ट्रेन आने से पहले प्लेटफॉर्म बदल देना कोई नई बात नहीं है. ट्रेन पकड़ने वाले लोग इस समस्या से कभी ना कभी दो चार हुए ही होंगे. समय रहते अनाउंसमेंट हो गई, आपने अनाउंसमेंट सुन ली तो भला, वरना सफर को भूल ही जाइए. मुरादनगर के रहने वाले अनुभव प्रजापति के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था.
शख्स इंतजार करता रहा, ट्रेन दूसरे प्लेटफॉर्म से गुजर गई, अब रेलवे पर लगा जुर्माना
मुरादनगर के रहने वाले अनुभव प्रजापति ने ट्रेन छूटने के बाद रेलवे के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत की. अनुभव ने दलील कि वो ट्रेन के बारे में पता करने के लिए स्टेशन मास्टर के पास भी गए थे, लेकिन रूम बंद था. कहीं से कोई जवाब नहीं मिला.

प्लेटफॉर्म बदलने की जानकारी नहीं मिलने से उनकी ट्रेन छूट गई थी. उन्होंने रेलवे के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कर दी. कोर्ट ने अब इस मैटर पर सुनवाई करते हुए रेलवे अधिकारियों को जुर्माना चुकाने को कहा है. जिला कंज्यूमर फोरम ने आदेश में कहा है कि ट्रेन शेड्यूल के बारे में पब्लिक अनाउंसटमेंट से जानकारी नहीं दे पाना कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत डेफिशिएंसी ऑफ सर्विस (सेवा की कमी) माना जाता है. आइए पूरा मामला बताते हैं.
29 फरवरी 2024 की बात है. अनुभव अपनी पत्नी प्रियंका और दो बच्चों के साथ छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से झांसी जा रहे थे. ट्रेन को सुबह 3.20 बजे प्लेटफॉर्म से निकलना था. परिवार समय से पहले गाजियाबाद स्टेशन पहुंच गया था और वहीं ट्रेन का इंतजार कर रहा था.
कुछ देर बाद अनाउंसमेंट हुई कि ट्रेन 40 मिनट की देरी से चल रही है. अनाउंसमेंट के बाद 3.25 बजे अनुभव परिवार को लेकर प्लेटफॉर्म 3 पर शिफ्ट हो गए. वहां जाने पर पता चला कि उस प्लेटफॉर्म पर अयोध्या एक्सप्रेस 45 मिनट से खड़ी है. उन्हें छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के बारे में कोई और जानकारी भी नहीं मिली. तो उन्हें लगा अनाउंसमेंट हुई तो ट्रेन वहीं आएगी, सो पूरे परिवार के साथ वहीं इंतजार करते रहे.
प्रजापति ने कहा, 'मैं पता करने के लिए स्टेशन मास्टर के पास भी गया था, लेकिन रूम बंद था.' रेलवे के अधिकारियों को टैग करते हुए 5.21 बजे ट्वीट भी किया. लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं आया. अनुभव अपने परिवार के साथ प्लेटफॉर्म 3 पर इंतजार करते रहे. करीब 6 बजे उन्हें पता चला कि छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म 2 पर आकर निकल भी गई है.
इस मामले पर फोरम में रेलवे अधिकारियों से जवाब मांगा गया. तो दलील दी गई कि रेलवे की पॉलिसी कहती है कि 3 घंटे से ज्यादा देरी पर ही टिकट रिफंड दिया जाएगा. इस केस में ऐसा नहीं था वरना हम टिकट के पैसे लौटा देते.
फोरम ने कहा कि ठीक है पॉलिसी रिफंड की इजाजत नहीं देती. लेकिन रेलवे की लापरवाही की वजह से ही परिवार की ट्रेन छूटी है. रेलवे ने ट्रेन के आने-जाने के बारे में ठीक से अनाउंसमेंट नहीं किया जिस वजह से ट्रेन मिस हो गई. इसलिए जुर्माना तो देना होगा.
23 जून को जारी आदेश में फोरम ने कहा है, रेलवे ने सही तरीके से अनाउंसमेंट किया था ये साबित करने के लिए उसकी तरफ से कोई भी दावा नहीं पेश किया गया है. इसलिए इसे सेवा की कमी की तरह देखा जाएगा, जिसकी वजह से ट्रेन छूटी और यात्री को मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा. कोर्ट ने नॉदर्न रेलवे के जनरल मैनेजर और स्टेशन सुपरिटेंडेंट, स्टेशन मास्टर, डिविजनल रेलवे मैनेजर को 45 दिनों के अंदर जुर्माना देने का आदेश दिया है.
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