शेख हसीना को किस मामले में 6 महीने की जेल की सजा हुई है?
शेख हसीना के आत्मसमर्पण या गिरफ्तारी के बाद से सजा लागू हो जाएगी. इसी मामले में ढाका के एक राजनीतिक कार्यकर्ता और अवामी लीग की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (BCL) से जुड़े शकील अकंद बुलबुल को भी 2 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है.

Sheikh Hasina Contempt Sentence: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक अवमानना मामले में दोषी करार दिया गया है. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने बुधवार, 2 जून को उन्हें 6 महीने जेल की सजा सुनाई. यह फैसला ट्रिब्यूनल-1 की तीन सदस्यीय बेंच ने सुनाया, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस मोहम्मद गोलाम मोर्तुजा मोजुमदार कर रहे थे.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना के आत्मसमर्पण या गिरफ्तारी के बाद से सजा लागू हो जाएगी. इसी मामले में ढाका के एक राजनीतिक कार्यकर्ता और अवामी लीग की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (BCL) से जुड़े शकील अकंद बुलबुल को भी 2 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है.
कोर्ट की अवमानना का केस पिछले साल अक्टूबर में लीक हुई एक फोन कॉल से जुड़ा है. इस कॉल लीक में शेख हसीना की आवाज बताई गई थी. उस कॉल में शेख हसीना ने शकील अकंद बुलबुल से कथित तौर पर कहा था, "मेरे खिलाफ 227 मामले दर्ज किए गए हैं, इसलिए मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है."
अदालत ने इस बयान को न्याय प्रक्रिया का अपमान और डर फैलाने वाला बताया.
अभियोजन पक्ष ने कहा कि हसीना का यह बयान अदालत का अपमान है क्योंकि इससे न्याय प्रक्रिया को खतरा हो सकता था. दलील दी गई कि हसीना का बयान उन लोगों को डराने की कोशिश थी, जो पिछले साल के बड़े आंदोलन से जुड़े युद्ध अपराधों की जांच कर रहे थे.
वहीं, बांग्लादेश अवामी लीग ने शेख हसीना को मिली सजा की निंदा की है. पार्टी ने एक्स पर लिखा,
"बांग्लादेश अवामी लीग राष्ट्रपिता की बेटी, प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ झूठे और हास्यास्पद मामले में दी गई गैरकानूनी और असंवैधानिक छह महीने की जेल की सजा के खिलाफ अपना कड़ा विरोध और आक्रोश व्यक्त करती है."
अवामी लीग ने आगे लिखा,
"इस तथाकथित ट्रिब्यूनल ने - जिसे अवैध और असंवैधानिक अंतरिम उग्रवादी शासन ने बनाया था - एक महीने से भी कम समय में यह एकतरफा फैसला सुनाने के लिए कानून और न्याय के सभी मानदंडों और मिसालों का खुलेआम उल्लंघन किया. बांग्लादेश की न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा शर्मनाक कृत्य अभूतपूर्व है. अपराधी यूनुस के नेतृत्व वाले चरमपंथी समूह ने बांग्लादेश में कानून के शासन को रौंद दिया है और न्याय को बिगाड़ दिया है, कानूनी प्रक्रिया को मजाक में बदल दिया है - 'न्यायिक आतंकवाद' का एक ऐसा कृत्य जो कुख्यात कंगारू कोर्ट मॉडल से भी आगे निकल गया है."
जब से शेख हसीना को सत्ता से बदखल किया गया है, तब से यह पहला मामला है जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया है. अगस्त 2024 में उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया गया था. 5 अगस्त 2024 को हसीना ने बांग्लादेश से भागकर भारत में शरण ली थी.
उस समय देश में हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे, जिन्हें स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) के छात्र आंदोलन ने शुरू किया था. आंदोलन की शुरुआत सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में बदलाव की मांग से हुई थी, लेकिन जल्द ही यह सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई से अगस्त 2024 के बीच हुई हिंसा में करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी. हसीना के देश छोड़ने के तीन दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख (चीफ एडवाइजर) बनाया गया. हसीना के कई पूर्व मंत्री और अधिकारी भी अब हिंसा के मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं.
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