रिप्रोडक्शन. सरल शब्दों में बच्चा पैदा करना. हम सबकी साइंस की किताब में ये चैप्टर होता था. जिसे अक्सर स्किप कर दिया जाता है. अगर पढ़ाया भी जाता है तो लड़कियों को अलग, लड़कों को अलग.
प्रेग्नेंसी में मुश्किलें आ रहीं? कहीं स्पर्म काउंट तो नहीं घट गया, ऐसे पता करिए
बहुत ज़्यादा स्मोकिंग, ड्रग्स और शराब का सेवन करने वालों में स्पर्म काउंट कम हो जाता है. कई और वजहें भी होती हैं.

घर पर भी इस टॉपिक पर बात करने से बचा जाता है. अगर गलती से कभी कोई छोटा बच्चा पूछ ले, कि बच्चे कहां से आते हैं. तो, उसे जवाब मिलता है, ‘बेटा! भगवान देकर गए हैं तुमको.’

लेकिन, अब आप तो जानते ही हैं. हकीकत में ऐसा नहीं होता. तो, कैसे होते हैं बच्चे?आदमी के सीमन यानी वीर्य में करोड़ों स्पर्म होते हैं. जब इनमें से कोई स्पर्म महिला के अंडे से मिलता है तो भ्रूण बनना शुरू हो जाता है. ये भ्रूण धीरे-धीरे विकसित होता है और प्रेग्नेंसी हो जाती है.
माने प्रेग्नेंट होने के लिए स्पर्म का अंडे तक पहुंचना बहुत ज़रूरी है. अब अगर आप प्रेग्नेंसी के लिए कोशिश कर रहे हैं और आपका स्पर्म काउंट अच्छा है. यानी सीमन में पर्याप्त स्पर्म हैं. तब तो प्रेग्नेंसी में कोई दिक्कत नहीं आती. लेकिन, अगर स्पर्म काउंट कम है. तो महिला को प्रेग्नेंट होने में मुश्किल होती है.

आजकल पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होना बहुत ही आम समस्या बनती जा रही है. ऐसा क्यों हो रहा है, ये डॉक्टर से जानेंगे. समझेंगे कि आदमियों में किन वजहों से स्पर्म काउंट गिरता है. स्पर्म काउंट कम है और क्यों, ये कैसे पता चलता है. और ये भी जानेंगे स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए.
पुरुषों में किन वजहों से घटता है स्पर्म काउंट?
ये हमें बताया डॉक्टर मनन गुप्ता ने.

पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने की दो वजहें हो सकती हैं. पहली, शरीर में स्पर्म नहीं बन रहे हैं. दूसरी, स्पर्म शरीर में बन तो रहे हैं, लेकिन शरीर से बाहर नहीं आ रहे. ये बिल्कुल वैसा ही है, जैसे फैक्ट्री में सामान बन तो रहा है, लेकिन उसके बाहर जाने का रास्ता बंद है.
स्पर्म काउंट कम होने की कई वजहें हो सकती हैं. जैसे जेनेटिक्स. कुछ खास सिंड्रोम होने पर स्पर्म काउंट कम हो जाता है. जैसे क्लाइनफ़ेल्टर सिंड्रोम, कंजेनिटल एब्सेंस ऑफ़ वास डिफ़रेंस, कंजेनिटल टेस्टिकुलर एट्रॉफ़ी और क्रिप्टोर्किडिज़्म.
वहीं, कुछ इंफेक्शंस में वास डिफ़रेंस नाम की ट्यूब ब्लॉक हो जाती है. वास डिफरेंस एक नली है, जो अंडकोष से स्पर्म को प्रोस्टेट ग्रंथि तक ले जाती है, जहां ये सीमन (वीर्य) में मिलकर बाहर निकलने के लिए तैयार होता है. जैसे मम्प्स ऑर्काइटिस और टेस्टिकुलर ऑर्काइटिस.
कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी लेने वाले मरीजों में स्पर्म काउंट कम हो जाता है.
बहुत ज़्यादा स्मोकिंग, ड्रग्स और शराब का सेवन करने वालों में स्पर्म काउंट कम हो जाता है
जिन लोगों का स्क्रोटल एरिया बहुत गर्मी के संपर्क में रहता है, उनमें भी स्पर्म काउंट कम हो जाता है. स्क्रोटल एरिया वो जगह है, जहां अंडकोष होते हैं. जैसे कुछ लोग ठंड से बचने के लिए कपड़ों के अंदर अंगीठी रखते हैं.

स्पर्म काउंट कम है, ये कैसे पता करें?
अगर ये पता करना है कि स्पर्म बाहर आने का रास्ता बंद है या वो बन ही नहीं रहे हैं. तो, सबसे पहले टेस्टिकुलर बायोप्सी की जाती है. इसमें अंडकोष (टेस्टिस) का एक छोटा टुकड़ा लैब में जांचा जाता है. इससे पता चलता है कि टेस्टिस में स्पर्म बन रहे हैं या नहीं. अगर स्पर्म बन रहे हैं लेकिन बाहर नहीं आ रहे और मरीज़ का सेक्शुअल फंक्शन नॉर्मल है तो IVF-ICSI (In Vitro Fertilization - Intracytoplasmic Sperm Injection) तकनीक से प्रेग्नेंसी कराई जाती है. इस प्रक्रिया में स्पर्म को अंडकोष से निकाला जाता है. फिर महिला के अंडों के साथ मिलाकर भ्रूण बनाया जाता है.
वहीं, अगर स्पर्म बन ही नहीं रहे तो उनके न बनने की वजह पता की जाती है. इसके लिए FSH और LH हॉर्मोन टेस्ट किए जाते हैं. इनसे पता चल जाता है कि कोई हॉर्मोनल दिक्कत है या नहीं. अगर हॉर्मोन से जुड़ी दिक्कत होती है, तो हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है. जैसे FSH, LH या टेस्टोस्टेरोन थेरेपी.
अगर आपको अपना स्पर्म काउंट बढ़ाना है. तो हेल्दी वेट मेंटेन करिए. हेल्दी चीज़ें खाइए. अपनी डाइट में फल और सब्ज़ियां बढ़ाइए. शराब-सिगरेट मत पीजिए. स्ट्रेस मैनेज कीजिए. और, रोज़ थोड़ी एक्सरसाइज़ ज़रूर करिए.
अगर स्पर्म कम होने की कोई वजह नहीं मिलती. लेकिन, फिर भी स्पर्म कम हैं. तब प्रेग्नेंसी के लिए स्पर्म डोनेशन या सीमन डोनेशन का सहारा लिया जाता है. आपने आयुष्मान खुराना की विक्की डोनर फिल्म देखी है? उसमें आयुष्मान का किरदार स्पर्म डोनर होता है. ऐसे ही डोनर्स की मदद से प्रेग्नेंसी कंसीव की जाती है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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