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डॉनल्ड ट्रंप को हुई CVI बीमारी कितनी खतरनाक है?

ये पैरों की नसों से जुड़ी एक दिक्कत है. आज हम जानेंगे क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी के बारे में. डॉक्टर से पूछेंगे क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी क्या है. ये क्यों होती है. इसके लक्षण क्या हैं. इसका पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं. इससे बचाव और इसका इलाज क्या है.

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ये ख़तरनाक बीमारी नहीं है. अगर इसका सही समय पर इलाज हो, तो कॉम्प्लिकेशंस से बचा जा सकता है. उ

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप फिर से चर्चा में हैं. इस बार वजह न तो टैरिफ की धमकियां हैं, न ही किसी जंग को रुकवाने का कोई नया एलान. इस बार वजह है उनकी बीमारी. 17 जुलाई को रेगुलर न्यूज़ ब्रीफिंग के दौरान व्हाइट हाउस की तरफ से एक जानकारी दी गई. इसमें बताया गया कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को एक मेडिकल समस्या है जिसे ‘Chronic Venous Insufficiency’ या CVI कहा जाता है.

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ये पैरों की नसों से जुड़ी एक दिक्कत है. आज हम जानेंगे क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी के बारे में. डॉक्टर से पूछेंगे क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी क्या है. ये क्यों होती है. इसके लक्षण क्या हैं. इसका पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं. इससे बचाव और इसका इलाज क्या है.

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी क्या है?

ये हमें बताया डॉ. सचिन मित्तल ने.

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Dr Sachin Mittal - robotic, laparoscopic, laser, bariatric, and general  surgeon in Faridabad | Marengo Asia Hospitals
डॉ. सचिन मित्तल, हेड, बेरियाट्रिक एंड जनरल सर्जरी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, फरीदाबाद

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी तब होती है, जब पैरों की नसों (वेन्स) के वॉल्व ख़राब हो जाते हैं. पैरों की वेन्स यानी खून की वो नलियां, जो खून को पैरों से दिल तक लेकर जाती हैं. इन नसों में छोटे-छोटे वॉल्व होते हैं, जो खून को एक ही दिशा यानी दिल की तरफ जाने देते हैं. लेकिन जब ये वॉल्व किसी वजह से खराब हो जाते हैं. तब खून ऊपर दिल की तरफ नहीं जा पाता और नीचे पैरों में ही जमा होने लगता है. इसी वजह से क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी की समस्या होती है. यानी ये बीमारी पैरों में खून इकट्ठा होने की वजह से होती है.

कारण

- क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी वॉल्व्स के ख़राब होने की वजह से होती है.

- वॉल्व्स ख़राब होने का मुख्य कारण उन पर ज़्यादा प्रेशर पड़ना है.

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- ये प्रेशर मोटापे या प्रेग्नेंसी की वजह से पड़ सकता है.

- ये उन लोगों में भी हो सकता है, जिनका काम लंबे समय तक खड़े रहने का है.

- जैसे पुलिसवाले, टीचर्स, बस कंडक्टर और आर्मीवाले.

- इनके लगातार खड़े रहने की वजह से पैरों की नसों पर दबाव बढ़ता है.

- जिससे वॉल्व्स धीरे-धीरे ख़राब हो सकते हैं.

- इसके अलावा कुछ और कारण भी हो सकते हैं.

- जैसे सिगरेट पीना, जो नसों में मौजूद कोलेजन को नुकसान पहुंचाता है (कोलेजन एक तरह का प्रोटीन है).

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी के लक्षण

- पैरों के निचले हिस्से में सूजन आना.

- ये सूजन खड़े रहने पर ज़्यादा हो जाती है.

- जब मरीज़ लेट जाता है, तो 1–2 घंटे में सूजन बिल्कुल खत्म हो जाती है.

- अगर सुबह सूजन नहीं होती, लेकिन दिन चढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है.

- तो ये क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी का लक्षण हो सकता है.

- इसके अलावा, पैरों में भारीपन, जकड़न और मांसपेशियों में खिंचाव भी हो सकता है.

- जब ये लक्षण लंबे समय तक रहते हैं, तो धीरे-धीरे पैरों के निचले हिस्से की स्किन का रंग बदलने लगता है.

- रंग बदलकर हल्का भूरा हो जाता है.

- समय के साथ उस हिस्से में अल्सर (घाव) भी बनने लगते हैं.

- कई बार पैर की नसें फूली हुई दिखती हैं, जिसे वैरिकोज़ वेन्स कहते हैं.

- कुल मिलाकर वैरिकोज़ वेन्स, घाव और स्किन का रंग बदलना इस बीमारी के लक्षण होते हैं, जिनसे इसकी पहचान होती है.

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17 जुलाई को रेगुलर न्यूज़ ब्रीफिंग के दौरान व्हाइट हाउस की तरफ से ट्रंप की बीमारी पर जानकारी दी गई 
क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी के टेस्ट

- क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी को कई बार देखकर ही पहचान सकते हैं.

- पैरों का अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है, जिसे कलर डॉप्लर टेस्ट कहते हैं.

- ये खासकर पैरों की नसों और उनके वॉल्व्स को देखने के लिए किया जाता है.

- ये टेस्ट साफ-साफ बता देता है कि मरीज़ के वॉल्व्स की क्या स्थिति है.

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी से बचाव और इलाज

- क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी से बचने के लिए देर तक खड़े न हों.

- बीच-बीच में थोड़ा आराम करें और पंजों और पैरों को हल्का हिलाते रहें.

- इससे पैरों की मांसपेशियां एक्टिव रहती हैं और खून नीचे इकट्ठा नहीं होता है.

- आप लेट भी सकते हैं, ताकि खून का बहाव वापस दिल की तरफ जाए.

- इसके इलाज में स्टॉकिंग्स का इस्तेमाल भी होता है.

- स्टॉकिंग्स एक तरह का टाइट मोज़ा होता है, जो घुटनों तक पहना जाता है.

- अगर इससे भी आराम नहीं मिलता, तो कुछ दवाइयां दी जाती हैं.

- हालांकि इनसे बहुत ज़्यादा फायदा नहीं होता, पर ये खून के बहाव को बेहतर करती हैं.

- अगर दवाओं से भी राहत न मिले और मरीज़ को वैरिकोज़ वेन्स हों, तब लेज़र ट्रीटमेंट किया जाता है.

ये ख़तरनाक बीमारी नहीं है. अगर इसका सही समय पर इलाज हो, तो कॉम्प्लिकेशंस से बचा जा सकता है. उम्मीद है डॉनल्ड ट्रंप भी जल्दी ठीक हो जाएंगे. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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