क्या आप भी कान में पानी आने से परेशान हैं? कुछ लोगों को सुबह उठने के बाद कान में पानी जैसा महसूस होता है. खुजली होती है. उनके लिए ये बहुत ही नॉर्मल-सी बात बन गई है. लेकिन असल में ये बिल्कुल नॉर्मल नहीं है. कान से पानी आने को मेडिकल भाषा में ‘ओटोरिया’ कहा जाता है.
कान से पानी आता हो तो इग्नोर न करें, हमेशा के लिए सुनाई देना बंद हो सकता है
अगर कान से पानी आने का इलाज न कराया जाए, तो व्यक्ति के सुनने की शक्ति कम हो सकती है.
.webp?width=360)
डॉक्टर से जानिए कि क्या कान से पानी आना नुकसानदेह है. कान से पानी क्यों आता है. इससे क्या दिक्कतें हो सकती हैं. और, इससे बचाव व इलाज कैसे किया जाए.
क्या कान से पानी आना नुकसानदेह है?
ये हमें बताया डॉक्टर सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने.

कान से पानी आना आम बात नहीं है. ये नुकसानदेह हो सकता है. अगर कान से पानी आ रहा है, तो ENT डॉक्टर से मिलना चाहिए.
कान से पानी क्यों आता है?
कान से पानी आने के कई कारण होते हैं. जैसे बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन होना. अगर किसी के कान के पर्दे में छेद है, तो कान में पानी जाने से ऐसा हो सकता है. सर्दी-ज़ुकाम होने पर कान से पानी आ सकता है. कान के पर्दे में इंफेक्शन होने और हड्डी तक फैलने की वजह से कान से पानी आ सकता है. कान की हड्डी में इंफेक्शन होने की वजह से कान से बदबू भी आ सकती है. कई लोगों को कान में ट्यूमर या गांठ की वजह से पानी के साथ-साथ खून भी आ सकता है. अगर ऐसी कोई भी दिक्कत हो तो ENT सर्जन को दिखाना चाहिए ताकि तुरंत इलाज शुरू हो सके.
कान से पानी आने पर क्या दिक्कतें हो सकती हैं?
अगर कान से पानी आने का इलाज न कराया जाए, तो कई कॉम्प्लिकेशंस देखने को मिल सकते हैं. जैसे कान से डिस्चार्ज कभी बंद नहीं होगा, ये हमेशा आता रहेगा. इससे व्यक्ति के सुनने की शक्ति कम हो सकती है. कान से दिमाग तक जाने वाली सुनने की नस कमज़ोर हो सकती है. अगर किसी के कान की हड्डी घुल रही है और उसमें इंफेक्शन है. तो हड्डी ज़्यादा घुलने के बाद कान का इंफेक्शन दिमाग तक भी जा सकता है.

बचाव और इलाज
जिन लोगों के कान के पर्दे में छेद है, वो जब भी नहाएं या किसी वॉटर एक्टिविटी में शामिल हों. तो पहले ग्लिसरीन लगी हुई रुई अपने कान में लगाएं, इसके बाद ही नहाएं. बाकी समय कान खुला रहना चाहिए, उसमें रुई न लगाएं. ईयरबड्स, पिन, लकड़ी या चाबी से अपना कान साफ न करें. हर कुछ समय में डॉक्टर के पास जाकर कान साफ करवाते रहें. खुद से ईयरबड्स डालकर कान साफ न करें, इससे चोट लगने का ख़तरा बढ़ जाता है.
इलाज की बात करें, तो अगर कान के पर्दे में छेद है तब एंटीबायोटिक दवाइयां देकर इंफेक्शन कंट्रोल करते हैं. इसके करीब 4 से 5 हफ्ते बाद मरीज़ को ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता है. ऑपरेशन में कान के अंदर नया पर्दा लगाया जाता है. 2–3 हफ्ते बाद नया पर्दा बन जाता है और अच्छे से काम करने लगता है. इससे कान से पानी आने की दिक्कत दूर हो जाती है.
जिन लोगों की कान की हड्डी में भी इंफेक्शन होता है. उनमें पर्दा लगाने के साथ-साथ हड्डी की बीमारी भी पूरी तरह ठीक की जाती है. हड्डी की बीमारी ठीक करने और नया पर्दा लगाने के बाद, कान से डिस्चार्ज आने की दिक्कत कम हो जाती है.
ध्यान रखें कि कान में कुछ भी न डालें. कान में तेल या पानी नहीं डालना है. हर 6 महीने-सालभर में एक बार अपने कान की जांच ज़रूर कराएं. अगर कान में कोई दिक्कत महसूस हो, तो तुरंत ENT डॉक्टर से मिलें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वीडियो: सेहत: सीने में उठा दर्द हार्ट अटैक का है या गैस का, कैसे पता चलेगा?