डॉ. भीमराव आंबेडकर को संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण के चलते 'फादर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन' भी कहा जाता है. देशभर की सरकारी इमारतों और संवैधानिक संस्थानों में उनकी प्रतिमाएं लगी हुई हैं. लेकिन भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में बीआर आंबेडकर की प्रतिमा नहीं है. अब ये काम भी होने वाला है. जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट के सामने बीआर आंबेडकर की प्रतिमा दिखेगी.
सुप्रीम कोर्ट में लगने जा रही 'वकील' बीआर आंबेडकर की प्रतिमा
26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करेंगे.
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आजादी के 76 साल बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर में ज्यूरिस्ट के रूप में बाबासाहेब की प्रतिमा लगने जा रही है. 26 नवंबर को संविधान दिवस है. इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ विधिवेत्ता डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के मानेसर में इस प्रतिमा को बनाया जा रहा है. पूरी होते ही इसे सुप्रीम कोर्ट भेज दिया जाएगा.

आजतक से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने बताया कि तीन फुट ऊंचे बेस पर डॉक्टर आंबेडकर की सात फुट ऊंची प्रतिमा वकील की वेशभूषा में लगने वाली है. उन्होंने वकील की तरह गाउन और बैंड पहना हुआ है और एक हाथ में संविधान की प्रति है. ये प्रतिमा अंतरराष्ट्रीय स्तर के जाने माने प्रतिमाकार नरेश कुमावत ने तैयार की है.
सुप्रीम कोर्ट परिसर में अब तक दो प्रतिमायां लगी हैं. एक मदर इंडिया का म्यूरल है जो भारतीय मूल के ब्रिटिश शिल्पी चिंतामणि कर ने बनाई थी. दूसरी प्रतिमा महात्मा गांधी की है. इसे भी ब्रिटिश प्रतिमाकार ने बनाया था. वहीं आंबेडकर की प्रतिमा भारतीय प्रतिमाकार नरेश कुमावत ने बनाई है.
इस प्रतिमा की खास बात ये है कि इसमें डॉ. आंबेडकर एक ज्यूरिस्ट, आसान भाषा में बताएं तो वकील के रूप में दिखेंगे. संभवतः संविधान निर्माण में उनकी भूमिका और एक बेहतरीन ज्यूरिस्ट होने के चलते ही उनकी प्रतिमा को ये आकार दिया गया है.
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