चीन में चिकनगुनिया के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, खासकर गुआंगदांग प्रांत की फोशुन सिटी में. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून 2025 से अब तक चिकनगुनिया के 8 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 90% मामले सिर्फ Guang-dong प्रांत से आए हैं. बाकी मामले हांगकांग और बीजिंग से रिपोर्ट किए गए हैं.
चीन में चिकनगुनिया वायरस का कहर, हम कैसे बचें? तरीका जान लीजिए
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून 2025 से अब तक चीन में चिकनगुनिया के 8 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
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मगर ऐसा हुआ क्यों? दरअसल चीन के दक्षिणी हिस्से में कई हफ्तों तक भारी बारिश हुई. इसके बाद वहां उन मच्छरों की संख्या बढ़ गई जो चिकनगुनिया वायरस फैलाते हैं.
अब चिकनगुनिया के मामले और न बढ़ें, इसके लिए चीन ने कई कड़े कदम उठाए हैं. जैसे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना. ज़रूरी टेस्टिंग करना. बड़े पैमाने पर कीटनाशकों का छिड़काव करना. ड्रोन से चेक करना कि पानी कहां जमा है और उसकी सफ़ाई करना.
देखिए, मॉनसून में चिकनगुनिया के मामले बढ़ते ही हैं. हर साल ऐसा होता है. इसलिए ये जानना ज़रूरी है कि चिकनगुनिया फैलता क्यों है. इसके लक्षण क्या हैं. इससे बचाव और इलाज का तरीका क्या है. हमारे देश में चिकनगुनिया के मामले न बढ़ें. चीन जैसी हालत न हो, इसके लिए क्या किया जाए. ये सारे सवाल हमने पूछे आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट, डॉक्टर प्रभात रंजन सिन्हा से.

डॉक्टर प्रभात बताते हैं कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है. ये चिकनगुनिया वायरस की वजह से होती है. ये वायरस इंसानों में एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है. अगर कोई संक्रमित मच्छर पहले किसी चिकनगुनिया से पीड़ित व्यक्ति को काट चुका है. उसके बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है. तो वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, और वो व्यक्ति भी चिकनगुनिया से संक्रमित हो जाता है.
चिकनगुनिया होने पर अचानक तेज़ बुखार आता है. सिरदर्द, शरीर और जोड़ों में दर्द होता है. थकान और कमज़ोरी रहती है. स्किन पर हल्के चकत्ते भी पड़ सकते हैं. वहीं, बुखार ठीक हो जाने के बाद भी शरीर और जोड़ों में लंबे समय तक दर्द बना रहता है.
चिकनगुनिया को डायग्नोज करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है. इसका कोई खास इलाज नहीं है. लक्षणों को देखकर दवाएं दी जाती हैं.
चिकनगुनिया के ख़तरे से हम खुद को कैसे बचा सकते हैं, ये जान लेते हैं. ताकि चीन जैसे हालत यहां न बन जाएं.

डॉक्टर प्रभात कहते हैं कि चिकनगुनिया से बचने के लिए आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें. जहां ऐसा होने की संभावना हो. जैसे पुराने टायर, गमले, कूलर या टंकी में, तो उसे रोज़ खाली करें या ढककर रखें. साथ ही, पूरी बांह के कपड़े पहनें. खासकर अगर आपके आसपास मच्छर बहुत ज़्यादा हों, तो सुबह और शाम के समय खिड़की-दरवाज़ें बंद रखें. इन्हें तभी खोलें, जब बहुत गर्मी हो. मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और मॉस्किटो रेपेलेंट लगाएं.
अगर आपको चिकनगुनिया से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखे, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें. तुरंत डॉक्टर से मिलें. ज़रूरी जांचें कराएं ताकि आपका इलाज हो सके. बुखार होने पर अपने आप या केमिस्ट से पूछकर दवा न लें.
हमारे देश में बरसात के महीनों में डेंगू, चिकनगुनिया से निपटने के लिए जागरूकता अभियान चलते रहते हैं. लोगों को बताया जाता है कि आसपास कहीं पानी जमा न होने दें. टायर और कंटेनर्स को साफ रखें. ज़रूरत पड़ने पर कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाता है. इसलिए घबराने की ज़रुरत नहीं है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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