संगीत और मंचीय कला के हमारे दोनों पारंपरिक कला रूपों को पुनर्जीवित करने और पश्चिमी और भारतीय लोकप्रिय फिल्म संगीत में अधिक रुचि रखने वाली वर्तमान युवा पीढ़ी को इन कला शैलियों से रूबरू कराने तथा इन्हें पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से,
भारतीय संगीत सदन और श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर से राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में संगीत, नृत्य और गायन (ध्रुपद) के एक महत्वपूर्ण उत्सव -
स्वामी हरिदास-तानसेन - संगीत-नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव के माध्यम से
’महफिल-अंदाज’ में महान गुरु-शिष्य परंपरा को बढ़ावा दिया जाएगा. संगीत-प्रेमियों के लिए संगीत पेश करने की पुरानी, शास्त्रीय शैली मुगल अवधि के दौरान प्रचलित थी और इसे भारत के दो महान संगीत प्रतिभाओं, बृंदावन के सम्मानित संत-संगीतकार, कवि और संगीतकार स्वामी हरिदास और उनके शानदार शिष्य मियां तानसेन - बैजू बावरा के उदाहरण से समझा जा सकता है.
स्वामी हरिदास-तानसेन - संगीत-नृत्य महोत्सव का आयोजन करके सांस्कृतिक ’पुनर्जागरण’ और संगीत लोकाचार के पुनर्जीवन के माध्यम से इन्हें जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है तथा संगीत विरासत का प्रसार करने का प्रयास किया जा रहा है. स्वामी हरिदास-तानसेन - संगीत-नृत्य महोत्सव पिछले 14 सालों से दिल्ली में संगीतकारों, संगीत प्रेमियों को शालीनता के साथ सम्मोहित कर रहा है. पारंपरिक, शास्त्रीय संगीत और प्रदर्शन कला में दिलचस्पी रखने वाले, जानकार और उत्साही दर्शकों को आमंत्रित कर उनके सामने कुछ शानदार संगीत पहले ही पेश किये जा चुके हैं. यह उत्साहवर्द्धक है कि इस महोत्सव में युवा पीढ़ी के जुड़ने से हर साल दर्शकों से मिलने वाली प्रतिक्रिया में वृद्धि हो रही है. इसकी लोकप्रियता को बढ़ाने और कई राज्यों तक पहुंचने और विशेष रूप से युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने और भारतीय सांस्कृतिक आस्था, परंपराओं और मूल्यों को जीवित रखने और समाज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संरचना को समृद्ध करने के लिए भारतीय संगीत सदन और श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर से
स्वामी हरिदास-तानसेन - संगीत-नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

यह कार्यक्रम 4 दिनों तक चलेगा और संगीत और नृत्य का यह महोत्सव नई दिल्ली के
बाराखंबा रोड स्थित
शंकर लाल हाॅल में 11, 12, 13 और 14 जनवरी, 2018 को
शाम 6ः30 बजे आयोजित किया जाएगा.
स्वामी हरिदास- तानसेन - संगीत- नृत्य महोत्सव में भाग लेने वाले प्रसिद्ध कलाकारों में
श्रीमती कौशिकी चक्रवर्ती (वोकल), श्री अयान अली बंगाश (सरोद), पंडित छन्नुलाल मिश्रा (वोकल), पंडित उल्हास काशलकर (वोकल), उस्ताद आषीश खान (सरोद), श्री विक्रम घोष (तबला), पंडित विश्वमोहन भट्ट (मोहन वीणा), श्रीमती शुभा मुद्गल (वोकल), पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (बांसुरी), उस्ताद शुजात खान (सितार), उस्ताद अमजद अली खान (सरोद), डॉ. उमा शर्मा (कथक) शामिल हैं.
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