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पाकिस्तान छोड़िए, असली पोल तो NYT, वॉशिंगटन पोस्ट और CNN जैसी विदेशी मीडिया की खुली!

US Media on India Pakistan: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान "पश्चिम के कुछ पहरेदारों" (अमेरिकी मीडिया संस्थान) ने पाकिस्तान के फेवर में अपना झंडा बुलंद किया. लेकिन इनकी डंडी टूट गई. जब सबूत सामने आए तो इनके सुर बदले. तनाव की स्थिति में NYT, CNN और Washington Post जैसे संस्थानों ने अपनी भद्द पिटवा ली.

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पहलगाम में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर तिरंगा लहराते लोग. (तस्वीर: AP, 15 मई)

पत्रकारिता के कुछ बुनियादी सिद्धांत होते हैं. खबर कोई भी हो, हर पक्ष की बात रखनी होती है. खास तौर से अगर आप दो देशों के बीच सैन्य संघर्ष (India Pakistan Global Reporting) को रिपोर्ट कर रहे हैं और आप निष्पक्ष हैं, तो दोनों पक्षों को अपनी कवरेज में बराबर वेटेज दें. इस बात में कोई गुरेज नहीं कि कोई विदेशी मीडिया संस्थान पाकिस्तान के आरोपों-दावों को भी रिपोर्ट करे, वो इस संघर्ष में एक पार्टी है और उनकी सेना और सरकार की बातों को रिपोर्ट किया जाना चाहिए. लेकिन ये कौन सी पत्रकारिता है कि भारत की सेना और सरकार के आधिकारिक बयानों का जिक्र ही न हो. उन्हें जानबूझकर पूरी कहानी से गायब कर दिया जाए.

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मसलन कि न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट और CNN जैसे संस्थान ये भी भूल गए कि पत्रकारिता के स्कूलों में क्या पढ़ाया जाता है. भारत-पाकिस्तान युद्ध की स्थिति में वो एक पार्टी बनते दिखे. उन्होंने पाकिस्तान के फेवर में नैरेटिव फैलाए. उनके प्रोपेगेंडा का हिस्सा बने. लेकिन सांच को आंच कहां. पाकिस्तान ने जब अपने फैलाए झूठ के लिए कोई सबूत नहीं दिया तो इंटरनेशनल मीडिया की पोल खुल गई. हालांकि उन्होंने तब भी खेल किया. भारत के दिखाए सबूतों को रिपोर्ट करने में खूब देरी की.

NYT का लेखा-जोखा

अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) पर 7 मई को छपी रिपोर्ट पूरी तरह से पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान पर आधारित थी. इसको रिपोर्ट के तौर पर पेश करने के लिए कुछ-कुछ अन्य लोगों का हवाला भी दिया गया था. लेकिन ज्यादातर मौकों पर ख्वाजा आसिफ का ही जिक्र था. NYT ने लिखा,

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  • ख्वाजा आसिफ ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भारत के 5 एयरक्राफ्ट और 2 ड्रोन को मार गिराया. इसके अलावा, पाकिस्तानी जैमिंग उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरणों ने कुछ भारतीय मिसाइल को लॉन्च होने से रोक दिया. और कुछ एयरक्राफ्ट को इमरजेंसी लैंडिंग के लिए मजबूर कर दिया.
  • आसिफ ने कहा, पाकिस्तान भारत के 10 विमान गिरा सकता था. सेना के पास मौके थे लेकिन उन्होंने 5 विमानों दो 2 UAV तक सीमित रखा क्योंकि पाकिस्तान तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता था.
  • भारत ने जिन ठिकानों पर हमला किया, पाकिस्तान का कहना है कि उनक साइटों को आतंकवादी समूहों से कोई संबंध नहीं था.
नैरेटिव बनाने की पूरी कोशिश

NYT ने वही छापा जो पाकिस्तानी नेता अपने प्रोपेगैंडा के तहत दुनिया भर में फैलाना चाहते थे. कुछ समय बीतने के बाद पाकिस्तान के मंत्री के दावों की कहीं भी पुष्टि नहीं हो सकी, तो NYT ने एक और कोशिश की. उसने एक दूसरे आर्टिकल में लिखा,

  • पाकिस्तान का दावा है कि उसने भारत के तीन राफेल, एक मिग-29, एक एसयू-30 फाइटर जेट और एक हेरॉन ड्रोन को मार गिराया.

इस आर्टिकल में न्यूयॉर्क टाइम्स ने ये लिखा कि वो इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाए. लेकिन इस नैरेटिव को बढ़ाने के लिए, उन्होंने इसमें अलग-अलग लोगों के हवाले से इन दावों को सच दिखाने की कोशिश की. 

‘किंतु-परंतु’ के साथ आर्टिकल लिखे गए

10 मई को इस अखबार ने एक अलग तरह का प्रयास किया. भारत ने जिन नौ आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी, उसको लेकर पाकिस्तान के दावों को फैलाया. उन्होंने ये तो माना कि ये सब आतंकियों के ठिकाने थे लेकिन इसको “किंतु-परंतु” के साथ परोसा. उन्होंने लिखा,

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  • ये स्पष्ट है कि अधिकांश हमलों में दोनों आतंकवादी समूहों (जैश और लश्कर) से जुड़ी फैसिलिटी शामिल थीं. लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि ये फैसिलटी वर्तमान में भी उसी तरह काम कर रही थीं या नहीं.

इस आर्टिकल में भी पाकिस्तान के उन्हीं दावों को प्रमुखता दी गई जो पाकिस्तान की ओर से आए थे. जैसे-

  • पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि भारत में हुई हिंसा की पिछली घटनाओं से ‘लश्कर-ए-तैयबा’ के संबंध हैं. लेकिन इस समूह को बहुत पहले ही गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. समूह के संस्थापक हाफिज सईद को कुछ समय के लिए हिरासत में रखा गया था, लेकिन अब वो आजाद है.

अखबार ने इसके बाद भी इस मामले पर कई आर्टिकल लिखे. लेकिन उनको समझ आ गया था कि जिस पाकिस्तान को वो इस संघर्ष में ऊपर दिखाने की कोशिश कर रहे थे, उसके दावों की पुष्टि नहीं हो पा रही थी. इसलिए उन्होंने अपने नैरिटव पर थोड़ा संतुलन पाया. लेकिन फिर भी पाकिस्तान के नुकसान के बारे में खुल के नहीं लिख पाए. जबकि मीडिया में पाकिस्तान से कई तस्वीरें आ गई थीं जिससे ये साबित हो रहे थे कि पाकिस्तान के कई एयरबेस को भारतीय मिसाइल से नुकसान पहुंचा है.

सबूत मिले तो NYT सुर बदले

11 मई को छपे और 13 मई को अपडेट हुए एक आर्टिकल में, उन्होंने पाकिस्तान के नुकसान की बात सामने लाई. उन्होंने लिखा,

  • भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों से जुड़े ठिकानों के इतने करीब हमले (ऑपरेशन सिंदूर) किए कि वो (भारत) जीत का दावा कर सकता है.
  • इस दौरान भारत ने अपने दो सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट समेत कई विमान खो दिए. 
  • भारतीय सेना ने सैटेलाइट तस्वीरें दिखाईं जो इस बात के सबूत हैं कि पाकिस्तानी क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. (ये लिखा लेकिन तस्वीर नहीं लगाई.)
  • पाकिस्तान के एयरबेस और उनके डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया गया.
  • पाकिस्तान के एक रणनीतिक मुख्यालय के पास भी हमला हुआ.

14 मई को सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर NYT ने एक और आर्टिकल छापा. लेकिन इसमें भी अपने नैरेटिव से परहेज नहीं कर पाया. अखबार ने जिन सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया, वो कई दिनों पहले आ चुकी थीं. लिहाजा वो इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने अपने हेडलाइन में खेल किया. आर्टिकल में उन्होंने लिखा कि इस संघर्ष में भारत को ‘स्पष्ट बढ़त’ थी. उन्होंने ये भी लिखा कि पाकिस्तान अपने दावों के लिए पुख्ता सबूत नहीं दे पाया है. जो तस्वीरों दिखाईं गईं उनमें स्पष्ट दिखा कि पाकिस्तान के एयरबेस को काफी नुकसान पहुंचा है. लेकिन हेडलाइन में उन्होंने ये लिखा,

भारत और पाकिस्तान (दोनों) ने बड़ी-बड़ी बातें कीं, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों में सीमित नुकसानदिखा.

न्यूयॉर्क टाइम्स को पाकिस्तान के नुकसान की बात लिखनी पड़ी. क्योंकि दुनिया भर में इसके सबूत पहुंच चुके थे. लेकिन उन्होंने जो हेडलाइन दिया और खबर लिखी, दोनों विरोधाभासी थे. 

विस्तार से पढ़ें: विदेशी मीडिया के बदले सुर: भारत के हर निशाने को बताया सटीक, NYT ने पाकिस्तान के झूठ की पोल भी खोल दी

वॉशिंगटन पोस्ट के सुर कैसे बदले?

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद, अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी शुरुआती खबरों की हेडलाइन में भारत के नुकसान के बारे में लिखा. बल्कि खबर का एंगल भी पाकिस्तान के फेवर में ही रखा. 7 मई को छपी खबर का हेडलाइन लिखा,

पाकिस्तान ने इंडियन फाइटर जेट को गिराने का दावा किया, हमले का जवाब देने की कसम खाई.

9 मई को वॉशिंगटन पोस्ट ने पाकिस्तान के दावों को सही साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हेडलाइन दिया,

तस्वीरों से पता चलता है कि पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक में भारत के कम से कम दो एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हुए.

इसी खबर में उन्होंने लिखा,

  • वॉशिंगटन पोस्ट ने ऑनलाइन पोस्ट की गई तस्वीरों और वीडियो के आधार पर इस बात की पुष्टि की है- तस्वीरों में जो मलबा दिखा है वो इंडियन एयरफोर्स के कम से कम दो फाइटर जेट के हैं. इसमें एक राफेल और एक मिराज 2000 से मेल खाता है. दोनों फ्रांस में बने हैं.

विरोधाभास की बात ये है कि वॉशिंगटन पोस्ट ने ऑनलाइन पोस्ट की गई उन तस्वीरों और वीडियो का कोई जिक्र नहीं किया जिसमें पाकिस्तान का नुकसान दिख रहा था.

हालांकि इसके बाद इस बात के पुख्ता सबूत सामने आ गए कि भारत की कार्रवाई में पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचा है. और इसी कारण पाकिस्तान ने सीजफायर की गुहार लगाई. इसके बाद वॉशिंगटन पोस्ट की भी NYT वाली ही स्थिति हो गई. 14 मई तक उनको भी पूरी स्पष्टता के साथ ये सच्चाई स्वीकार करनी ही पड़ी. उन्होंने हेडलाइन दिया,

विश्लेषण में पाया गया कि भारतीय हमलों में पाकिस्तान के छह हवाई अड्डे क्षतिग्रस्त हुए हैं.

NYT की ही तर्ज पर इस रिपोर्ट उन तस्वीरों को दिखाया गया जो पहले ही आ गई थीं. इनमें दिखा कि पाकिस्तान के कई एयरबेस को स्पष्ट नुकसान पहुंचा है.

CNN की हवा हवाई रिपोर्टिंग

अमेरिकी न्यूज चैनल CNN के ‘डिप्लोमैटिक अफेयर्स एडिटर’ निक रॉबर्टसन ने हद पार कर दी. 

10 मई को भारत और पाकिस्तान से बीच सीज़फायर समझौता हुआ. इसे CNN के निक रॉबर्टसन ने कैसे रिपोर्ट किया, पहले ये जानिए.

पाकिस्तान ने ये हमले आत्मरक्षा में किए. और इसे लेकर उनका संवाद सीधे विदेश मंत्री रूबियो से हो रहा था. इस जवाबी हमले ने भारत को चौंका दिया. दिल्ली को समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या. फिर भारत ने रूबियो से संपर्क किया. सऊदी अरब से बात की. तुर्किए को शामिल किया. और बाकियों को भी. कूटनीतिक रास्ता निकालने की ओर बढ़ा. और फिर इस बातचीत में भारत भी शामिल हुआ. लेकिन भारत ने मध्यस्थों से एक बात साफ़ कही, वो फिलहाल सैन्य कार्रवाई पर 'पॉज़' लगाना चाहते हैं.

इस्लामाबाद में बैठे निक रॉबर्ट्सन की इस बात को पाकिस्तानी ले उड़े. उनके चैनलों पर ये खबर चलने लगी. निक रॉबर्ट्सन ने कहा कि पाकिस्तान के एयर ऑफेंसिव के स्केल से भारत स्तब्ध रह गया और मध्यस्थता के लिए खुद अमेरिका के पास गया. बाद में इस हास्यास्पद खबर के पुर्जे खुद ही खुल गए. 

इससे पहले भी निक ऐसी हवा हवाई रिपोर्टिंग कर चुके हैं. विस्तार से जानने के लिए 'दुनियादारी' का ये एपिसोड देखें-

CNN के एडिटर ने अपने ही चैनल की पोल खोली

बहरहाल, NYT और वॉशिंगटन पोस्ट की ही तरह CNN की भी पोल खुली. और ये किया उन्हीं के चैनल के एक पत्रकार ने. 14 मई को CNN के पत्रकार फरीद जकारिया ने अपने 'एडिटर इन चीफ, फॉरेन अफेयर्स' रवि अग्रवाल से पूछा, क्या भारत ने पाकिस्तान को घेर लिया? इस पर अग्रवाल का जवाब था,

अमेरिका ने तब हस्तक्षेप करने का फैसला किया जब भारत ने पाकिस्तान के परमाणु कमांड साइट के नजदीक हमला किया. अमेरिका जानता था कि पाकिस्तान को घेर लिया गया है और वो (दोनों देश) परमाणु हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: वो अलर्ट जिसके बाद आसिम मुनीर ने डर कर अमेरिका को किया था फोन, फिर हुआ सीजफायर

बताते चलें कि भारतीय सेना और सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने पाकिस्तान के किसी भी न्यूक्लियर फैसिलिटी को निशाना बनाया. लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि पाकिस्तान में जो धमाके हुए, वो पाकिस्तान के पीछे हटने के लिए काफी थे.

ऐसे कुछ और भी “पश्चिम के पहरेदार” हैं जो धीरे-धीरे खुद को करेक्ट कर रहे हैं. क्योंकि प्रत्यक्ष प्रमाण के आगे उनके नैरेटिव फेल हो गए हैं.

वीडियो: पाकिस्तान में न्यूक्लियर लीक की अटकलों के बीच रेडिएशन ढ़ूंढने वाला अमेरिकन विमान क्या कर रहा है?

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