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क्या ज़्यादा प्रोटीन किडनी पर बढ़ाता है लोड? एक दिन में कितना प्रोटीन खा सकते हैं?

ज़्यादा प्रोटीन लेने से एक उम्र के बाद किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है. लिहाज़ा, अपनी उम्र, सेहत और शारीरिक गतिविधि के अनुसार ही प्रोटीन खाना चाहिए.

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बहुत ज़्यादा प्रोटीन नहीं खाना चाहिए

बॉडी बनानी है? खूब प्रोटीन खाओ. मसल्स बन जाएंगी!

वेट लॉस करना है? खूब प्रोटीन खाओ. पेट देर तक भरा रहेगा. भूख नहीं लगेगी. वज़न अपने आप घटने लगेगा.

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मसल्स बनाने में मदद करता है प्रोटीन

ये बातें आपने बहुत बार सुनी होंगी. हमसे भी और एक्सपर्ट्स से भी. ये बातें पूरी तरह सच भी हैं. प्रोटीन खाने से मांसपेशियां मज़बूत होती हैं. वज़न घटाने में मदद मिलती है. कई और फायदे भी होते हैं. जैसे इम्यूनिटी मज़बूत होती है. हम बार-बार बीमार नहीं पड़ते. शरीर पर कहीं चोट लग जाए तो घाव जल्दी भरते हैं. लेकिन, प्रोटीन हर इंसान का दोस्त नहीं है. खासकर उन लोगों का, जिनको किडनी की कोई बीमारी या समस्या है.

बहुत ज़्यादा प्रोटीन खाना किडनी को मुश्किल में डाल सकता है. कैसे? ये डॉक्टर से जानेंगे. समझेंगे कि हमें एक दिन में कितना प्रोटीन खाना चाहिए. ज़्यादा प्रोटीन खाने से किडनी पर क्या असर पड़ता है. किडनी के मरीज़ों को कितना प्रोटीन लेना चाहिए. ये भी पता करेंगे कि किडनी के मरीज़ों को अपनी डाइट में क्या चीज़ें ज़रूर खानी चाहिए, और किनसे दूरी बनानी चाहिए. 

खाने में ज़्यादा प्रोटीन किडनी के लिए नुकसानदेह?

ये हमें बताया डॉक्टर बी. विजय किरण ने. 

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डॉ. बी. विजय किरण, सीनियर कंसल्टेंट, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी, सिलीगुड़ी

हर व्यक्ति को अपने वज़न और उम्र के हिसाब से प्रोटीन खाना चाहिए. बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को ज़्यादा प्रोटीन की ज़रूरत होती है. वहीं, एक एडल्ट को अपने वज़न के प्रति किलोग्राम पर 1 ग्राम प्रोटीन खाना चाहिए. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में प्रोटीन की ज़रूरत कम होने लगती है. 

संस्कृत में कहते हैं- अति सर्वत्र वर्जयेत् यानी किसी भी चीज़ की अधिकता अच्छी नहीं होती. अगर आप ज़्यादा प्रोटीन लेंगे तो एक उम्र के बाद किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है. इसलिए, अपनी उम्र, सेहत और शारीरिक गतिविधि के अनुसार ही प्रोटीन खाना चाहिए.

किडनी के मरीज़ों को कितना प्रोटीन लेना चाहिए?

किडनी के मरीज़ दो तरह के होते हैं: प्री-डायलिसिस (डायलिसिस से पहले) और पोस्ट-डायलिसिस (डायलिसिस के बाद). जिन मरीज़ों में डायलिसिस नहीं हुई है, जो डायलिसिस से बचना या उसे देर से शुरू करना चाहते हैं. जो क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) के स्टेज 1 से स्टेज 5 के बीच हैं, उन्हें प्रोटीन कम खाने के लिए कहा जाता है. ऐसे मरीज़ों को 0.7 से 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम वज़न के हिसाब से लेना चाहिए.

ज़्यादा प्रोटीन लेने से किडनी पर लोड पड़ सकता है. क्रिएटिनिन का लेवल भी तेज़ी से बढ़ सकता है. इसलिए, प्री-डायलिसिस स्टेज में प्रोटीन की मात्रा को सीमित रखा जाता है. मगर डायलिसिस शुरू होने के बाद प्रोटीन की मात्रा बढ़ाई जाती है. दरअसल, डायलिसिस के दौरान शरीर में प्रोटीन घटने लगता है. हीमोडायलिसिस हो या पेरिटोनियल डायलिसिस, मरीजों को 1.2 से 1.3 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम वज़न के हिसाब से लेना चाहिए. इससे शरीर का संतुलन (होमियोस्टेसिस) बनाए रखने में मदद मिलती है और कम हुए प्रोटीन की भरपाई हो जाती है. यानी डायलिसिस से पहले कम प्रोटीन खाना है. वहीं डायलिसिस शुरू होने के बाद प्रोटीन बढ़ाना है.

कुछ खास स्थितियों में प्रोटीन कम नहीं किया जाता है. जैसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic syndrome), इसमें प्रोटीन किडनी से लीक होता है. ऐसी स्थिति में प्रोटीन की कमी पूरी की जाती है. अगर ऐसा न किया जाए, तो मरीज़ कुपोषित हो सकता है.

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आमतौर पर किडनी के मरीज़ों को कम पोटैशियम खाना चाहिए

किडनी के मरीज़ अपनी डाइट में क्या चीज़ें ज़रूर शामिल करें?

किडनी के मरीज़ों की डाइट कई चीज़ों पर निर्भर करती है. जैसे मरीज़ का इलाज किस डॉक्टर से चल रहा है. उसकी ब्लड रिपोर्ट्स कैसी हैं. उसे डाइटिशियन ने क्या सलाह दी है. इन तीनों के आधार पर मरीज़ का डाइट चार्ट तय किया जाता है.

आमतौर पर किडनी के मरीज़ों को पोटैशियम कम खाना चाहिए. पोटैशियम आमतौर पर किडनी से यूरिन के ज़रिए बाहर नहीं निकल पाता. शरीर में पोटैशियम जमा होने से हाइपरकेलेमिया हो सकता है. इससे दिल पर असर पड़ता है. इसलिए, किडनी के मरीज़ों को कम पोटैशियम वाली चीज़ें खानी चाहिए. जैसे नारियल पानी न पिएं. बहुत ज़्यादा फ्रूट जूस भी न लें. हालांकि, कुछ स्थितियों में पोटैशियम का लेवल बहुत कम हो सकता है. ऐसे मरीज़ों को नॉर्मल पोटैशियम वाली डाइट दी जाती है. 

किडनी के मरीज़ों को अपनी डाइट में क्या नहीं खाना चाहिए?

किडनी के मरीज़ों को नमक कम खाना चाहिए. ज़्यादा नमक खाने से किडनी की नामक फिल्टर करने की क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे किडनी डैमेज हो सकती है. शरीर में अतिरिक्त नमक जमा होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है. फ्लूइड रिटेंशन भी होता है, जिससे दिल और फेफड़ों में पानी जमा हो जाता है. लिहाज़ा, नमक कम खाना चाहिए. ये किडनी डिज़ीज़ के मरीज़ों के लिए सामान्य गाइडलाइंस हैं. हालांकि, हमेशा अपने डॉक्टर और डायटिशियन से सलाह लें. उनके द्वारा दिए गए डाइट चार्ट को फॉलो करने की कोशिश करें. 

आपको कितना प्रोटीन खाना चाहिए, ये आपने डॉक्टर साहब से समझ लिया. हालांकि अगर आप प्रोटीन कम खाते हैं. तो हम आपको कुछ प्रोटीन के सोर्स बता देते हैं. प्रोटीन के लिए आप पनीर, अंडा, दूध, दही, सोयाबीन, मेवे, टोफू, बीन्स, मीट और मछली खा सकते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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