनों तक वेतन न मिलने के चलते. अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. मृत टीचर के बेटे ने बताया कि स्कूल के अधिकारियों ने हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी उन्हें वेतन नहीं दी. आरोप भी लगाया कि उनके पिता को परेशान किया गया और आत्महत्या करने के लिए उकसाया गया था.
'कोर्ट ऑर्डर के बाद भी 96 महीनों तक तनख्वाह नहीं दी', टीचर के सुसाइड पर बेटे का आरोप
मृतक के बेट ने आरोप लगाया कि मामला निपटाने के लिए उनके पिता से दो लाख रुपये मांगे गए थे.

आजतक से जुड़े फिरोज खान की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला फर्रुखाबाद के कायमगंज नगर के काजमखां मोहल्ले का है. यहीं रहने वाले अनिल कुमार त्रिपाठी, झब्बूपुर परिषदीय स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर काम करते थे. 27 सितंबर को अनिल कुमार त्रिपाठी ने आत्महत्या करने की कोशिश की. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
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मृतक के बेटे आशीष त्रिपाठी ने आजतक को बताया,
"1996 में इंटर की फर्जी मार्कशीट का बहाना देकर मेरे पिता को बर्खास्त किया गया था. फिर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने उन्हें सवेतन बहाल कर दिया. तत्कालीन ज़िला बेसिक शिक्षक अधिकारी ने भी उन्हें वेतन देने का आदेश दे दिया था. वो काम पर लौट गए, लेकिन 8 सालों तक उन्हें वेतन नहीं मिली. एक रुपया भी नहीं. यहां तक कि मेरे पिता से मामला निपटाने के लिए दो लाख रुपये भी मांगे गए थे. इसी मामले को लेकर कई जगहों पर शिकायत भी दर्ज की गई."
उधर, खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि वेतन देने का आदेश दे दिया गया था. लेकिन स्कूल में कहीं टीचर की हाज़िरी नहीं मिली थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, टीचर ने अपने आख़िरी नोट में कुछ अफ़सरों के नाम लिखे हैं. आरोप लगाया है कि उन्होंने उन्हें अपमानित किया और आत्महत्या के लिए उकसाया गया था.
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मृतक के बेटे ने तीनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया. उन पर IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया है. खबर है कि सुरेंद्र अवस्थी और निर्देश गंगवार को सस्पेंड कर दिया गया है.
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