सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose Wala) मशहूर पंजाबी सिंगर. रविवार को पंजाब (Punjab) के मनसा (Mansa) में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. पुलिस का कहना है कि उनकी गाड़ी पर 30 से 35 राउंड फायर किए गए. हैरानी की बात ये है कुछ ही मिनटों में इतनी ज्यादा गोलियां कैसे दागी गईं. मौके से मिले गोलियों के खोखे की पड़ताल की तो जो पता चला उससे जांच एजेंसियों के हाथ-पैर फूल गए. एएन-94 (AN-94) खतरनाक ऑटोमेटिक रूसी असाल्ट राइफल (Russian Assault Rifle). इसी से चली हुई गोलियों के खोखे सिद्धू मूसेवाला की गाड़ी के पास से मिले. एजेंसियां पता लगाने में जुटी हैं कि रूसी राइफल पंजाब के अंदर कैसे आई?
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हम आपको बताएंगे कि AN-94 राइफल की कहानी क्या है?
AN-94 राइफल किसने बनाई?AN-94 असॉल्ट राइफल, पूरा नाम एवतोमैत निकोनोव-94 असाल्ट राइफल (Avtomat Nikonova-94). इसकी डिजाइनिंग में एक दशक से ज्यादा का समय लगा. ये काम 1980 में शुरू हुआ और 1994 में जाकर पूरा हुआ. इसे रूस की डिफेन्स इंडस्ट्री के बेहद चर्चित व्यक्ति और चीफ डिजाइनर गेनाडी निकोनोव ने बनाया था. निकनोव को न सिर्फ उनकी कंपनी ने बल्कि रूसी रक्षा मंत्रालय से बेस्ट डिज़ाइनर का अवॉर्ड मिला था. कहा जाता है कि निकनोव 2003 में 52 साल की उम्र में मृत्यु से पहले तक 44 हथियारों के कॉपीराइट हासिल कर चुके थे.

AN-94 असॉल्ट राइफल में 'दो शॉट बर्स्ट ऑपरेशन' का ऑप्शन मिलता है यही बात इसे एक खतरनाक राइफल बना देती है. 'दो शॉट बर्स्ट ऑपरेशन' का मतलब है कि एक के बाद एक दो गोलियां बेहद तेजी के साथ निकलती हैं. इनके निकलने के समय में महज कुछ माइक्रो सेकेंड्स का ही अंतर होता है. यानी दुश्मन को एक साथ धड़ाधड़ दो गोलियां लगती हैं.
AN-94 से बर्स्ट मोड में कितनी गोलियां निकलेंगी?इस राइफल से बर्स्ट मोड में 1800 राउंड गोलियां दागी जा सकती हैं. हालांकि, आमतौर पर हर मिनट इससे 600 राउंड गोलियां निकलती हैं. इससे निकलने वाली गोलियों की स्पीड 900 मीटर प्रति सेकेंड होती है.अन्य चीजों की बात करें तो AN-94 असॉल्ट राइफल का वजन तकरीबन 4 किलोग्राम है. बट के साथ इसकी लंबाई 37.1 इंच और बगैर स्टॉक के 28.7 इंच होती है. इसके बैरल यानी नली की लंबाई 15.9 इंच है. एएन-94 की फायरिंग रेंज 700 मीटर है.
लेकिन AN-94 पहली पसंद नहीं बन सकीरूसी सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक AN-94 को 1974 में बनी रूसी ऑटोमेटिक राइफल AK-74 सीरीज की राइफल्स को रिप्लेस करने के लिए बनाया गया था. लेकिन एक अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल होने के बावजूद भी यह सुरक्षा बलों के मन को नहीं भायी. इसकी वजह राइफल की जटिल डिजाइन बताई जाती है. बताते हैं कि डिजाइन के चलते यह राइफल AK-74 और AK-47 की तरह चलाने में आसान नहीं है. यह इन दोनों राइफल्स की तरह यूजर फ्रेंडली भी नहीं है. इसे चलाने में महारत हासिल करने में महीनों का समय लग जाता है. इसके अलावा इसका मेंटिनेंस और इसे रिपेयर करवाना भी आसान काम नहीं है.

इस समय इस AN-94 का इस्तेमाल रूस की सेना, पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसीज कर रही हैं. इसके अलावा आयरलैंड की आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने 2001 में इन राइफल्स का बड़ा स्टॉक रूस से लिया था. इसके अलावा अन्य किसी देश ने ये राइफल अब तक रूस से नहीं खरीदी है.
वीडियो देखें | सिद्धू मूसेवाला की हत्या के आरोपी लॉरेंस विश्नोई की कहानी