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बिहार की 113 एकड़ की धरती 'गायब' थी, बड़ी मुश्किल से अब जाकर मिली

बिहार के कई शहरों में फैली इन जमीनों का कोई नामलेवा नहीं है. किसके नाम पर ये जमीन आवंटित की गई है इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.

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बिहार के नालांदा की प्रतिकात्मक तस्वीर. (क्रेडिट:विकिमीडिया कॉमंस)

बिहार के पर्यटन विभाग ने 100 एकड़ से अधिक ‘गायब’ जमीन को ढूंढ निकाला है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि प्रदेश के कई शहरों में फैली इन जमीनों का कोई नामलेवा नहीं है. किसके नाम पर ये जमीनें आवंटित की गई हैं इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. विभाग को इन 'लापता' जमीनों का पता चला जो उसके पास तो थी, लेकिन उसे इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी. अब इनमें से कई जमीनों का इस्तेमाल पर्यटकों की सुविधाओं के लिए किया जाएगा. 

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नालंदा में सबसे ज्यादा 'लापता' जमीन

इंडियन एक्सप्रेस में छपी संतोष सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की 113 एकड़ जमीन गायब थी. यह जमीनें या तो ‘गैर मजुरुआ’ थीं या इन पर किसी का अतिक्रमण था. सभी केस में ये किसी अन्य विभाग से संबंधित थीं. इन जमीनों के बारे में पता लगाने के लिए पर्यटन विभाग पिछले तीन दशकों से राजस्व विभाग के संपर्क में था.

बिहार के पर्यटन मंत्री नीतिश मिश्रा ने कहा, “हम इन जमीनों का पता लगाने के लिए पिछले तीस सालों से राजस्व और भूमि विभाग के संपर्क में थे. इस काम के लिए हमने एक अधिकारी को लगाया था. भूमि के मालिकों की पहचान के लिए खासकर राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ एक विशेष अभियान चलाया गया था. इस अभियान के बाद हमें जिला और ब्लॉक स्तर पर जमीनों के डिटेल्स के बारे में पता चला.”

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कुल 113 एकड़ जमीनों में से 49 एकड़ अकेले नालंदा में मिली हैं. नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी है. इसके अलावा सहरसा में 22 एकड़, मुंगेर में 13 एकड़, वैशाली में 12 एकड़, भागलपुर में 9 एकड़ और पश्चिमी चंपारण में 5 एकड़ जमीनें मिली हैं. पर्यटन मंत्री के अनुसार, विभाग को गया में 10 एकड़ जमीन वापस लेने में दिक्कतें भी झेलनी पड़ीं थीं. इस जमीन पर पहले अतिक्रमण था. इस दौरान कुछ किसानों के खिलाफ सरकारी अधिकारियों के काम में अवरोध पैदा करने के कारण FIR भी दर्ज हुई थी.

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पर्यटन को बढ़ावा देने पर ज़ोर

विभाग अब इन जमीनों का इस्तेमाल पर्यटन संबंधित सुविधाओं को बढ़ावा देने में करेगा. गौरतलब है कि इन जमीनों की खोज ऐसे वक्त हुई है जब बिहार सरकार राज्य में निवेशकों को बढ़ावा देने के लिए 5000 एकड़ का एक लैंड बैंक बनाने में जुटी है. रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा, “हम सुपौल के पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर के किनारे जमीन मिल जाने के कारण काफी उत्साहित हैं. इसे हम पर्यटकों की सुविधा के लिए रेस्टोरेंट और शौचालय बनवाने में इस्तेमाल करेंगे.”

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इसके अलावा विभाग को सीता जन्मस्थान सितामढ़ी के पुनौरा धाम में भी जमीनें मिली हैं. इसके बाद ज्यादातार जगहों पर एक बॉउंड्री बना दी गई है.

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