जेसिका लाल हत्याकांड में मनु शर्मा के छूट जाने के बाद इंडिया टुडे मैग्ज़ीन में छपी खबर. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव)
हमारी चेतना में 'जेसिका लाल' के साथ जिस शिद्दत के साथ 'हत्याकांड' जुड़ा हुआ है, वो बताता है कि एक मौत किस कदर तमाशा बन सकती है. जेसिका की ज़िंदगी, उसकी मौत और फिर उसे मारने वाले मनु शर्मा उर्फ सिद्धर्थ वशिष्ठ से जुड़ी कोई भी बात होती है, खबर बन जाती है. तो ताज़ा खबर ये है कि जेसिका की बहन सबरीना लाल ने दिल्ली की तिहाड़ जेल के वेलफेयर ऑफिसर को एक चिट्ठी लिखकर बताया है कि उन्हें मनु शर्मा की रिहाई में कोई आपत्ति नहीं है. मनु पिछले 15 साल से तिहाड़ में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहा है और अच्छे बर्ताव के चलते बीते 5 महीनों से खुली जेल में है.
सबरीना ने इस चिट्ठी के बारे में मीडिया को बताते हुए कहा,
''मैं ईसाई हूं और माफ करने में यकीन रखती हूं. मेरी मां ने मनु को 1999 में ही माफ कर दिया होता अगर उसने खुद माफी मांगी होती. मैंने अपनी बहन और मां-बाप को खो दिया है. हमारी ज़िंदगी में एक वक्त वो भी आता है, जब हमें कुछ चीज़ों को पीछे छोड़ देना होता है. मैं विक्टिम वेलफेयर बोर्ड की ओर से मिलने वाले पैसे भी नहीं लेना चाहती. इन्हें किसी ज़रूरतमंद को दे देना चाहिए.''
सबरीना लाल. अपनी बहन को इंसाफ दिलाने के लिए इन्होंने लंबा कैंपेन चलाया था.सबरीना ने जो कहा है, उसके लिए बड़ा दिल चाहिए. लेकिन आज तक आते-आते सबरीना ने एक बहुत लंबा सफर तय किया है. और इस सफर का सबसे मार्मिक हिस्सा वही है जिसमें उन्होंने न सिर्फ अपनी बहन को खोया, बल्कि न्याय की सारी उम्मीदें भीं. सरेआम हुए एक जुर्म में शामिल होने के बावजूद एक लंबे कैंपेन के बाद ही मनु को सज़ा हो पाई.
इस सफर को हमारी टीम की प्रेरणा यहां पेश कर रही हैं. पढ़िए. महसूस कीजिए.
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जेसिका (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव).शराब पीने वाली लड़कियां गन्दी होती हैं. ऐसा हमेशा से लोगों से सुना. शराब परोसने वाली लड़कियां
कैरेक्टरलेस होती हैं. ये सब भी हर बार घर पर सुना. दोस्तों से सुना. सबने कहा ऐसी लड़कियां भरोसे के लायक नहीं होतीं. एक लड़की जो मॉडल थी, साउथ दिल्ली के बार में एक पार्टी में बार-टेंडिंग कर रही थी, सबके सामने मार दी गई. उस भरे बार में, सबने देखा दो गोलियां चलीं. एक गोली छत की तरफ. दूसरी गोली लड़की के माथे में लगी. वो उलट गई. तब उसके पास खड़ा लड़का चीखते हुए भागा,
“किसी ने जेसिका को गोली मार दी है.”
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लड़की थी जेसिका लाल. एक मॉडल. सेलेब्रिटी बारटेंडर. जिसे किसी ने नहीं मारा था. फिर भी वो मरी. और उसके बाद देश में ऐसा तूफ़ान खड़ा कर गई कि लोग सड़कों पर उतर आए. उसी मॉडल के लिए. जिसे इसलिए मार दिया गया था क्योंकि उसने एक बड़े बाप के बेटे को कह दिया था, शराब खत्म हो गई है, और नहीं मिलेगी.
मनु शर्मा. आज ये तिहाड़ जेल में अपने नाम से एक एनजीओ चलाता है. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव)बीना रमानी नाम की सोशलाईट थीं एक. 29 अप्रैल, 1999 को क़ुतुब कोलोनेड के टैमरिंड कोर्ट रेस्त्रां में पार्टी हो रही थी उनकी. शराब वगैरह चल रही थी, जैसी इस तरह की पार्टियों में चला करती है. हमारी तरफ ऐसी पार्टियों को हाई-फाई पार्टी कहते हैं. उसी पार्टी में जेसिका लाल शराब के बार के पीछे थी. पार्टी में आए लोगों को शराब सर्व कर रही थी. 11.30 के आस-पास शराब खत्म हो गई वहां पर. बारह बजे के आस-पास मनु शर्मा उर्फ़ सिद्धार्थ वशिष्ठ आया. उसके साथ उसके तीन दोस्त भी थे. अमरदीप सिंह गिल, आलोक खन्ना, और विकास यादव.
मनु अन्दर आया और शराब मांगी. जेसिका ने मना कर दिया. मनु शर्मा ने उससे दुबारा कहा, और हज़ार रुपए तक देने की भी बात की. लेकिन जेसिका ने मना कर दिया. शराब थी ही नहीं. वैसे भी साढ़े बारह बजे तक रेस्त्रां बंद हो जाता. जेसिका के मना करने पर मनु ने अपनी .22 कैलिबर की पिस्टल निकाली और हवा में एक फायर किया. वो गोली छत को जा लगी. जेसिका तब भी नहीं डरी और शराब देने से मना कर दिया. इस बार मनु की पिस्टल नीचे आई, और दूसरी गोली धड़ाक से सीधे जेसिका के सिर में लगी. उसके पास खड़ा लड़का शायन मुंशी जोर से चीखा,
“किसी ने जेसिका को गोली मार दी”.
शायन मुंशी. सबसे मज़बूत गवाह जो बाद में पलट गया. (फोटोःइंडिया टुडे आर्काइव)भाग-दौड़ का फायदा उठाकर मनु शर्मा और उसके दोस्त वहां से निकल गए. इसके बाद जेसिका को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे डेड बता दिया गया. केस दर्ज हुआ. लेकिन एक दिक्कत थी. जिन लोगों पर केस दर्ज हुआ, सब बड़े बाप की औलाद थे. दिल्ली की लैंग्वेज में कहें तो वो जानते हैं न,
‘तू जानता है मेरा बाप कौन है’ टाइप. मनु शर्मा के पापा विनोद शर्मा कांग्रेस नेता थे. सेंटर में मिनिस्टर रह चुके थे. ट्रायल के समय हरियाणा में मिनिस्टर थे. विकास यादव के पापा धरमपाल यादव उत्तर प्रदेश के जाने माने माफिया डॉन थे. नेता भी थे. अब समझ लो आप. ऐसा था केस.
जब गवाह पेश होने शुरू हुए, एक-एक करके वो सभी लोग जो विटनेस थे, अपने बयान से मुकरते गए. मुकर गए मतलब पहले कुछ कहा, फिर कुछ और कहा. जिस शायन मुंशी ने जेसिका के साथ शराब सर्व की थी उस रात, उसने कहा कि उसको हिंदी आती ही नहीं. उसने अंग्रेजी में बयान दिया था. और उसकी गवाही हिंदी में फाइल हुई थी. उसने ये भी बोला कि उस रात बार के काउंटर पर दो लोग थे जिन्होंने गोली चलाई. यानी दो गोलियां दो अलग-अलग लोगों ने चलाई. यू-टर्न के बापों का बाप निकला ये लड़का.
जॉर्ज मेलहॉट, बीना रमानी और मालिनी रमानी. वो गवाह, जो धमकी के आगे झुके नहीं.शायन ही नहीं, एक एक करके उस रात मौजूद लोगों में जो आई विटनेस थे, तीन-चार लोगों को छोड़कर सबने मनु को पहचानने से इनकार कर दिया. जिन्होंने मनु को अदालत के सामने पहचाना, वो थे:
बीना रमानी- जिनकी पार्टी थी
मालिनी रमानी- बीना रमानी की बेटी
जॉर्ज मेलहॉट – बीना रमानी के कैनेडियन पति.
इसके बाद शायन मुंशी ने जो रायता फैलाया था ये बोल कर कि दो लोगों ने गोलियां चलाई थीं, उसकी वजह से लोअर कोर्ट में अच्छा ख़ासा तमाशा हो गया. बैलिस्टिक रिपोर्ट, यानी गोली की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ हुई, और पुलिस ये साबित करने में नाकाम रही कि दोनों गोलियां एक ही पिस्टल से चली थीं.
अमरदीप सिंह गिल. मनु शर्मा का दोस्त जो वारदात के वक्त उसके साथ था. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव)एक तरफ दबदबा था, रसूख था. दूसरी तरफ सिर्फ आशा कि न्याय मिलेगा. मनु शर्मा का केस राम जेठमलानी ने लड़ा था. वही, जिन्होंने कई सारे हाई प्रोफाइल केस लड़े हैं. जेठमलानी सुप्रीम कोर्ट में बड़े दबदबे वाले वकील हैं. मेरे भैय्या बता रहे थे, एक हियरिंग के कई-कई लाख लेते हैं.
मामले में गाज तो बीना रमानी पर भी गिरी. मालूम हुआ कि उनका बार इल्लीगल था. माने लाइसेंस नहीं था उनके पास शराब सर्व करने का. लेकिन पैसा बहुत था, तो चल रहा था सब कुछ जब तक ये केस नहीं हो गया. लोअर कोर्ट में जज एस. एल. भयाना ने मनु शर्मा को बरी कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में अगले दिन 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने छापा,
''नो वन किल्ड जेसिका.''
विकास यादव, इसके पिता यूपी के डॉन थे. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव)बट देन, हू किल्ड जेसिका?2006 में ट्रायल कोर्ट ने सबको बरी किया. इस पर बवाल हुआ. शायन मुंशी ने कोर्ट के सामने कहा था कि उसे हिंदी नहीं आती थी. तहलका के दो रिपोर्टर उसके पास पहुंचे. स्टिंग ऑपरेशन किया. स्टिंग ऑपरेशन माने जिसमें छुपे हुए कैमरे से बातें रिकॉर्ड कर लेते हैं. ये दो रिपोर्टर उसके पास गए हॉलीवुड के एजेंट बनके. कहा बड़ा प्रोजेक्ट लेके आए हैं उसके लिए. स्ट्रगलिंग एक्टर था शायन. उसे लगा अच्छा मौका है. लेकिन उनकी एक शर्त थी. उनको देखना था कि शायन को हिंदी ढंग से आती भी है या नहीं. क्योंकि प्रोजेक्ट यहीं का होना था. उनके सामने शायन के असली रंग खुल गए. उसने लपककर दिखा दिया कि उसको हिंदी समझ में भी आती है. बोलनी भी. लिखनी भी. पढ़नी भी. कोई दिक्कत नहीं. हो गया उसका खेल ख़त्म.
इसके बाद और भी ज्यादा बवाल बढ़ गया. और बवाल से प्रेशर में आकर दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने मनु शर्मा और उसके तीन दोस्तों को दोषी ठहरा दिया. मनु शर्मा को पूरी ज़िन्दगी जेल में बिताने की सजा मिली. पचास हज़ार का जुर्माना भी लगा.
आरोपियों के छूटने के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. (फोटोःइंडिया टुडे आर्काइव)इसके बाद मनु शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की. 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सज़ा वही बरकरार रखी. जेसिका को गोली मारने वाले मनु शर्मा को पूरी ज़िन्दगी जेल में काटने की सजा मिली. एक ऐसा केस जिसमें जनता और मीडिया ने मिलकर दोषी को आखिरकार घसीट ही लिया. और झुकना पड़ा उस सिस्टम को जिसमें आम तौर पर वो लोग छूट जाते हैं जिनके पास पैसा होता है. रसूख होता है. जिनके बाप बड़े आदमी होते हैं.
एक लड़की मर गई, लेकिन
‘तू जानता है मेरा बाप कौन है’? पूछने वालों को उनकी असली औकात दिखा गई.
जेसिका के पिता. वो अपनी ज़िंदगी में अपनी बेटी के कातिलों को सज़ा पाते नहीं देख पाते. (फोटोःइंडिया टुडे आर्काइव)
दी लल्लनटॉप के लिए ये स्टोरी प्रेरणा ने की है.