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हलाल बेचते हो या झटका, जयपुर में मीट बेचना है तो दुकान पर चिपकाना होगा बोर्ड, वर्ना...

Jaipur में अब मीट की दुकानों पर हलाल या झटका लिखना अनिवार्य कर दिया गया है. जयपुर नगर निगम ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. जिस पर मेयर सौम्या गुर्जर ने मुहर लगा दी है.

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मीट की दुकान. (फोटो-आजतक)

राजस्थान की राजधानी जयपुर में मीट बेचने वालों के लिए एक नया नियम लाया गया है. इसके तहत अब मीट की दुकान के बाहर ‘झटका’ या ‘हलाल’ लिखना अनिवार्य कर दिया गया है. जयपुर नगर निगम ने इस संबंध में आदेश जारी किया है जिस पर मेयर सौम्या गुर्जर ने मुहर लगा दी है. 

आजतक से जुड़े शरत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने कहा कि जनमानस की भावनाओं को देखते हुए एक्जीक्यूटिव कमेटी में ये फैसला लिया गया है. इसके बाद अब जयपुर में मीट की दुकानों पर हलाल या झटका लिखना जरूरी होगा. इसके अलावा आवासीय क्षेत्रों में मीट की दुकानें प्रतिबंधित कर दी गई हैं. वहीं, मीट की दुकानों का लाइसेंस भी कमर्शियल पट्टा होने पर ही दिया जाएगा. अब जयपुर शहर में अवैध मीट की दुकानों पर निगम जल्द ही कार्रवाई शुरू करेगा.

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आजतक से बातचीत में मेयर सौम्या गुर्जर ने कहा,

“जयपुर में 150 वार्ड हैं. मैं कई बार लोगों के बीच गई हूं. इस दौरान लोगों ने इस संबंध में शिकायत की थी. मीट की दुकानों पर गंदगी फैलाए जाने की शिकायतें मिली थीं. इस संबंध में हाल ही में हमारी एक्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग हुई थी, जिसमें फैसला लिया गया कि मीट की दुकानों का लाइसेंस नगर निगम उन्हीं को देगा, जिनके पास दुकान का कमर्शियल पट्टा होगा. इसका मतलब मीट की दुकानें आवासीय इलाके से बाहर होंगी. इसके साथ ये भी फैसला लिया गया कि मीट की दुकानों पर जनभावनाओं के अनुरूप साइन बोर्ड लगाए जाएं, जिन पर हलाल या झटका के बारे में लिखना जरूरी होगा.”

मेयर ने मीट की दुकानों को आवासीय क्षेत्र में प्रतिबंधित करने के संबंध में दलील दी कि वो खुद शाकाहारी हैं, उन्हें दुर्गंध बर्दाश्त नहीं होती. उनके जैसे तमाम लोग हैं, जिनको परेशानी होती है. सौम्या का कहना है कि ये निर्णय जनभावना के अनुरूप लिया गया है. उन्होंने आगे कहा, 

“ये फैसला पूरे राजस्थान में लागू हो तो अच्छा है. हमने जयपुर में शुरुआत की है. इस संबंध में जल्द ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी.”

इधर इस फैसले पर एक मीट विक्रेता दानिश क़ुरैशी की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने कहा, 

“पहले (हलाल या झटका मीट) लिखवा रखा था, अब नया बोर्ड बनाया तो भूल गया. अब लिखवा लूंगा. यहां तो आसपास हलाल मीट की दुकानें हैं, झटका मीट के लिए दूर जाना पड़ता है.”

वहीं, नगर निगम के इस आदेश अपर फूड व्यवसायी राजेंद्र मीणा ने कहा,

“नगर निगम का ये निर्णय बहुत अच्छा है. मीट की दुकान पर झटका और हलाल लिखने से कन्फ्यूजन नहीं रहेगा.”

इस मामले पर जयपुर से बीजेपी विधायक बालमुकुंदाचार्य की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने इसका समर्थन करते हुए यूपी सरकार के कांवड़ यात्रा वाले निर्देश का जिक्र किया और जयपुर नगर निगम के फैसले का बचाव किया है. बीजेपी विधायक ने कहा कि इस तरह के नियम सभी जगह होने चाहिए. उन्होंने कहा, 

“मैं यूपी सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले का स्वागत करता हूं. भारत में सभी धर्मों का सम्मान है, सबके प्रति आदर है. सबकी अपनी-अपनी पूजा-प्रार्थना पदत्ति है. हमारे यहां भगवन शिव का ये पर्व, ये श्रावण महीना बहुत पवित्र माना जाता है. जिसमें हम भगवन शिव की आराधना करते हैं. उसमें कई नियम हैं. उन नियमों में अगर कहीं अड़चन आती है, तो उस बात का ध्यान रखने की जरुरत है. उसी क्रम में अगर कोई फैसला लिया जा रहा है तो अच्छी बात है. मैं हमेशा से कहता आया हूं कि जो विशेष दिवस, तिथि, उत्सव होते हैं (एकादशी, पूर्णिमा, मंगलवार) इनपर भी मांस की दुकानें बंद रहनी चाहिए. खुले में मांस बिकना नहीं चाहिए. और जो कोई भी सामग्री बेचने वाले हैं उनको अपना असल नाम स्पष्ट रूप से दुकान पर लिखना चाहिए. जो नाम परिवर्तन करते हैं. उसका मतलब है कि कुछ गड़बड़ है. नाम छुपाने की जरुरत क्या है. जो नाम है वही नाम लिखकर बेचे. इसमें आपत्ति नहीं होनी चाहिए. और मैं अपनी ओर से राजस्थान सरकार से निवेदन करूंगा कि वो भी दुकानों पर नाम लिखने के निर्देश दें.”

इस मामले पर आपके क्या विचार हैं, कमेंट करके हमसे साझा करें.

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