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म्यांमार की सेना ने अचानक 5 उग्रवादियों को भारत के हवाले कैसे कर दिया?

भारत में हमला करने वाले उग्रवादियों से करीबियों के बाद भी म्यांमारी सेना ने यह कदम उठाया है

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पहले फोटो में इम्फाल हवाई अड्डे पर पहुंचे उग्रवादियों को पुलिस वैन में बिठाते सुरक्षाकर्मी (फोटो सभार: इंडिया टुडे)
16 दिसंबर 2021 (Updated: 16 दिसंबर 2021, 10:49 IST)
Updated: 16 दिसंबर 2021 10:49 IST
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म्यांमार की सेना ने प्रतिबंधित रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF) के पांच उग्रवादी मणिपुर पुलिस के हवाले किए हैं. RPF, उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का सहयोगी संगठन है. बीते महीने पीएलए ने मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 5 जवानों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी. विमान से भारत लाया गया इंडिया टुडे के हेमंत कुमार नाथ की रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर पुलिस के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि RPF से जुड़े मणिपुर के पांच उग्रवादियों को म्यांमार ने भारत को सौंपने का वादा किया था, जिसे उसने बुधवार 15 दिसंबर को पूरा कर दिया. इस अधिकारी के मुताबिक इन उग्रवादियों को एक विशेष विमान से इम्फाल लाया गया. इसके बाद पुलिस इन्हें तुरंत एक अज्ञात स्थान पर ले गई, जहां वरिष्ठ अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे हैं. हालांकि, पुलिस अभी इस बात की पुष्टि नहीं कर पाई है कि ये विद्रोही किसी घटना में शामिल थे या नहीं. 2020 में म्यांमार ने पकड़ा था इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अगस्त में उत्तर-पश्चिमी म्यांमार के सगाइंग इलाके से वहां की सेना ने इन उग्रवादियों को पकड़ा था. इनकी पहचान नरेंद्र नोंग माइजिंग, लोइटोंगबाम राजकुमार, थोकचोम कलासना, सलाम सोमेंद्र और चौरेन रोहेन के रूप में हुई. म्यांमारी सेना के मुताबिक जांच के बाद पता लगा था कि ये सभी उग्रवादी वादी संगठन RPF के सदस्य हैं. जब इन्हें पकड़ा गया था, तब ये काफी बीमार थे, जिसके बाद इन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. म्यांमार ने क्यों उग्रवादी सौंपे? भारत में हमला करने वाले उग्रवादी संगठनों को म्यांमारी सेना का करीबी माना जाता है. ऐसे में 5 उग्रवादियों को भारत को सौंपे जाने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि आखिर म्यांमारी सेना ने इन उग्रवादियों को भारत के हवाले करने का फैसला कैसे ले लिया? इस सवाल का जवाब मणिपुर में 13 नवंबर को असम राइफल्स के काफिले पर हुए एक हमले से जुड़ा है. यह हमला पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और उसके एक सहयोगी संगठन मणिपुर नगा पीपुल्‍स फ्रंट (MNPF) ने किया था. इसमें 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और 9 साल के बेटे सहित 7 लोगों की जान चली गई थी. एशिया टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले के बाद से भारत और म्यांमार के रिश्ते में काफी तनाव आ गया था. क्योंकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि सेना के काफिले पर हमला करने के बाद उग्रवादी म्यांमार की सीमा में भाग गए. एशिया टाइम्स के मुताबिक नगा, मणिपुर और असम के उग्रवादी पिछले कई सालों से म्यांमार के सगाइंग इलाके में अपने कैंप बनाए हुए हैं. ये कैंप भारत और म्यांमार के बीच लंबे समय से विवाद का विषय भी बने हुए हैं. माना जा रहा है कि 13 नवंबर को असम राइफल्स के काफिले पर हुए हमले के बाद, जब भारत ने ज्यादा नाराजगी दिखाई, तो म्यांमारी सेना पर इन 5 उग्रवादियों को छोड़ने का दबाव बना और उसने इन्हें भारत के हवाले कर दिया.

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