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10 बजे सैलरी, 10:05 पर इस्तीफा, HR बोली- एथिक्स कहां? जनता बोली- पहले खुद सीखो!

Employee Resignation Controversy: पहली तनख्वाह के सिर्फ़ 5 मिनट बाद कर्मचारी ने दिया इस्तीफ़ा, HR ने LinkedIn पर जताया गुस्सा… लेकिन सोशल मीडिया ने HR की ही लगा दी क्लास। पढ़िए पूरा मज़ेदार किस्सा!

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सैलरी मिली, दिलचस्पी चली: 5 मिनट में नौकरी को टाटा!

10  बजे पैसे आए… 10:05 पर बोले - "टाटा, बाय-बाय!" भाई, ये कहानी पढ़के तो ऐसा लगा जैसे कोई फिल्म का सीन हो. हुआ यूं कि LinkedIn पर एक HR मैडम ने पोस्ट डाली. किस्सा बड़ा मज़ेदार और थोड़ा झटकेदार था. कंपनी ने नए बंदे को प्यार से लिया, ट्रेनिंग दी, समय लगाया… और फिर क्या हुआ?

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Salary credited at 10:00 AM, resignation emailed at 10:05 AM.

हां, सैलरी आई और बंदा बोला - “अब मैं चलता हूं…!”

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HR का दर्द
मैडम को तो जैसे किसी ने दिल पर चोट मार दी हो. उन्होंने लंबा-चौड़ा लेक्चर लिख मारा -

कंपनी ने आपको मौका दिया, भरोसा किया, ग्रोथ का प्लेटफ़ॉर्म दिया… और आपने पांच मिनट में सब छोड़ दिया. ये सही था? एथिकल था?

उनका कहना था कि इस तरह की हरकत “इरादे, मैच्योरिटी और ज़िम्मेदारी की कमी” दिखाती है.
और फिर नसीहत दी -

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अगर कुछ खटक रहा था तो बात करते, क्लैरिटी मांगते, मदद लेते… ऐसे भागना प्रोफ़ेशनल तरीका नहीं है.

HR Post
इंटरनेट पर एचआर का दर्द (फोटो- LinkedIn)
इंटरनेट की महफ़िल - कुछ मज़ेदार कॉमेंट्स


जनता भी कहां चुप रहती है, तीन कमेंट तो सीधे दिल में उतर गए -

ऑस्टिन नाम के यूजर ने लिखा,

महीना भर काम करने के बाद सैलरी मिलती है, एडवांस में नहीं. 

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एचआर पर जनता का गुस्सा 
HR पर तंज़

“बंदा ग़लत नहीं है, लेकिन HR होकर पब्लिक में ये पोस्ट डालना भी मैच्योरिटी नहीं दिखाता.” कुछ यही अंदाज़ था पब्लिक का, जब बात एचआर वाली दीदी के पोस्ट पर रिएक्शन देने का था. अतुल नाम के यूजर ने लिखा कि 

आपने 3 महीने के नोटिस पीरियड के बारे में सुना है? कर्मचारी नोटिस तो सर्व करेगा ही ना, फिर लिंक्डइन पर रोना क्यों मचा रखा है?

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पब्लिक के मजेदार जवाब

अविनाश नाम के यूजर ने तो यहां तक कह दिया,

अगर इम्पलॉई को हक का पैसा दे देते तो जाता ही क्यों?

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कर्मचारी के पक्ष में पब्लिक

एक यूजर ने तो गुस्से में यहां तक लिख दिया,

एथिक्स? साफ कहें - सैलरी काम के बदले मिलती है, कोई एहसान नहीं. और अगर कंपनी चाहती है कि बंदा उम्रभर वफ़ादार रहे तो ऑफर लेटर नहीं, शादी का सर्टिफिकेट दे.

एक और यूजर ने लिखा,

जब कर्मचारी ऐसा करता है तो कंपनी नहीं डूबती, लेकिन जब कंपनी निकाल देती है तो कई परिवार सड़क पर आ जाते हैं. ज़रा सोचिए.

अब सवाल ये…

क्या ये बंदा “पावर मूव” कर गया, या फिर वाकई प्रोफ़ेशनल एथिक्स तोड़ दी?
HR कहती हैं - “ग्रोथ सैलरी से नहीं, सब्र और मेहनत से आती है.”
जनता कहती है - “कंपनी को हक़ है, तो कर्मचारी को भी है.”

आख़िरी बात

पांच मिनट का ये गैप शायद नेटिज़न्स के लिए फुल एंटरटेनमेंट था, लेकिन HR के लिए ये भरोसे पर सीधा वार था. तो भाई, अब ये रिश्ता क्या कहलाएगा - नौकरी का कॉन्ट्रैक्ट या ज़िंदगी भर का साथ?

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