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भारत में धड़ल्ले से बिकने वाली एसिडिटी की ये दवा कैंसर तो नहीं फैला रही?

रैनिटिडिन एसिडिटी और सीने में जलन कम करने की दवा है. भारत में मिलती है, पर विदेशों में बैन है. अब DCGI ने पूरे देश में रैनिटिडिन दवा की सेफ्टी जांचने के आदेश दिए हैं.

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रैनिटिडिन में NDMA पाया जाता है, जिसे कैंसर फैलाने वाला माना जाता है

रैनिटिडिन एसिडिटी और सीने में जलन कम करने की दवा है. भारत में ये बड़ी आसानी से मिल जाती है. किसी भी मेडिकल स्टोर से इसे खरीदा जा सकता है. बिना डॉक्टर के पर्चे के. इसलिए एसिडिटी से परेशान लोग इसका खूब इस्तेमाल करते हैं. अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग ब्रांड नेम से इसे बेचती हैं. रैनिटिडिन भारत में तो मिलती है. पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप समेत कई देशों में बैन है.

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नई अपडेट ये है कि, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI डॉक्टर राजीव सिंह रघुवंशी ने पूरे देश में रैनिटिडिन दवा की सेफ्टी जांचने के आदेश दिए हैं.

DCGI, CDSCO के हेड हैं. CDSCO यानी Central Drugs Standard Control Organisation. ये भारत में दवाओं को जांचने और मंज़ूरी देने वाली संस्था है. इसकी तरफ से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि वो रैनिटिडिन बनाने वाली कंपनियों पर निगरानी रखें. ये तय किया जाए कि कंपनियां, दवा और उसको बनाने में इस्तेमाल की गई चीज़ों में NDMA की मात्रा जांचें. NDMA एक तरह का केमिकल है. इसे कैंसर पैदा करने वाला माना जाता है. सावधानी के तौर पर दवा की शेल्फ लाइफ घटाने की सिफारिश भी की गई है. यानी इसकी एक्सपायरी जल्दी होगी.

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हर बार एसिडिटी होने पर दवा लेना सही नहीं है (फोटो: Freepik)

लेकिन ये निर्देश आए क्यों? दरअसल, 28 अप्रैल 2025 को DTAB यानी Drugs Technical Advisory Board की 92वीं बैठक हुई थी. उसी में एक एक्सपर्ट पैनल ने NDMA को लेकर रिपोर्ट दी. जिसके बाद ये फैसला लिया गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब एक बड़ी कमेटी बनाई जाएगी. जो जांच करेगी कि NDMA बनने में दवा की मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रिया और स्टोरेज कंडीशन का क्या रोल होता है. 

बोर्ड ने सिफारिश की है कि ICMR यानी Indian Council Of Medical Research भी एक स्टडी करे. इसमें रैनिटिडिन की लॉन्ग-टर्म सेफ्टी की जांच-पड़ताल की जाए. इसका मकसद ये समझना है कि क्या रैनिटिडिन का लंबे समय तक इस्तेमाल सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

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रैनिटिडिन या एसिडिटी की बाकी दवाएं बहुत आसानी से मिल जाती हैं. एसिडिटी इतनी आम दिक्कत है कि ये दवाएं बिकती भी खूब हैं. लोग ज़रा-सी एसिडिटी होते ही तुरंत एंटासिड खा लेते हैं. एंटासिड यानी एसिडिटी की दवा.

अब अगर आप भी एसिडिटी ठीक करने के लिए एंटासिड खाते हैं, तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी हैं. इनके बारे में हमें बताया अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर महेंद्र सिंह राजपूत ने.

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डॉ. महेंद्र सिंह राजपूत, सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉक्टर महेंद्र बताते हैं कि एंटासिड सिर्फ फौरी राहत देती हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के, इन्हें लंबे समय तक नहीं लिया जाना चाहिए. अगर आपको बार-बार एसिडिटी, सीने में जलन, या पेट दर्द होता है, तो ये किसी गंभीर बीमारी का इशारा हो सकता है. जैसे गैस्ट्रिक अल्सर, GERD यानी गैस्ट्रोएसोफैगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ या पाचन तंत्र से जुड़ी कोई दूसरी बड़ी समस्या.

कई बार एंटासिड में ऐसे तत्व होते हैं. जिन्हें लंबे समय तक लेने से शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है. जैसे रैनिटिडिन में NDMA होता है. कुछ दवाओं में एल्यूमिनियम और मैग्नीशियम वगैरह पाया जाता है. ये ख़तरा उन लोगों के लिए और भी ज़्यादा होता है. जिन्हें पहले से किडनी, लिवर या कैंसर जैसी बीमारियों का रिस्क है.

कई बार एंटासिड दूसरी दवाओं के असर को कम कर सकते हैं या उनके साथ मिलकर रिएक्शन पैदा कर सकते हैं. जैसे आयरन और कैल्शियम के सप्लीमेंट या कुछ एंटीबायोटिक्स. इसलिए हमेशा डॉक्टर से पूछें कि आपकी मौजूदा दवाओं के साथ एंटासिड लेना सेफ है या नहीं.

वैसे अगर आपको एसिडिटी से राहत पानी है तो अपने खाने-पीने और लाइफस्टाइल में सुधार करें. मसालेदार चीज़ें कम खाएं. टाइम पर खाएं. सिगरेट-शराब न पिएं और सोने से पहले भारी खाना न खाएं. अगर आपने इतना कर लिया, तो एंटासिड की ज़रूरत काफी हद तक कम हो जाएगी.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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