2 अप्रैल 2011. भारत के लिये एक ऐतिहासिक दिन था. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में इंडियन टीम ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंकन टीम को हरा कर इतिहास रच दिया. 28 साल बाद भारतीय टीम दूसरी बार विश्व विजेता बन गई. फाइनल मैच में श्रीलंका ने भारत के सामने 275 रनों का लक्ष्य रखा. जिसे इंडियन टीम ने चार विकेट खोकर हासिल कर वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम कर ली.
फाइनल मैच में सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने शानदार 97 रन बनाए. लेकिन असली मेला लूटा कप्तान धोनी ने. नंबर चार पर बैटिंग करने उतरे धोनी ने 79 गेंदों पर 91 रन की पारी खेल वर्ल्डकप भारत की झोली मे डाल दिया. 49वें ओवर में श्रीलंकन तेज गेंदबाज कुलासेकरा की गेंद को ग्राउन्ड के बाहर भेज धोनी ने भारतीय टीम को चैंपियन बना दिया.
वैसे तो धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कई छक्के लगाए हैं. लेकिन 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में लगाया हुआ उनका ये छक्का आज भी इंडियन क्रिकेट फैंस के दिल में ताजा है. धोनी के साथ दूसरे छोर पर खड़े युवराज सिंह ने इस छक्के को सबसे नज़दीक से देखा था.
इस वर्ल्डकप को जिताने में युवराज सिंह का सबसे अहम योगदान रहा था. 2011 वर्ल्ड कप में चार बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीतने वाले युवराज ने बल्ले से 362 रन बनाने के साथ गेंदबाजी से 15 विकेट भी हासिल किए थे. इस वर्ल्डकप जीत के 10 वर्ष पूरे हो गए हैं. उन लम्हों को याद करते हुए युवराज सिंह ने द हिन्दू से कहा,
‘भगवान हमेशा मेरे पर मेहरबान रहे हैं. भारत के लिये दो वर्ल्ड कप विनिंग टीम का हिस्सा होना एक बेहतरीन एहसास है. मुझे खुशी है कि मैंने दोनों वर्ल्डकप में टीम के लिये अच्छा प्रदर्शन किया.’
2007 T20 वर्ल्डकप में एक ओवर में छह छक्के मारने वाले युवराज ने आगे कहा,
‘2007 में जब मैंने छह छक्के जड़े तो लोगों का खुशी एक अलग तरह का था. खासकर जो यंग फैंस थे, उन्होंने उसका लुत्फ सबसे ज्यादा उठाया. अभी भी लोग मुझसे कहते है कि उन्हें वो सारे छक्के अभी भी पूरी तरह याद हैं.’
2011 वर्ल्ड कप के बारे में युवराज ने कहा,
‘2011 वर्ल्डकप में भी मैंने ज्यादातर मैचों में योगदान दिया. पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में मैंने बल्ले से रन नहीं बनाए, लेकिन बोलिंग से उनके दो टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को आउट किया. वहीं फाइनल में भी मैंने दो श्रीलंकन बल्लेबाजों को आउट किया जिनमे से एक संगकारा भी थे.’
धोनी के विनिंग छक्के को याद करते हुए युवराज ने कहा,
‘जीत मायने रखती है. लेकिन किस स्टाइल में मैच जीता गया है वो ज्यादा मायने रखता है. किसी मैच को सिंगल लेकर जीतने और छक्के मारकर जीतने में यही फ़र्क है. धोनी ने अच्छे अंदाज में काम खत्म किया.’
गौरतलब है कि धोनी का ये छक्का 2011 वर्ल्ड कप की सबसे ज्यादा चर्चित चीजों में से एक है. कई क्रिकेटर्स इसे मिलने वाली तवज़्ज़ो से नाखुश रहते हैं. वो वहीं कई लोग इसे ऐतिहासिक मानते हैं.
ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे रितेश ने लिखी है.
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