कहानी का वो हिस्सा जहां चर्चिल (गैरी ओल्डमैन) डनकर्क और पास के दूसरे तट से अपने सैनिकों को evacuate करके लाने में पूरी तरह अक्षम और बेबस महसूस कर रहे हैं. लेटर टाइप कर रही उनकी टाइपिस्ट/सेक्रेटरी लेटन रोने लगती है. पूछती है - हमारे कितने लोग बचेंगे. इस पर चर्चिल उस वॉर रूप में लेटन को ले जाते हैं जहां उसका प्रवेश वर्जित है. वो उसे स्थिति समझाते हैं और कहते हैं कि "हम अपने 10 परसेंट लड़कों को वहां से बचाकर ला सकें उसके लिए भी बड़े चमत्कार की ज़रूरत पड़ेगी." फिऱ एक शब्द दो बार बोलते हैं - Courage. (फोटोः यूनिवर्सल पिक्चर्स)
“आखिर ये सबक कब सीखा जा सकेगा? कब? कितने और तानाशाह लुभाए जाएंगे. तुष्ट किए जाएंगे. इससे पहले कि हम सबक सीख लें. तुम एक शेर के साथ तब तर्क-वितर्क नहीं कर सकते जब तुम्हारा सिर उसके मुंह में हो.”
- ब्रिटेन के प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल अपनी वॉर कैबिनेट की बैठक में लॉर्ड हैलिफेक्स को झल्लाकर जवाब देते हैं, जो बार-बार उन पर दबाव बना रहे होते हैं कि वे वर्ल्ड वॉर-2 में जर्मनी से लड़ना बंद करें और हिटलर से शांति समझौता कर लें.
ये कहानी 1940 की है जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो चुका है. ब्रिटेन और उसकी गठबंधन फौजें हिटलर का मुकाबला नहीं कर पा रही हैं. ब्रिटेन की संसद में विपक्षी दल प्रधान मंत्री चैंबरलिन का इस्तीफा मांग बैठा है. अब चैंबरलिन को पद से हटने से पहले अपना ऐसा उत्तराधिकारी ढूंढ़ना है जिसे विपक्ष और जनता से लेकर किंग जॉर्ज-6 तक सब स्वीकार कर ले. यहीं पर विंस्टन चर्चिल की एंट्री होती है. उन्हें प्रधान मंत्री बनाया जाता है. लेकिन संसद में पहले भाषण को मिली ढीली प्रतिक्रिया और ब्रिटेन के राजा के साथ होने वाली बातचीतों से उन्हें महसूस होता है कि कैसे वे प्रधान मंत्री के तौर पर किसी को पसंद नहीं हैं. दूसरी ओर, चर्चिल को एक हारा हुआ युद्ध सौंपा गया है और सैन्य शक्ति और समर्थन न होने के बावजूद, सैनिकों के हताहत होने के बावजूद वो युद्ध जारी रखना चाहते हैं लेकिन उन्हीं की पार्टी के चैंबरलिन और हैलिफैक्स उन्हें लगातार पुश कर रहे हैं कि वे हिटलर के साथ शांति समझौता कर लें नहीं तो सारे ब्रिटिश सैनिक मारे जाएंगे. साथ ही साथ जल्दी ही ब्रिटेन पर हिटलर का कब्जा होगा.

अब आगे की कहानी ये है कि कैसे चर्चिल अपने देश और अपने जीवन के सबसे अंधेरे घुप्प काल / Darkest Hour में सरवाइव करते हैं. कैसे वे अपने विरोधियों और लोगों के बीच विश्वास कायम करते हैं. कैसे वे अपनी ही कैबिनेट के लोगों के दबाव के बीच अपने यकीन वाले फैसले ले पाते हैं और फ्रांस में डनकर्क के समंदर तट पर जान बचाने की कोशिश में खड़े 4 लाख ब्रिटिश व गठबंधन सैनिकों को बचा पाने के लिए वो क्या तरकीब निकालते हैं. ये फिल्म चर्चिल को एक अनोखे नेता के तौर पर पेश करती है. लोगों के जीवन पर आमतौर पर जो बायोपिक बनती हैं, उनमें सिर्फ एकतरफा नायकीय छवि पेश कर दी जाती है और ये उन लोगों की जिंदगी की असल कहानी से न्याय नहीं कर पाती. जैसे कि चर्चिल बहुत ही विवादित आदमी रहे हैं. ये वही हैं जिन्होंने महात्मा गांधी को ‘अधनंगा उपद्रवी फकीर’ कहा था. कथित तौर पर चर्चिल ने बंगाल के अकाल के दौरान कहा था कि ‘अगर खाने को अनाज नहीं है तो गांधी अब तक कैसे जिंदा है.’ ये वही बंगाल का कुख्यात अकाल था जिसमें करीब 43 लाख भारतीय मारे गए थे. कारण ये बताया जाता है कि चर्चिल ने भारत में खाद्य पदार्थों की सप्लाई अकाल वाले इलाकों की बजाय युद्ध में अपने और सहयोगी मुल्कों के सैनिकों के लिए भेज दी. ‘डार्केस्ट आवर’ में चर्चिल को हिटलर जैसे तानाशाहों से घृणा करते हुए दिखाया गया है. लेकिन ये कैसी विडंबना है कि भारतीय सांसद शशि थरूर ने 2017 में प्रकाशित अपनी किताब ‘इनग्लोरियस एम्पायर’ में चर्चिल की तुलना हिटलर से की. उन्होंने लिखा, "ये वो आदमी है जिसे ब्रिटिश लोग चाहते हैं कि हम आज़ादी और लोकतंत्र का मसीहा कहें, जबकि इसके हाथों में भी उतना अधिक ख़ून लगा है जितना कि 20वीं सदी के सबसे गंदे नरसंहार करने वाले तानाशाहों के हाथों पर लगा है." इस आलोचना के उलट गैरी ओल्डमैन चर्चिल को मसीहा ही मानते हैं. फिल्म में इस ब्रिटिश प्रधान मंत्री का रोल करने वाले गैरी ने इसके लिए बेस्ट एक्टर का गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जब स्वीकार किया तो अंत में कहा, "मुझे डार्केस्ट आवर पर गर्व है. ये बताती है कि कैसे शब्द और फैसले इस दुनिया को बदल सकते हैं. और अभी इस बदलाव की ज़रूरत है." चर्चिल के जीवन की कहानी इस फिल्म की हाइलाइट नहीं है. फिल्म की सबसे खास बात गैरी ओल्डमैन को चर्चिल का रोल करते देखना है. वे पतले शरीर और पतले मुंह वाले हैं. और उन्होंने प्रोस्थेटिक मेकअप की मदद से चर्चिल जैसा चेहरा और शारीरिक आकार लिया. उसके बाद उनका अभिनय चालू होता है, जो आंखों और मन को बांध लेने वाला है. सिर्फ उनकी अदायगी के लिए फिल्म को दो से अधिक बार देखा जा सकता है. अद्भुत. जैसे फिल्म में वो सीन देख सकते हैं जब चर्चिल का किरदार अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रोज़वेल्ड को फोन करता है कि – “प्लीज़ हमें 50 पुराने डिस्ट्रॉयर प्लेन दे पाएंगे? चाहे 40 ही दे दीजिए.” यहां पर चर्चिल की याचना, गिड़गिड़ाहट और कंपकपी भीतर तक झकझोर जाती है. बेस्ट एक्टर की श्रेणी में डेनियल डे लुइस (फैंटम थ्रेड), डेंजल वॉशिंगटन (रोमन जे. इज़रायल, एस्कवायर), टिमथी शालामे (कॉल मी बाय योर नेम) और डेनियल कलूया (गेट आउट) जैसे परफॉर्मेंस है लेकिन तय है कि इस कैटेगरी का ऑस्कर गैरी ही जीतेंगे. 'डार्केस्ट आवर' को डायरेक्ट किया है ‘जो राइट’ ने जो ‘प्राइड एंड प्रेजुडिस’ (2005), ‘अटोनमेंट’ (2007), ‘द सोलोइस्ट’ (2009) और ‘एना कैरेनिना’ (2012) जैसी फिल्में बना चुके हैं. याद करें तो उनकी फिल्म ‘अटोनमेंट’ में भी ‘द डार्केस्ट आवर’ वाले कालखंड का चित्रण किया गया है. ‘डार्केस्ट आवर’ में चर्चिल का पात्र फ्रांस के तट डनकर्क पर फंसे अपने सैनिकों को बचाने के लिए बेहाल है, वहीं ‘अटोनमेंट’ में ऐसे ही एक सैनिक को इसी तट पर युद्ध के विध्वंस के बीच खड़े दिखाया जाता है.
2018 के ऑस्कर्स में ‘डार्केस्ट आवर’:
6 नामांकन मिले, 2 में विजेता रही. बेस्ट पिक्चर – टिम बेवन, एरिक फेलनर, लीज़ा ब्रूस, एंथनी मेककार्टन और डगलस उरबांस्की
बेस्ट एक्टर – गैरी ओल्डमैन (विजेता)
सिनेमैटोग्राफी - ब्रूनो डेलबोनैल
कॉस्ट्यूम डिजाइन – जैकलीन डुरैन
मेकअप और हेयरस्टाइलिंग – काज़ुहीरो सूज़ी, डेविड मलिनोवस्की और लूसी सिबिक (विजेता)
प्रोडक्शन डिजाइन – सैरा ग्रीनवुड; सेट डेकोरेशन – केटी स्पेंसर
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(Award tally edited post the Oscar ceremony on March 5, 2018.)