बॉलीवुड एक्टर परेश रावल पिछले दिनों लल्लनटॉप के शो ‘
क्या अपना पेशाब पीने से बीमारी या चोट ठीक हो सकती है?
बॉलीवुड एक्टर परेश रावल पिछले दिनों द लल्लनटॉप के वीकली शो 'Guest In The Newsroom' में मेहमान बनकर आए थे. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अपने घुटने की चोट ठीक करने के लिए उन्होंने खुद का यूरिन पिया था. उनके इस दावे ने विवाद खड़ा कर दिया है.

वैसे परेश रावल पहले शख्स नहीं हैं जिन्होंने खुद का यूरिन पीने की बात कही हो. उनसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी जर्नलिस्ट डैन रैथर को दिए एक इंटरव्यू में अपना यूरिन पीने की बात कुबूल कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि वो रोज़ सुबह खाली पेट 5 से 8 औंस यूरिन पीते थे. यानी करीब एक कप.
यही नहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने अपनी आत्मकथा ‘अपनी शर्तों पर’ में मोरारजी देसाई के साथ एक मुलाकात का ज़िक्र किया है. इसमें वो देसाई से कहते हैं, “मोरार जी भाई, आपके द्वारा बताई गई शिवाम्बू थेरेपी का प्रयोग करना मैंने शुरू कर दिया है और धीरे-धीरे मैं स्वस्थ हो रहा हूं.”
यहां शिवाम्बू का मतलब है अपना यूरिन पीने वाली थेरेपी.
तो क्या वाकई खुद का यूरिन पीने से शरीर को कोई फायदा पहुंचता है. ये हमने पूछा अमृता हॉस्पिटल में यूरोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अनिल शर्मा से.

डॉक्टर अनिल कहते हैं कि ऐसा कोई साइंटिफिक प्रूफ मौजूद नहीं है, जो कहता हो कि खुद का यूरिन पीने से कोई बीमारी ठीक हो सकती है, या उसकी रिकवरी तेज़ हो जाती है, या उसकी ऐसा करने से व्यक्ति हेल्दी रहता है. कुछ पुरानी और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में यूरिन थेरेपी को प्रमोट ज़रूर किया गया है. मगर मॉडर्न मेडिकल साइंस इसका समर्थन नहीं करता.
किसी को भी अपना यूरिन नहीं पीना चाहिए. ये एक वेस्ट प्रोडक्ट है. यानी कचरा, जिसे किडनियों द्वारा तैयार किया जाता है. यूरिन में करीब 95% पानी होता है. बाकी 5% में दूसरे वेस्ट सब्सटेंस होते हैं. यानी वो चीज़ें जिनकी ज़रूरत शरीर को नहीं है. जैसे यूरिया, क्रिएटनिन, यूरिक एसिड और अमोनिया. वैसे यूरिन में सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड और फॉस्फेट जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते हैं. यूरिन में कुछ मात्रा में प्रोटीन्स, हॉर्मोन्स, दवाइयों और टॉक्सिन्स के टूटने पर बनने वाले केमिकल बायप्रोडक्ट्स भी हो सकते हैं. यूरिन का काम शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा चीज़ों को बाहर निकालना है, ताकि शरीर का केमिकल बैलेंस बना रहे.
अब अगर अपना ही यूरिन पी लिया जाए, तो ये सारा वेस्ट मैटेरियल वापस शरीर में चला जाता है. इससे कई तरह के इंफेक्शंस हो सकते हैं. खासकर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), यानी पेशाब का संक्रमण, किडनी और पाचन तंत्र से जुड़ी दिक्कतें. यूरिन में कई तरह के हानिकारक बैक्टीरिया भी हो सकते हैं. जो यूरिन पीने पर वापस शरीर में जा सकते हैं. इसलिए, किसी को भी यूरिन नहीं पीना चाहिए.

वैसे आपको उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद का वो मामला तो याद होगा ही. जहां एक हाउस हेल्प अपने यूरिन से आटा गूंथती थी. उसके लगातार ऐसा करने से उस घर के सभी सदस्य बीमार पड़ गए थे. सभी को लिवर और पेट से जुड़ी बीमारियां हो गई थीं.
साल 1945 में ब्रिटिश नैचुरोपैथ John W. Armstrong ने अपनी किताब "The Water of Life: A Treatise on Urine Therapy" के ज़रिए यूरिन थेरेपी को लोकप्रिय बनाया था. इसमें दावा किया गया था कि यूरिन से बड़ी बीमारियां ठीक की जा सकती हैं. लेकिन, मॉडर्न मेडिकल साइंस इन दावों का समर्थन नहीं करता.
'द लिवर डॉक' नाम से मशहूर डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स ने भी इस पर अपनी राय रखी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उन्होंने लिखा कि किसी के कहने पर अपना या किसी दूसरे का यूरिन न पिएं. ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यूरिन पीने से शरीर को फायदा पहुंचता है. असल में तो यूरिन पीना बहुत नुकसानदेह है. इसे पीने से खून में बैक्टीरिया, टॉक्सिंस और कई तरह के हानिकारक पदार्थ पहुंच सकते हैं. आपकी किडनियां यूरिन के ज़रिए शरीर से टॉक्सिक चीज़ों को बाहर निकालने के लिए बहुत मेहनत करती हैं. यूरिन पीकर इसकी बेइज़्ज़ती न करें.

वहीं डॉक्टर अनिल आगे कहते हैं कि खुद को ठीक करने के लिए एविडेंस-बेस्ड ट्रीटमेंट लें. यानी ऐसा इलाज कराएं जिसका वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं. खूब पानी पिएं. हेल्दी खाएं. और कोई दिक्कत हो तो डॉक्टर की राय लें. बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से कोई भी उपचार न करें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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