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कभी हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक थी ये सूफ़ी दरगाह, अब दोनों ने इसी पर तलवारें खींच रखी हैं

अहमदाबाद की पिराना दरगाह मुसलमानों के लिए तो ये एक पवित्र जगह है ही, हिंदू भी यहां पूजा करते आए हैं. अब हिंदुओं पर दरगाह के 'भगवाकरण' करने के आरोप लग रहे हैं.

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अहमदाबाद की पिराना दरगाह. (फ़ोटो - pirimamshahbawa.org)

गुजरात की राजधानी गांधीनगर से कुछ दूर अहमदाबाद में पिराना दरगाह है. सूफ़ी संत पीर इमामशाह बावा और उनके परिवार की क़ब्रें हैं. कथित तौर पर एक समूह ने इस पर हमला किया था. इसके बाद दो गुटों के बीच हिंसा शुरू हुई. दोनों गुटों ने एक-दूसरे पर पथराव किया. झड़प में पुलिस ने पहले 35 लोगों को गिरफ़्तार किया था. गुरुवार, 9 मई को दस और लोगों को हिरासत में लिया गया है.

शुरू से मसला समझिए

दरगाह परिसर में उनके चार पोते और एक पोती के लिए एक मंदिर, उनके नाम पर एक मस्जिद और एक क़ब्रिस्तान शामिल था, जहां इमामशाह बावा के वंशज को दफ़नाया गया था. इस पूरे परिसर को 'पीर इमामशाह बावा रोज़ा ट्रस्ट' संचालित करता है. मूलतः 600 साल पुराने इस दरगाह को हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता था. मुसलमानों के लिए तो ये एक मुक़द्दस जगह है ही, हिंदू भी यहां पूजा करते आए हैं. संत के हिंदू अनुयायियों को 'सतपंथी' कहा जाता है. दोनों मज़हब के सूफ़ी आस्था वाले लोग यहां आते रहे हैं. संचालन में भी हिंदू और मुस्लिम, दोनों ट्रस्टी हैं. हिंदुओं की संख्या ज़्यादा है.

हालांकि, कुछ समय से चल रहे विवादों ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को जन्म दिया है. अगस्त, 2023 में हिंदू अनुयायियों ने सूफ़ी संत को 'सदगुरु हंसतेज महाराज' नाम से पुकारना शुरू किया. स्थानीय सैयद समुदाय के मुस्लिम वंशजों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. हिंदुओं पर दरगाह के 'भगवाकरण' करने के आरोप लगाए और विरोध में धरने पर बैठ गए. हिंदू गुट ने तर्क दिया बीते 4,000 बरसों से संत के साथ 'हंसतेज महाराज' नाम जुड़ा हुआ है. धर्मग्रंथों में इसका ज़िक्र मिलता है.

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मुस्लिम ट्रस्टियों ने अधिकारियों के सामने एक अभ्यावेदन दायर किया, कि दरगाह को हिंदू धार्मिक स्थल में बदलने के क़वायद चल रही है. कथित तौर पर धीरे-धीरे कुछ क़ब्रों को कंक्रीट की दीवारों से ढक दिया गया, मीनारों में बदलाव किए गए, क़ब्रिस्तान और दरगाह को विभाजित करने के लिए दीवार बनाई गई, क़र्बला ग़ायब हो गया और मूर्तियां स्थापित की गईं. समाधि पर देवताओं के पोस्टर चिपकाने और दरगाह के सामने 'ओम श्री सद्गुरु हंसतेजी महाराज अखंड दिव्यज्योति मंदिर' की होर्डिंग लगवाने के भी आरोप लगाए.

विवाद गुजरात हाई कोर्ट तक पहुंच गया. सुन्नी अवामी फोरम ने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की. PIL में आरोप लगाया कि ट्रस्ट की योजना और  पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के उलट मूर्तियों की स्थापना के साथ दरगाह को मंदिर में बदला जा रहा है.

पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के मुताबिक़, किसी भी पूजा स्थल को बदला नहीं जा सकता. 15 अगस्त, 1947 की तारीख़ को जिस स्थल का जो धार्मिक चरित्र था, वो बना रहना चाहिए

इमामशाह बावा रोज़ा ट्रस्ट की मैनेजमेंट कमेटी में सतपंथी (हिंदुओं) की बहुमत है. कुल 11 सदस्य हैं - तीन सैय्यद मुस्लिम और बाक़ी आठ हिंदू ट्रस्टी.

हालिया हिंसा कैसे भड़की?

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये हालिया हिंसा दरगाह पर हमले के बाद शुरू हुई है. हमलावरों ने सूफ़ी संत की कब्र को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है. बुधवार, 8 मई को दरगाह के दो ट्रस्टियों - सिराजुसेन सैय्यद और प्रवीणभाई राजाभाई पटेल ने शिकायत दायर की और इसी के आधार पर असलाली पुलिस स्टेशन में दो क्रॉस-FIR दर्ज की गई हैं.

सैय्यद की शिकायत में 14 लोगों और 'अन्य अज्ञात व्यक्तियों' के नाम हैं, और आरोप कि हिंदू गुट ने इमामशाह बावा की मुख्य कब्र सहित 13-14 कब्रें तोड़ दीं. फिर उनके ऊपर पत्थर लगा दिए. जब वो 8 मई की सुबह दरगाह गए, तो उन्हें विध्वंस का पता चला. हिंदू गुट की तरफ़ से जो FIR दर्ज करवाई है, उसमें 43 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

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अहमदाबाद (ग्रामीण) से पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश जाट ने मीडिया को बताया,

मंगलवार, 7 मई की रात एक समूह ने मौजूदा तनाव के चलते पिराना दरगाह में क़ब्रों में तोड़फोड़ की. इससे समुदायों के बीच झड़पें और पथराव शुरू हो गया.

देर रात दोनों समुदायों से बड़ी संख्या में लोग दरगाह स्थल पर जुटे थे, लेकिन स्थिति को संभालने के लिए तुरंत एक पुलिस दल तैनात कर दिया गया.

Siasat.com ने SP ओमप्रकाश जाट से बात की. उन्होंने पुष्टि की है कि 35 लोगों को गिरफ़्तार किया गया और 10 को हिरासत में लिया गया है. उनका कहना है कि गिरफ़्तार किए गए लोगों में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग थे और कुछ बाहरी थे.

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