The Lallantop

सरकार के इशारे पर विपक्ष को निशाना बनाती है ED? आंकड़े क्या कहते हैं?

Arvind Kejriwal की गिरफ़्तारी से पहले ही आतिशी मार्लेना ने कहा था कि ED को अब एक निष्पक्ष जांच एजेंसी के बजाय भाजपा का एक राजनीतिक टूल माना जाता है, जिसका इस्तेमाल विपक्ष को ख़त्म करने के लिए किया जा रहा है.

Advertisement
post-main-image
अरविंद केजरीवाल से पहले हेमंत सोरेन को गिरफ़्तार किया गया था.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) गिरफ़्तार हो गए हैं. जेल में बंद हैं. गुरुवार, 21 मार्च की देर शाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें उनके आवास से गिरफ़्तार कर लिया था. कथित शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) केस में ED ने उन्हें 10 बुलावे भेजे थे, मगर उन्होंने लगातार उपेक्षा की. गिरफ़्तारी की लटकी हुई तलवार पर दिल्ली की शिक्षा मंत्री और आम आदमी पार्टी नेता आतिशी मार्लेना ने बीते रोज़, 21 मार्च को ही कहा था कि ED को अब एक निष्पक्ष जांच एजेंसी के बजाय भाजपा का एक राजनीतिक टूल माना जाता है, जिसका इस्तेमाल विपक्ष को ख़त्म करने के लिए किया जा रहा है. जनवरी, 2024 में ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ख़ुद ED के समन को ग़ैर-क़ानूनी बताकर कहा था कि भाजपा खुलेआम CBI और ED का इस्तेमाल करके दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़कर बीजेपी में शामिल कर रही है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

ऐसे आरोप नरेंद्र मोदी सरकार पर लगते रहे हैं कि उसने केंद्रीय जांच एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल किया है. इससे CBI और ED जैसे संस्थानों की विश्वस्नीयता भी सवालों के घेरे में आई है. मगर इसमें सत्य कितना है?

ED सरकारी नहीं, सरकार की?

जुलाई, 2023 में केंद्र सरकार से संसद में केंद्रीय एजेंसियों के केसों का ब्योरा मांगा गया था. जवाब में सरकार ने बताया कि प्रीवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के तहत, बीते तीन सालों में ED ने 3,110 केस दर्ज किए गए. वहीं, फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट (FEMA) के तहत, बीते तीन सालों में 12,233 से ज़्यादा केस दर्ज किए गए.

Advertisement

इसके अलावा सितंबर, 2022 में इंडियन एक्सप्रेस ने अदालत के रिकॉर्ड, एजेंसी के बयानों और ईडी द्वारा बुक किए गए, गिरफ़्तार किए गए, छापे या पूछताछ किए गए राजनेताओं की जांच के आधार पर एक रिपोर्ट छापी थी. इसके मुताबिक़, 2014 में NDA की सरकार बनने के बाद से नेताओं के ख़िलाफ़ ED केसों में बहुत तेज़ बढ़त दिखी है. UPA शासन की तुलना में चार गुना ज़्यादा. रिपोर्ट में पता चला कि 2014 और 2022 के बीच 121 प्रमुख राजनेताओं पर ED की नकेल कसी है. इनके ख़िलाफ़ या तो मुक़दमा दर्ज किया गया या छापे पड़े, पूछताछ की गई और गिरफ़्तार भी किए गए. इन 121 में से 115 नेता विपक्ष के हैं. यानी 95% मामले.

मगर सितंबर, 2022 या जुलाई, 2023 हो. तब से अब तक ED के दफ़्तर के बाहर से बहुत सारे कबूतर उड़ चुके हैं. और नेता भी एजेंसी के रडार पर आ गए हैं. जैसे, दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया, जिन्हें मार्च, 2023 में इसी दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ़्तार किया गया था. फिर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की तरह ही ED के कई समन मिस किए और जनवरी, 2024 में गिरफ़्तार हो गए. हाल ही में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता और तेलंगाना के पूर्व-सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को भी अरेस्ट कर लिया गया था.

ये भी पढ़ें - दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल का नाम आया कैसे?

Advertisement

जब भी ये बहस छिड़ती है कि केंद्रीय एजेंसियों को राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, अक्सर एक पैरेलल खींचा जाता है - 'ऐसा कब नहीं होता था? कांग्रेस-राज में भी होता था?' एक्सप्रेस की खोजी रिपोर्ट के मुताबिक़, UPA सत्ता के दो कार्यकाल - 2004 से 2014 - के दौरान कुल 26 नेताओं पर ED ने कार्रवाई (पूछताछ) की थी. इनमें 14 नेता विपक्ष से थे. क़रीब 54 फ़ीसदी.

जिस क़ानून की ज़द में ये बड़े विपक्षी नेता हैं - PMLA - उसमें 2005, 2009 और 2012 में संशोधन किए गए थे. तब कांग्रेस सत्ता में थी. लेकिन तब ED की ताक़तें सीमित थीं. अगर किसी अन्य एजेंसी की ओर से दर्ज FIR या चार्ज़शीट में PMLA की धाराएं लगती थीं, तब ही ED जांच कर सकती थी. 2019 में PMLA में संशोधन किया गया. एजेंसी को ख़ुद ये ‘एजेंसी’ दी गई कि वो लोगों के आवास पर छापे मार सकती है, गिरफ़्तारी भी कर सकती है.

कितने केस अंजाम तक पहुंचे?

जितनी तत्परता विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ दिखती है, उस पर भी सवाल उठते हैं. सवालों में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा या महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार का ज़िक्र आता है, जिनके ख़िलाफ़ भाजपा जॉइन करने से पहले वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगे थे. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान 'व्यापम घोटाले' जैसे पुराने मामले भी ठंडे बस्ते में चले गए हैं. यही हाल कर्नाटक में भाजपा शासन के दौरान लगे भ्रष्टाचार के छोटे-बड़े मामलों का है. मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा और बी.एस. बोम्मई के कई मंत्रियों पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. अब उन केसों का क्या अपडेट है, इसकी कोई जानकारी नहीं.

ये भी पढ़ें - अरविंद केजरीवाल CM की कुर्सी पर रहते हुए जेल जाने वाले पहले नेता बने

वैसे तो ED का दावा है कि उन्होंने 96% मामलों को अंजाम तक पहुंचाया है. मगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स इससे उलट दावा भी करती हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये बताया गया है कि मार्च 2023 तक ED ने कुल 5,906 मामले दर्ज किए थे, मगर केवल 1,142 केसों में ही चार्जशीट दायर की. इनमें से भी केवल 25 मामलों का ही निपटारा हो पाया. यानी कुल मामलों का 0.47 फ़ीसदी. 25 में से 24 मामलों में सज़ा भी हुई. इस लिहाज़ से एजेंसी का 96% वाला दावा सटीक है. लेकिन कुल मामलों का तो एक फ़ीसदी भी अंजाम तक नहीं पहुंच रहा.

ऐसी स्थिति में विपक्ष के ‘एजेंसियों के दुरुपयोग’ वाले दावे को तूल मिलता है. 

वीडियो: उम्रकैद में कितने साल की सजा होती है?

Advertisement