जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव (Jual Oram) गोंडवाना एक्सप्रेस से अचानक गायब हो गए. वे दिल्ली से जबलपुर जा रहे थे. बताया जा रहा है कि आखिरी बार उन्हें दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर देखा गया था, जब वे ट्रेन में सवार हुए थे. सुबह जब उनकी बर्थ खाली मिली तो हड़कंप मच गया (Minister Missing from Train).
ट्रेन से अचानक लापता हुए केंद्रीय मंत्री, सुबह जब दूसरे स्टेशन पर मिले तो...
Madhya Pradesh के एक स्टेशन पर केंद्रीय मंत्री Jual Oram का शुगर लेवल कम हो गया और कुछ खाने के लिए वे ट्रेन से नीचे उतर गए. तभी गाड़ी चल दी. मंत्री उरांव ने चढ़ने की कोशिश की, लेकिन उनका पैर फिसल गया और वे नीचे गिर गए. फिर क्या हुआ?
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सिहोरा में RPF पोस्ट प्रभारी राजीव खरब ने लल्लनटॉप को बताया कि केंद्रीय मंत्री शनिवार, 3 मई को दिल्ली से गोंडवाना एक्सप्रेस में सवार हुए थे. रविवार, 4 मई की सुबह करीब 3:45 बजे मध्यप्रदेश के दमोह स्टेशन पर गाड़ी रुकी. इसी दौरान उनका शुगर लेवल कम हो गया और कुछ खाने के लिए वे ट्रेन से नीचे उतर गए. तभी गाड़ी चल दी. मंत्री उरांव ने चढ़ने की कोशिश की, लेकिन उनका पैर फिसल गया और वे नीचे गिर गए. गनीमत रही कि वे प्लेटफॉर्म पर ही गिरे. अभी तक इसकी भनक उनके स्टाफ को नहीं लगी थी. अधिकारी ने बताया कि गोंडवाना एक्सप्रेस निकल गई और दूसरे प्लेटफॉर्म पर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस आ गई. इसी ट्रेन में केंद्रीय मंत्री उरांव बैठ गए. जब उनके स्टाफ ने गोंडवाना एक्सप्रेस में उनकी बर्थ खाली पाई तो अफरातफरी मच गई.
RPF अधिकारी ने बताया कि जैसे ही इस मामले की सूचना मिली तो स्टाफ को अलर्ट कर दिया. करीब 3 घंटे तक ट्रेन और ट्रैक पर सर्च अभियान चलाया. इसके बाद वे सुबह करीब 7 बजे सिहोरा स्टेशन (जबलपुर) पर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के कोच B3 में मिले. उनके हाथ-पैर में चोट लगी हुई है. प्राथमिक उपचार देकर उन्हें जबलपुर लाया गया. फिलहाल, खबर लिखे जाने तक केंद्रीय मंत्री उरांव की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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कौन है जुएल उरांव?ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में जन्मे उरांव एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार से आते हैं. उनका राजनीतिक जीवन साल 1989 से शुरु हुआ. वे BJP में शामिल हुए और 1990 में बोनाई विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने. इसके बाद पहली बार उन्होंने 1998 में उरांव सुंदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता और तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें 1999 में केंद्रीय जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया. PM मोदी की पहली कैबिनेट में भी (2014-19) उरांव को जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया गया था. लेकिन उनके बाद अर्जुन मुंडा ने कार्यभार संभाला था. हालांकि, मोदी सरकार के 3.0 केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें फिर जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया गया.
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