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UP में एक दलित ने स्टैंप पेपर पर अंगूठा लगाकर विधायक पुत्र को अपने बेटे के कत्ल के आरोप से बरी कर दिया

बहराइच में दो बच्चों की मौत के मामले में भाजपा विधायक के बेटे का नाम सामने आया था.

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(बाएं ,से) चेतराम का बदला हुआ बयान, विलाप करते करण के परिजन
बहराइच में भाजपा विधायक के बेटे पर पर दो बच्चों की हत्या का इल्ज़ाम लगने के मामले में बड़ा बदलाव हुआ है. इस घटना में मरने वाले दलित बच्चे के पिता ने अपना बयान बदल दिया है. 25 जून की दोपहर उन्होंने स्टांप पेपर पर लिखकर अपना एक बयान जारी किया कि उनके बच्चे की मौत के पीछे पयागपुर से भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी के बेटे का हाथ नहीं है.
मामला क्या था?
21 जून को बहराइच के भौरी गांव के दो बच्चे - करण (10 साल) और निसार (11 साल) अपने खेतों की ओर निकले, तो शाम तक नहीं लौटे. जब उन्हें ढूंढा गया तो घाघरा नदी के पास करण की लाश मिली. करण के पिता चेतराम ने कहा कि उनके बेटे को पास चलने वाली रेत खदान के लोगों ने ज़िंदा रेत में दफन कर दिया था. निसार का पता पूरी रात नहीं चला, अगली सुबह उसकी लाश नदी में रेत खदान के पास ही एक गड्ढे में मिली. दो बच्चों की मौत के बाद गांव वाले भड़क गए. उन्होंने रेत खदान की मशीनों और गाड़ियों तोड़फोड़ मचा दी.
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मामले की शिकायत पुलिस को की गई तो उसमें खदान सूपरवाइज़र मनोज शुक्ला के साथ-साथ पयागपुर से भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी का बेटा निशंक नामज़द थे. लोगों की शिकायत थी कि खदान का ठेकेदार श्रीराम मिश्रा अवैध रूप से नदी से रेत निकाल रहा था और इसमें उसका साथ निशंक दे रहा था. रेत की खुदाई चेतराम की ज़मीन पर भी हो रही थी जिसकी शिकायत उन्होंने प्रशासन से की थी. कहा गया कि इसी अदावत के चलते बच्चों की जान गई है.
तोड़फोड़ करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई जिनमें चेतराम के साथ 50 लोगों के नाम थे. 179 अज्ञात लोगों का भी ज़िक्र था. इससे मामले में दो एफआईआर हो गईं. एक चेतराम की ओर से और एक उनके खिलाफ. लेकिन 25 जून तक चेतराम अपनी बात पर अडिग रहे. वो कहते रहे कि उनके बेटे की नाक में बालू (रेत) मिली है. इसलिए यकीनन उसे ज़िंदा ही रेत में गाड़ दिया गया था. इसके लिए वो खनन ठेकेदार के साथ विधायक के बेटे पर आरोप लगा रहे थे.
पुलिस को की गई शिकायत की प्रति
पुलिस को की गई शिकायत की प्रति


चूंकि चेतराम दलित समाज से आते हैं, उनकी त्रासदी पर तुरंत राजनीति भी होने लगी. आज़म खान ने पूछ लिया कि योगी के आने पर गुंडा राज के अंत के वादे का क्या हुआ. साथ ही उन्होंने मांग कर डाली कि एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद करण की अंत्येष्टी में शामिल हों क्योंकि वो भी एक दलित हैं. भाजपा में इसका जवाब आज़म खान के कद के किसी नेता ने नहीं दिया. बस सुभाष त्रिपाठी कहते रहे कि उनके खिलाफ साजिश हुई है.
पहले भी हुई थी अवैध खनन की शिकायत
अवैध उत्खनन को लेकर चेतराम ने 17 और 19 जून को भी शिकायत दर्ज कराई थी. बहराइच डीएम से की उनकी शिकायत में उन्होंने कहा था कि ठेकेदार उनकी ज़मीन पर खुदाई कर रहा है और वहां गाड़ियां खड़ी करता है. भौंरी गांव वालों ने 24 जून को अवैध खनन के खिलाफ अनशन का ऐलान किया था. (हालांकि ये टल गया क्योंकि उसके पहले ही बच्चों की मौत हो गई.) कलेक्टर ने इसे लेकर एक कमिटी भी बनाई थी.
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फिर 25 जून को सब बदल गया
सुभाष त्रिपाठी मीडिया के सामने आए और बोले कि अगर उनपर या उनके बेटे पर आरोप साबित हो जाते हैं, तो वो राजनीति से आजीवन संन्यास ले लेंगे. उन्होंने आज़म खान को चुनौती देकर कहा कि वो तो संन्यास लेने को तैयार हैं, लेकिन अगर वो निर्दोष निकले तो आज़म खान क्या करेंगे?
 
पयागपुर से भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी
पयागपुर से भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी


 
 
लेकिन न सुभाष त्रिपाठी न आज़म खान के संन्यास की नौबत आई. 25 जून की दोपहर चेतराम मीडिया के सामने आए. उनके हाथ में 10 रुपए का एक स्टांप पेपर था. उसपर जो लिखा था, वो कुछ यूं था-
दावा 1 : मेरे बेटे की मौत डूबने से हुई है.
दावा 2 :  मैं और मेरी पत्नी अपने बच्चे की मौत से दुखी थे. भीड़ में से किसी ने मनोज शुक्ला और निशंक त्रिपाठी के खिलाफ शिकायत कर के मेरा अंगूठा कागज़ पर लगवा दिया था.
दावा 3 : इस मामले में निशंक त्रिपाठी और मनोज शुक्ला निर्दोष हैं. उनका इस मामले से कोई सरोकार नहीं.
 
मीडिया के सामने चेतराम ने ये बयान पेश किया
मीडिया के सामने चेतराम ने ये बयान पेश किया


 
इस सब से मामला एक बार को खत्म लगने लगता है. क्योंकि चेतराम अपने दावे से पलट गए हैं. लेकिन इस मामले में कुछ बातें हैं जो समझ से बाहर हैं और जिन पर गौर किया जाना चाहिए:
# मामले में पहले बच्चों की मौत की एफआईआर हुई. इसमें हत्या और हत्या के सबूत मिटाने जैसे गंभीर आरोप थे. करण वाले मामले में एससी-एसटी एक्ट की धाराएं भी लगी थीं. इसके बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. दी लल्लनटॉप के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस दौरान निशंक और मनोज शुक्ला फरार नहीं थे. फिर भी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया.
# गांव वालों का कहना है कि पुलिस ने बच्चों के मरने की एफआईआर तब जाकर दर्ज की जब उन्होंने थाने का घेराव किया और ऐलान किया कि जब तक एफआईआर नहीं होगी, बच्चों की अंत्येष्टी नहीं की जाएगी.
# 4 दिन तक चेतराम कहते रहे कि उनके बच्चे की मौत रेत में गाड़े जाने से हुई है. फिर अचानक न सिर्फ उन्होंने शिकायत से विधायक के बेटे का नाम वापस लिया बल्कि बेटे के मरने की वजह पर भी अपना दावा वापस ले लिया. ये सब विधायक के मीडिया के सामने आने के कुछ घंटों बाद हुआ.
बच्चों की मौत के बाद जमा लोग
बच्चों की मौत के बाद जमा लोग

इस सब से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन बच्चों की मौत पर गंभीर कार्रवाई में रुचि नहीं ले रहा था. ज़्यादा ज़ोर इस बात पर था कि कैसे मामले में से विधायक के बेटे का नाम हटवाया जाए. 'दी लल्लनटॉप' ने इस बारे में एक स्थानीय पत्रकार से बात की. उन्होंने इसकी तस्दीक की. उनका कहना था कि सीधे नाम भले न लिया जा सके, पर इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि चेतराम अपना बयान बदलने के लिए खासे दबाव में थे और ये दबाव एक ही जगह से आ सकता था.

बहरहाल, चेतराम के बयान के बाद मामले का रुख बदला है लेकिन खत्म नहीं हुआ है. घटना में करण के अलावा निसार की जान भी गई थी. निसार के परिवार ने भी यही कहा था कि उनके बेटे की हत्या हुई है. उनका कहना था कि जिस गड्ढे में उसकी लाश मिली उसे रात में भी तलाशा गया था. लेकिन तब वो वहां नहीं मिला था. उसकी लाश सुबह वहां लाकर डाली गई. लेकिन इस पूरे शोर में निसार की कहानी कहीं गुम हो गई.
असल बात जो भी हो, उसके लिए एक निष्पक्ष जांच की ज़रूरत है.


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