यूरोप में एक देश है स्वीडन. वहां एक बच्ची पैदा हुई. मां-बाप बहुत खुश. बच्ची के पिता उसे अक्सर अपने सीने पर लिटाकर सुलाते थे. छाती से चिपकाकर रखते थे. जैसे सारे मां-बाप करते हैं. नॉर्मल-सी बात है.
पिता के टेस्टोस्टेरोन जेल लगाने से बच्ची के शरीर पर लिंग कैसे उभर आया?
मामला स्वीडन का है. बच्ची के पापा टेस्टोस्टेरॉन जेल लगाते थे. ये जेल उनकी स्किन से बच्ची की स्किन में चला गया. फिर कुछ वक्त बाद उसके शरीर में छोटे पेनिस जैसी ग्रोथ हो गई.
.webp?width=360)
लेकिन जब बच्ची करीब 10 महीने की हुई तो मां-बाप को उसके प्राइवेट पार्ट में कुछ बदलाव दिखे. वजाइना का आकार बदला-सा दिखा. वहां पुरुषों के लिंग जैसी ग्रोथ थी. साइज़ में बहुत छोटी.
सुनने में अजीब है, पर सच है. ऐसा क्यों हुआ? ये हमें बताया नई दिल्ली स्थित एलांटिस हेल्थकेयर में गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर मनन गुप्ता ने.

डॉक्टर मनन बताते हैं कि इस बच्ची के पापा टेस्टोस्टेरॉन जेल लगाते थे. टेस्टोस्टेरॉन एक मेल सेक्स हॉर्मोन है. पुरुषों के शरीर की बनावट, आवाज़, सेक्स करने की इच्छा, दाढ़ी-मूंछें सब में इसका हाथ होता है. ये हॉर्मोन महिलाओं में भी होता है. लेकिन उनमें इसकी मात्रा बहुत कम होती है.
जब किसी वजह से पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन कम बनने लगता है. तब उनकी मांसपेशियां और हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं. वज़न बढ़ने लगता है. इस हॉर्मोन की कमी से सेक्स करने की इच्छा भी घटने लगती है.
कई पुरुष टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का लेवल बढ़ाने के लिए बाहरी तरीके अपनाते हैं. जैसे वो इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन लगवाते हैं. ये सीधे मांसपेशियों में लगाए जाते हैं. दवा खाते हैं. क्रीम या जेल लगाते हैं. ये जेल स्किन से होते हुए खून में एब्ज़ॉर्व हो जाता है. फिर धीरे-धीरे शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल बढ़ने लगता है.
टेस्टोस्टेरॉन जेल जिसकी भी स्किन पर लगेगा, उसके शरीर में इस हॉर्मोन का लेवल बढ़ेगा. फिर चाहें वो पिता के शरीर पर लगे या बच्ची के. पिता ने टेस्टोस्टेरॉन जेल लगाया. वो पूरी तरह सूखा नहीं था. जब पिता ने बच्ची को छाती से लगाया, तो वो बच्ची की स्किन पर ट्रांसफर हो गया. स्किन से होते हुए खून में पहुंच गया. इससे बच्ची के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल बढ़ा और बाकी हॉर्मोन्स का बैलेंस बिगड़ गया.

जब इस बच्ची के पैरेंट्स ये दिक्कत लेकर डॉक्टर के पास गए, तो उन्होंने ब्लड टेस्ट किया. पता चला कि बच्ची के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल बहुत ज़्यादा था. इसके बाद बच्ची के पिता ने सावधानी बरतनी शुरू की. कुछ वक्त बाद बच्ची में लिंग की ग्रोथ खत्म हो गई.
वैसे तो मामला 8 साल पुराना है. लेकिन हाल में एक एक्सपर्ट ने इसका ज़िक्र स्वीडन के एक न्यूज़पेपर में किया जिससे मामला फिर चर्चा में आ गया. ये एक्सपर्ट हैं प्रोफेसर जोवाना डालग्रेन. स्वीडन के एक हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट हैं. यानी हॉर्मोन्स की डॉक्टर. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि लोग हमेशा समझ पाते हैं कि ये इलाज कितने ताकतवर होते हैं.’
ये बात एकदम सही है. हॉर्मोन्स के इलाज के साथ सतर्कता बरतनी ज़रूरी है. असर और साइड इफेक्ट्स को समझना ज़रूरी है. सिर्फ पिता ही नहीं, अगर मां भी किसी हॉर्मोन से जुड़ी दवा ले रही है या क्रीम लगा रही है, तो उसे भी सतर्कता बरतनी चाहिए. किसी भी हार्मोनल ट्रीटमेंट के बाद, बच्चे को सीधे स्किन से न लगाएं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वीडियो: सेहत: क्या वाकई नुकसानदेह है पाम ऑयल?