नाम था मदन, बन गए दाती महाराज

राजस्थान के पाली जिले का रहने वाला मदन दिल्ली आया. यहां आने के करीब 20 साल बाद वो बन गया दाती महाराज. उसके अगले 20 साल में उसने बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया.
गांव के ही किसी आदमी के साथ सात साल की उम्र में ही मदन देश की राजधानी दिल्ली में आ गया. यहां उसने पहले तो चाय की दुकानों में छोटे-मोटे काम किए, फिर धीरे-धीरे कैटरिंग का काम सीख लिया. इसके बाद मदन जन्मदिन और छोटी-मोटी पार्टियों के लिए कैटरिंग करने लगा. सिलसिला आगे बढ़ता रहा और मदन का कारोबार भी. लेकिन एक दिन मदन की मुलाकात राजस्थान के एक ज्योतिषि से हुई. वो साल 1996 था. मदन ने कैटरिंग का काम करने के साथ ही राजस्थान के उस बाबा से ज्योतिष विद्या भी सीख ली. ज्योतिष विद्या सीखने के बाद मदन ने कैटरिंग का कारोबार बंद कर दिया. इसे बेचकर मिले हुए पैसों से मदन ने कैलाश कॉलोनी में एक ज्योतिष केंद्र खोल दिया और अपना नाम बदलकर रख लिया दाती महाराज.
जिसने कहा कि शनि शत्रु नहीं मित्र है

जब लोग शनि ग्रह से डर रहे थे, दाती महाराज ने कहा कि शनि शत्रु नहीं, मित्र है.
हिंदू धर्म की कुछ मान्यताएं हैं. इन मान्यताओं में ग्रह दोष भी शामिल हैं. मान्यताओं के मुताबिक कुछ ग्रह जैसे मंगल, बुध और गुरु लाभदायक ग्रह हैं, वहीं शनि ग्रह लोगों को नुकसान पहुंचाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं में शनि की साढ़ेसाती सबसे ज्यादा नुकसानदायक मानी जाती है. दाती महाराज ने इन मान्यताओं का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. जब हिंदू धर्म के लोग शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में आकर उससे बचने के उपाय खोज रहे थे, दाती महाराज ने एक नई थ्योरी दी और कहा कि शनि शत्रु नहीं मित्र है. उस वक्त तक दाती महाराज हिंदू धर्म के इकलौते ऐसे संत बन गए, जिन्होंने अब तक शत्रु माने जा रहे शनि को दोस्त करार दिया. इसके बाद से ही उनके अनुयायियों की संख्या में इजाफा होने लगा.
कांग्रेस नेता का हाथ देखा और वो बन गया विधायक
कैटरिंग का काम छोड़कर नए-नए ज्योतिषि बने दाती महाराज दो साल तक तो अपनी दुकानदारी चलाते रहे. 1998 में दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने थे. कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ने वाला एक नेता दाती महाराज के पास पहुंचा और अपनी कुंडली दिखाई. दाती ने उससे कहा कि इस चुनाव में तुम जीतकर विधानसभा में पहुंच जाओगे. जब चुनाव के नतीजे आए, तो कांग्रेसी नेता चुनाव जीत गया था. इसके बाद वो दाती महाराज से इतना प्रभावित हुआ कि उसने फतेहपुर बेरी में अपने पुस्तैनी मंदिर का काम दाती महाराज को सौंप दिया. दाती महाराज भी उस मंदिर का काम देखने लगे. और धीरे-धीरे करके उस मंदिर के साथ ही उसकी आस-पास की जगहों पर भी कब्जा जमा लिया. आज की तारीख में वो जमीन करीब सात एकड़ है, जिसमें दाती महाराज का आश्रम फैला हुआ है.
अखाड़े ने बना दिया महामंडलेश्वर

दाती महाराज टीवी पर जानी मानी हस्ती हैं. 2010 में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि मिली थी.
2010 में जब हरिद्वार में महाकुंभ लगा तो श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े ने दाती महराज को महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी. उसके बाद से ही दाती महाराज हो गए श्री सिद्ध शक्ति पीठ शनिधाम पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज. इस नाम को छोटा करें तो वो लिखते हैं परमहंस दाती जी महाराज. महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद दाती जी महाराज महानिर्वाणी अखाड़े के मंचों पर जाने लगे और साथ ही देश में होने वाली धर्म संसदों में भी शामिल होने लगे. महामंडलेश्वर बनने के बाद से ही दाती महाराज हरिद्वार और इलाहाबाद में भी अपने आश्रम खोलने की तैयारी में लगे हुए थे.
देखते ही देखते बन गए सेलिब्रेटी

जब टीवी का जमाना आया तो दाती महाराज टीवी पर ज्योतिष बांचने लगे. इसके बाद वो सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हो गए.
फतेहपुर बेरी में कांग्रेस के नेता के मंदिर से अपने साम्राज्य की शुरुआत करने वाले दाती महाराज ने 22 साल के अंदर ही देश के कुछ चुनिंदा बाबाओं की लिस्ट में खुद को शुमार कर लिया. उन्होंने टीवी चैनलों पर शनि शत्रु नहीं मित्र है के नाम से कई कार्यक्रम शुरू किए. इसके अलावा बतौर ज्योतिषि भी वो चैनलों पर आने लगे. इसके बाद उनका साम्राज्य बढ़ता ही गया. उन्होंने खुद का यू-ट्यूब चैनल Gurumantra With Daati Maharaj शुरू कर दिया, जिसपर शनि से संबंधित प्रवचन हैं. इसके अलावा दाती महाराज ने अपना फेसबुक पेज भी बना लिया, जिसपर 34 लाख से भी अधिक फॉलोवर हैं.
कई राज्यों में बना है आश्रम

दिल्ली और राजस्थान के पाली के अलावा और भी कई जगहों पर दाती महाराज की संपत्ति है. उनका एक ट्रस्ट भी है.
पाली से दिल्ली आने के बाद दाती महाराज ने पहला आश्रम फतेपुर बेरी में बनाया. 2003 में इस आश्रम में शनि देव की एक प्रतिमा स्थापित की गई, जो भारत में अब तक की शनि देव की सबसे बड़ी प्रतिमा है. इस आश्रम में अस्पताल, गोशाला और अनाथालय भी हैं. इसके बाद दाती महाराज ने पाली में भी अपना एक आश्रम बनाया. उनका ये आश्रम उनके पुस्तैनी गांव अलावास में है, जिसका नाम आाश्वासन बाल ग्राम है. इस आश्रम में अस्पताल गोशालाएं और अनाथालय भी है. इस आश्रम की शुरुआत के दौरान दाती महाराज ने अपने माता-पिता के मरने का जिक्र करते हुए कहा था कि सात साल की उम्र में ही मां-बाप से बिछड़कर मैं अनाथ हो गया. कोई और अनाथ की तरह जिंदगी न जिए, इसके लिए उन्होंने पाली में अनाथालय शुरू किया. आश्रम की वेबसाइट के मुताबिक फिलहाल उस आश्रम में 800 अनाथ बच्चे रहते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस आश्रम में आने वाले बच्चे की पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी-विवाह तक का खर्च दाती महाराज ही उठाते हैं. इसके अलावा उत्तराखंड में दाती महाराज के कई आश्रम हैं. इन सबको चलाने के लिए एक शनिधाम ट्रस्ट बना है, जिसके मुखिया दाती महाराज ही हैं.
सारी अच्छाइयों पर भारी पड़ गई एक बुराई

दाती महाराज का राजनैतिक रसूख भी ऊंचा था. संघ प्रमुख मोहन भागवत भी दाती महाराज के कार्यक्रम में शामिल हुआ करते थे.
अलावास गांव के लोग बताते हैं कि दाती महाराज देश के किसी भी हिस्से में रहें, लेकिन वो हर शनिवार को और हर अमावस्या को अलावास के आश्रम में ज़रूर आते हैं. अलावास के ही लोगों ने बताया कि 2016 में जब पाली के कुछ हिस्सों में बाढ़ आई थी, तो दाती महाराज ने खाने-पीने से लेकर कपड़े और लोगों के रहने तक की व्यवस्था की थी. लेकिन अब दाती महाराज की ये सारी अच्छाइयां एक किनारे हो गई हैं, वजह ये है कि एक लड़की ने दाती महाराज के ऊपर रेप का केस दर्ज करवाया है. लड़की का आरोप है कि 9 जनवरी 2016 को दाती महाराज ने चरण सेवा के नाम पर फतेहपुर बेरी वाले शनिधाम आश्रम में उसके साथ रेप किया. तंत्र मंत्र के नाम पर उसे डराया धमकाया और उसे पाली वाले आश्रम में भेज दिया. वहां भी 26, 27 और 28 मार्च 2016 को उसके साथ रेप हुआ. डर की वजह से लड़की दो साल तक चुप रही. 6 जून 2018 को लड़की ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर पूरा मामला बताया, जिसके बाद पुलिस ने 11 जून को दाती महाराज के खिलाफ रेप, छेड़छाड़ और धमकी देने के आरोप में आईपीसी की धारा 376, 377, 354 और 504 के तहत केस दर्ज कर लिया है.
पुलिस से नहीं मिल रहे, मीडिया को दे रहे सफाई

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर के साथ दाती महाराज. फोटो से सियासी रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है.
22 साल में फर्श से अर्श तक का सफर करने वाले मदन उर्फ दाती महाराज रेप का केस दर्ज होने के बाद से पुलिस को नहीं मिल पा रहे हैं. केस दर्ज होने के बाद दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी रोमिल बानिया ने कहा है कि उन्हें नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा. लेकिन दाती महाराज ने मीडिया को अपनी सफाई दी है. उन्होंने अखबार दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा है कि ये उनके खिलाफ साजिश की जा रही है. दाती महाराज के मुताबिक जिस पीड़िता ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं, वो अपनी दो बहनों के साथ फतेहपुर बेरी के शनिधाम में रहती थी. 2016 में ही वो और उसकी दोनों ही बहनें अपनी मर्जी से आश्रम छोड़कर चली गई थीं. बहनों ने इसका शपथपत्र भी दिया था. लेकिन कुछ लोगों ने लड़की के पिता को प्रलोभन दिया, जिसके बाद ये लोग आरोप लगाने लगे. किसने प्रलोभन दिया के जवाब में दाती महाराज ने भास्कर को बताया कि 2015 में अभिषेक अग्रवाल नाम का शख्स शनिधाम में आता था. उसने वहां के सेवादारों का विश्वास जीत लिया था. इन सेवादारों में सचिन जैन, नवीन गुप्ता, भूपेश सिंह यादव और शक्ति अग्रवाल शामिल थे. अभिषेक ने इन लोगों से पैसे ले लिए और जब इन लोगों ने पैसे मांगे तो अभिषेक ने इनसे कहा कि पैसे उसने दाती महाराज को दे दिए हैं. जब सेवादारों ने मुझसे पैसे के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि मुझे पैसे नहीं मिले हैं. इसके बाद अभिषेक ने लड़की के पिता से मिलकर इस पूरी साजिश को अंजाम दिया.
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