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मराठा आरक्षण: महाराष्ट्र में कई नेताओं के घर जलाए गए, सांसद-विधायकों के इस्तीफे

मराठा आरक्षण को लेकर विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि राजनैतिक पार्टियां और उनके नेता अपना पक्ष साफ करें.

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बारामति में डिप्टी सीएम अजित पवार के पोस्टर्स पर कालिख पोत दी गई. (फोटो- ट्विटर)

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर हो रही हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है (Maratha reservation protest). कई विधायकों के घरों में आग लगा दी गई है. साथ ही NCP के पार्टी ऑफिस को भी आग के हवाले कर दिया गया है. इतना ही नहीं, कई गांवों ने आने वाले चुनावों का बहिष्कार करने की बात कही है. बीड़ में हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि पुलिस को धारा 144 लागू करनी पड़ी है.

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मराठा आरक्षण को लेकर विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि राजनैतिक पार्टियां और उनके नेता अपना पक्ष साफ करें. आरक्षण का मामला सीधा नहीं होता, इसीलिए कोई भी कुछ ऐसी बात कहना नहीं चाहता कि आगे महंगा पड़े. इसलिए प्रदर्शनकारियों का गुस्सा नेताओं पर निकल रहा है. राज्य के कई गांवों ने अपने यहां नेताओं की एंट्री को बैन कर दिया है. जमकर हिंसा हो रही है. करीब 400 गांवों ने नेताओं की एंट्री बैन करने को लेकर प्रस्ताव पारित कर दिया है. कुछ गांवों ने तो आने वाले चुनावों का बहिष्कार करने तक का प्रस्ताव पारित किया है.

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हिंसा के बीच कई नेताओं के घर जला दिए गए हैं. NCP के विधायक प्रकाश सोलंके के घर में आग लगा दी गई. बीड़ से NCP के ही शरद पवार गुट के विधायक संदीप क्षीरसागर और पार्टी दफ्तर को आग लगा दी गई है. इसी घर में पूर्व मंत्री जयदूत क्षीरसागर भी रहते हैं. घरों को तो आग लगाई ही गई, साथ ही परिसर में खड़ी गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया. गनीमत ये है कि अब तक हुई हिंसा में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

नगर परिषद का मुख्यालय भी नहीं बचा

बीड़ के माजलगांव नगर परिषद के मुख्यालय को फूंक दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस वक्त जिले के SP पंकज कुमावत मौके पर जा रहे थे, तब उन पर भी पत्थरबाजी की गई. घटना में SP के साथ चल रहे गार्ड्स घायल भी हुए हैं. बारामति में डिप्टी सीएम अजित पवार के पोस्टर्स पर कालिख पोत दी गई.

हिंसा का असर ये है कि सरकारी बसों में तोड़फोड़ के चलते सरकार ने मराठवाड़ा के 9 जिलों में बस सेवा रोक दी है. कई जगहों से रास्ता रोके जाने की खबरें भी सामने आई हैं.

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कई नेताओं ने इस्तीफा दिया

आरक्षण को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों का गुस्सा देखकर नेताओं के इस्तीफे आने शुरू हो गए हैं. गेरावी से बीजेपी विधायक लक्ष्मण पवार ने अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. शिवसेना के शिंदे गुट से हिंगोली सांसद हेमंत पाटिल ने अपनी सांसदी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंप दिया है.

NCP के जुन्नर से विधायक अतुल बेंके ने कहा है कि अगर इस्तीफे से आरक्षण की मांग को बल मिलता है, तो वो इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. उधर मनोज जरांगे पाटील ने कहा कि सोलंके ने प्रदर्शनकारियों को उकसाया होगा, सीएम को अपनी पार्टी के लोगों को काबू में करना चाहिए.

आरक्षण की मांग के बीच शिंदे सरकार ने वादा किया है कि जो लोग रिकॉर्ड में कुनबी होने के कागजात जमा करेंगे, उन्हें कुनबी कास्ट सर्टिफिकेट दिया जाएगा. सरकार ने जरांगे पाटील से अपना उपवास तोड़ने की भी अपील की है. बता दें कि जरांगे पाटिल 29 अगस्त को जालना में पहली बार भूख हड़ताल पर गए थे. 14 सितंबर को जरांगे ने शिंदे और अन्य मंत्रियों के आश्वासन पर अपना उपवास तोड़ा था. उन्होंने 40 दिनों में आरक्षण की घोषणा का आश्वासन दिया था. 24 अक्टूबर को 40 दिनों की डेडलाइन पूरी हुई थी. इसके बाद 25 अक्टूबर से जरांगे फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे.

(ये भी पढ़ें:मराठा आरक्षण मांग रहे लोगों ने NCP विधायक का घर जला डाला, वो अंदर मौजूद थे)

वीडियो: मराठा आरक्षण: मज़बूत हैं फिर भी आरक्षण क्यों मांग रहे हैं मराठा?

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