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आपके गले, नाक और आंखों पर प्रदूषण जो असर डालता है, पता भी नहीं होगा!

प्रदूषण में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फ़र डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर और ग्राउंड लेवल ओज़ोन पाई जाती है. लेकिन प्रदूषण नुकसान क्यों पहुंचाता है? इससे आंखों, नाक और गले पर क्या असर पड़ता है? आज सब जानते हैं.

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जब तक प्रदूषण है, बिना मास्क लगाएं बाहर न निकलें

वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. दिल्ली-NCR के साथ-साथ देश के कई शहरों में बुरा हाल है. लेकिन प्रदूषण नुकसान क्यों पहुंचाता है? इससे आंखों, नाक और गले पर क्या असर पड़ता है? चलिए समझते हैं. 

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प्रदूषण नुकसान क्यों पहुंचाता है?

ये हमें बताया डॉक्टर (मेजर) राजेश भारद्वाज ने. 

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डॉ. (मेजर) राजेश भारद्वाज, कंसल्टेंट, मेडफर्स्ट ईएनटी सेंटर

प्रदूषण में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फ़र डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर और ग्राउंड लेवल ओज़ोन पाई जाती है. पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 और PM 10 वातावरण में घूमते रहते हैं. फिर सांस के ज़रिए अंदर पहुंचकर लंग्स, दिल, ब्रेन और शरीर के हर टिश्यू को नुकसान पहुंचाते हैं. जब भी फॉसिल फ्यूल को जलाया जाता है, जैसे इंडस्ट्रीज़ में, तो इससे गैसेज़ निकलती हैं. इन गैसेज़ से पार्टिकुलेट मैटर निकलता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है.

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प्रदूषण का ENT पर असर

प्रदूषण से गले में खिच-खिच होती है. आवाज़ बदल जाती है. बोलने में दिक्कत और थकान होती है. सांस लेने में दिक्कत होती है. लगातार सूखी खांसी आती है. इनके अलावा, आंखों में भी जलन होती है. गले में ख़राश और अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होता है. इन सब चीज़ों की वजह से अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) भी हो सकती है.

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3-4 हफ़्तों से खांसी नहीं जा रही, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं (फोटो: Freepik)

कब डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी?

अगर सांस फूल रही है. लगातार हांफ रहे हैं या सीने से व्हीज़िंग यानी घरघराहट की आवाज़ आ रही है. सूखी खांसी आ रही है. 3-4 हफ़्तों से खांसी जा नहीं रही. खांसी, थूक या बलगम में खून आ रहा है. भूख नहीं लग रही. वज़न घट रहा है और उसकी कोई वजह नहीं पता चल रही. ये लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

साथ ही, अगर होंठ नीले पड़ रहे हैं. लगातार निगलने में दर्द हो रहा है, तो भी डॉक्टर को दिखाएं.

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बचाव

अगर सुबह रनिंग या जॉगिंग के लिए बाहर जाते हैं, तो इसे अंदर ही करें. एयर प्यूरिफायर ज़रूर इस्तेमाल करें. अगर बाहर प्रदूषण में जा रहे हैं तो मास्क ज़रूर पहनें. आंखों को बचाने के लिए चश्मा पहनें. घर के दरवाज़े और खिड़कियां ज़्यादातर बंद रखें. ख़ासकर सुबह, क्योंकि इस वक़्त प्रदूषण ज़्यादा होता है.

जहां तक हो सके, प्रदूषित वातावरण से दूर रहें. अगर बाहर निकल रहे हैं तो मास्क ज़रूर पहनें. जब तक प्रदूषण कम नहीं हो जाता, मास्क आपका बेस्ट फ्रेंड है. बाहर निकल रहे हैं तो इसे ज़रूर पहननें. 

मास्क भी कौन सा? N95 या N99. घर पर हैं तो एयर प्यूरीफायर चलाएं. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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