कोरोना महामारी के बीच ऐसी बहुत-सी ख़बरें आई हैं, जहां मानवीय संवेदनशीलता पर सवाल उठ जाते हैं. ऐसी ही एक ख़बर पश्चिम बंगाल से आई है. एक परिवार का अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि उनके परिचित, जिनकी मौत कोरोना संक्रमण से हो गई, उनके आख़िरी दर्शन नहीं करने दिए. परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने अंतिम संस्कार करने जा रहे अधिकारियों से आख़िरी बार मृतक को देखने की बात कही, तो उनसे 51 हज़ार रुपए मांगे गए.
परिवार का कहना है कि जब पैसे देने से मना कर दिया गया, तो उन्होंने बिना आख़िरी बार मृतक को दिखाए ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इस तरह परिवार उन्हें आख़िरी बार देख भी नहीं सका.
हालांकि इस आरोप को अस्पताल प्रशासन ने खारिज़ कर दिया, लेकिन अब परिवार पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है.
‘इंडिया टुडे’ में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, हरि गुप्ता नाम के शख्स की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई. उस समय वे अस्पताल में भर्ती थे. लेकिन परिवार का कहना है कि उन्हें बिना बताए ही उनके रिश्तेदार का अंतिम संस्कार किया जा रहा था.
# मरीज़ मर गया, लेकिन फोन पर नहीं बताया
मृतक हरि गुप्ता की मौत के कई घंटे बाद भी उनके परिवार को मौत की ख़बर नहीं दी गई. बताया जा रहा है कि मौत शनिवार, 8 अगस्त की देर रात हो चुकी थी. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने परिवार को ख़बर अगले दिन रविवार, 9 अगस्त को दोपहर में दी. मृतक के बेटे सागर गुप्ता का आरोप है कि उन लोगों के अस्पताल पहुंचने से पहले ही बिना पहचान कराए उनके पिता के शव को अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया गया.
जब इस बाबत पूछा गया, तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि उनके पास परिवार का फोन नंबर नहीं था. सागर गुप्ता का कहना है कि उन्हें अस्पताल प्रशासन ने बताया कि कोरोना की वजह से मरे हुए शख्स का शव परिवार को न देने का प्रोटोकॉल है, जिसके तहत उन्हें शव नहीं दिया गया. इसके बाद सागर गुप्ता बाक़ी रिश्तेदारों के साथ शिबपुर श्मशान घाट पहुंचे, जहां उनके पिता के अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं.
सागर गुप्ता का आरोप है कि जब उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों से पिता के अंतिम दर्शन कराने की बात कही, तो उनसे 51 हज़ार रुपए मांगे गए. परिवार ने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो अंतिम बार 31 हज़ार रुपए मांगे गए. लेकिन परिवार ने किसी भी तरह से पैसे देने से इनकार कर दिया.
सागर गुप्ता का आरोप है कि इसके बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी, लेकिन उनके कहने पर भी अस्पताल प्रशासन के लोगों ने पिता को आख़िरी बार देखने की इजाज़त नहीं दी.
सागर गुप्ता का ये भी आरोप है कि जब परिवार के एक सदस्य ने मामले की फोन कैमरे से रिकॉर्डिंग करनी चाही, तो उनका फोन छीन लिया गया. अब परिवार अस्पताल पर बाक़ायदा FIR कराने की तैयारी में है.
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