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एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कहा, 'ऐसा ही चलता रहा तो कोई भी शिकार बन सकता है'

हैदराबाद के ICFAI लॉ स्कूल में रूल ऑफ लॉ पर लेक्चर दे रहे थे जस्टिस चेलमेश्वर.

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पूर्व जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्ती चेलमेश्वर. उन्होंने कहा है कि अगर आरोपी के पुलिस एनकाउंटर को हम ऐसे ही प्रोमोट करते रहे, तो हममें से कोई भी कल इस एनकाउंटर का शिकार हो सकता है. हैदराबाद के ICFAI लॉ स्कूल में रूल ऑफ़ लॉ विषय पर व्याख्यान देते हुए चेलमेश्वर ने ये बातें कहीं.
बार एंड बेंच के मुताबिक़, चेलमेश्वर ने 2019 के हैदराबाद एनकाउंटर का ज़िक्र किया, जहां तेलंगाना पुलिस ने रेप और हत्या के चार आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया था.
चेलमेश्वर ने कहा,
“इस तरह के त्वरित ट्रायल और त्वरित इंसाफ़ के बारे में हम अख़बार में पढ़ते हैं तो सब सही लगता है. लेकिन बात इन चार लोगों पर नहीं रुकेगी. अगर इस तरह की कार्यप्रणाली को बढ़ावा मिलेगा, तो कल को हममें से कोई भी या कोई निर्दोष आदमी भी शिकार हो सकता है. अगर लोकल पुलिसवाला आपसे  ख़ुश नहीं है, तो कल को वो बोल देगा कि आप किसी जुर्म के लिए दोषी हैं और फिर उसके बाद कुछ भी हो सकता है.”
चेलमेश्वर ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बढ़ने लगी हैं, क्योंकि क़ानून व्यवस्था पुख़्ता नहीं है और उसकी वजह से लोगों का सिस्टम से भरोसा उठता जा रहा है.
चेलमेश्वर ने हैदराबाद मुठभेड़ में चारों आरोपियों के मारे जाने के बाद सामाजिक संगठनों द्वारा ज़ाहिर की गयी ख़ुशी पर भी चिंता ज़ाहिर की. उन्होंने कहा कि दूसरे शब्दों में ये कहा जा सकता है कि अगर पुलिस क़ानून के हिसाब से नहीं चलती है, तो सामाजिक संगठन उसे भी मानने लगे हैं. उन्होंने कहा,
“उनके पास बहुत सारे कारण हो सकते हैं. वो कहेंगे कि न्याय प्रक्रिया बहुत धीमी है. उन्हें 20 साल में सज़ा मिलेगी, और फिर वो ऊपरी अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. तमाम तर्क हैं. लेकिन ये तर्क क्यों हैं? क्योंकि ये हमारी क़ानूनी एजेंसियों, जांच एजेंसियों, क़ानून और न्याय व्यवस्था की कमी है कि वो इन संगठनों के अंदर भरोसा पैदा नहीं कर पा रहे हैं.”
आख़िर में चेलमेश्वर ने क़ानून के छात्रों से सिस्टम में शामिल होने और न्याय व्यवस्था को और पुख़्ता बनाने का आग्रह किया.
कौन हैं जस्ती चेलमेश्वर?
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के रहने वाले हैं. इनका जन्म 23 जून, 1953 को हुआ. उनके पिता जस्ती लक्ष्मीनारायण वकील रहे. चेन्नई के लोयोला कॉलेज से जे चेलमेश्वर ने B.Sc. की. इसके बाद आंध्र यूनिवर्सिटी से उन्होंने LLB की. इसके बाद पिता के साथ उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की. बाद में वे सरकारी वकील बन गए. 1997 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया. वे गुवाहाटी और केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. अक्टूबर, 2011 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने. लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने में देरी हुई. इस वजह से वे चीफ जस्टिस नहीं बन पाए.
Justice J Chelameswar, Justice Kurian Joseph, Justice Ranjan Gogoi And Justice Madan Lokur बाएं से दाएं:  जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस चेलमेश्वर, पूर्व CJI रंजन गोगोई और जस्टिस लोकुर. ये तस्वीर जनवरी 2018 में की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. (फोटो: ANI)

12 जनवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों, यानी रंजन गोगोई, कुरियन जोसफ़, मदन लोकुर और जस्ती चेलमेश्वर ने तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के काम करने के तरीक़ों पर सवाल उठाए थे. प्रेस कॉन्फ़्रेन्स द्वारा. ये प्रेस कॉन्फ़्रेन्स चेलमेश्वर के आधिकारिक निवास पर हुई थी. 
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे ही सबसे ज्यादा मुखर थे. वे इकलौते जज थे जिन्होंने कॉलेजियम का विरोध किया था. कॉलेजियम एक तरह का ग्रुप है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे सीनियर जज शामिल होते हैं. कॉलेजियम ही जजों के तबादलों और प्रमोशन का फैसला करता है.
22 जून, 2018 को जस्टिस चेलमेश्वर रिटायर हो गए. रिटायरमेंट के बाद वो अपने विदाई समारोह में भी शामिल नहीं हुए. और अपने गांव पेदामुत्तेवी चले गए. अभी वे गांव में रहते हैं, खेती करते हैं. उनके पास 17 एकड़ जमीन है. इस बारे में उन्होंने बीबीसी से कहा था कि वे खेती से खाने इतना उगा लेते हैं कि सरकार अगर उनकी पेंशन भी रोक देती है तो उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा. रिटारमेंट के बाद उनसे कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में पूछा गया था. इस बारे में उन्होंने कहा था कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा था कि जिन समस्याओं के लिए उन्होंने कदम उठाया था, वे अभी भी बरकरार हैं.
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा था,
“20 साल बाद कोई यह कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी है. इसलिए हमने मीडिया से बात करने का फैसला किया.”

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