'I Love You बोलना यौन उत्पीड़न नहीं', आरोपी को बरी कर बॉम्बे हाईकोर्ट ने और क्या कहा?
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि I Love you बोलने के अलावा अगर आरोपी ने कोई ऐसी हरकत की है जिससे उसके यौन इरादे का पता चलता हो तभी उसे यौन उत्पीड़न का मामला माना जाएगा. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने 35 वर्षीय युवक को बरी कर दिया.

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने कहा है कि सिर्फ 'आई लव यू' कहना यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा. इसे यौन शोषण तब माना जाएगा, जब इन शब्दों के साथ व्यक्ति कोई ऐसा आचरण करे जिससे ये पता चले कि वो यौन उत्पीड़न का इरादा रखता है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन शोषण के एक मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहा,
'आई लव यू' जैसे शब्दों को यौन इरादे के बराबर नहीं माना जाएगा. विधानमंडल में ऐसा ही माना जाता है. कुछ और भी होना चाहिए जिससे संकेत मिले कि व्यक्ति के वास्तविक इरादे में सेक्स का एंगल था.
यौन शोषण के एक मामले में आरोपी ने एक नाबालिग लड़की को ‘आई लव यू’ कहा था. पुलिस ने FIR दर्ज की. अलग-अलग आरोपों के तहत उसे लोअर कोर्ट में सजा सुनाई गई. लेकिन 30 जून को नागपुर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उसे बरी कर दिया. जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा,
क्या है पूरा मामला?इस केस में ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित होता हो कि आरोपी ने आंखों से या शरीर से ऐसा इशारा किया है जो उसके यौन इरादे को बताता हो. अभद्रता में अनुचित स्पर्श, जबरन कपड़े उतारना, अभद्र इशारे या महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई टिप्पणी शामिल होती है.
यह मामला अक्टूबर 2015 का है. आरोप है कि आरोपी ने 17 साल की लड़की को स्कूल से घर जाते समय परेशान किया. शिकायत में कहा गया है कि शख्स ने लड़की का हाथ पकड़ा, अपना नाम बताने को कहा और उसे ‘मैं तुमसे प्यार करता हूं’ बोलकर चला गया. किशोरी ने घर जाकर पिता को ये बात बताई. पिता की शिकायत पर पुलिस ने मामले में FIR दर्ज की.
जांच पड़ताल के बाद आरोपी को IPC और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप लगाया गया. 2017 में एडिशनल सेशन जज ने शख्स को दोषी करार दिया. सजा के तौर पर तीन साल की जेल और 5000 रुपये का जुर्माना सुनाया गया. इस फैसले के खिलाफ दोषी ने हाई कोर्ट में अपील की थी. इसमें उसे बरी कर दिया गया.
आरोपी पर IPC की धारा 354D के तहत पीछा करने का भी आरोप लगा था. कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, जहां तक पीछा करने के आरोप का सवाल है, कथित कृत्य केवल एक बार हुआ था. इसे बार-बार दोहराया नहीं गया. ना बार-बार बात करने की कोशिश की गई. पीछा करने के आरोप के लिए इन बातों का सबूत होना चाहिए जरूरी है.
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