मंगल ग्रह से पृथ्वी पर पहुंचे इस पत्थर को खरीदने की होड़, 44 करोड़ में बिका, ऐसा क्या खास है?
इस उल्कापिंड को खरीदने के लिए लोगों के बीच 15 मिनट तक बोली चली. यह बोली ऑनलाइन और फोन कॉल के जरिए लगाई जा रही थी. इसे खरीदने वाले ने अपनी पहचान गुप्त रखी है.
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मंगल ग्रह से आए एक उल्कापिंड (Meteorite) ने सोथबीज (Sotheby’s) की नीलामी में इतिहास रच दिया. इस उल्कापिंड का नाम NWA 16788 है. वजन साढ़े 24 किलोग्राम है. इसे बुधवार, 16 जुलाई को अमेरिका के न्यूयॉर्क में नीलामी के लिए पेश किया गया. जहां दुनिया की मशहूर नीलामी कंपनी सोथबीज ने इसे 5.3 मिलियन डॉलर (करीब 44 करोड़ रुपये) में बेचा. यह नीलामी में बिकने वाला सबसे महंगा उल्कापिंड बन गया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस नीलामी में उल्कापिंड को खरीदने के लिए लोगों के बीच 15 मिनट तक बोली चली. यह बोली ऑनलाइन और फोन कॉल के जरिए लगाई जा रही थी. इस दौरान अंतिम बोली 44 करोड़ रुपये पर खत्म हुई. हालांकि इसे खरीदने वाले ने अपनी पहचान गुप्त रखी है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस उल्कापिंड को नवंबर 2023 में उत्तरी अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में पाया गया था. एक शिकारी समूह को ये पत्थर मिला था. इसकी खास बात यह है कि यह पहले मिले मंगल ग्रह के उल्कापिंडों से 70 प्रतिशत बड़ा है. दुनिया भर में केवल 400 मंगल ग्रह के उल्कापिंड पाए गए हैं. इस उल्कापिंड के बिकने से पहले सोथबीज की उपाध्यक्ष और विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास की जानकार कैसंड्रा हैटन ने कहा, "यह एक अद्भुत टुकड़ा है, जो मंगल ग्रह से टूटा और पृथ्वी तक पहुंच गया."
रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि करीब 50 लाख साल पहले मंगल ग्रह से एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) या धूमकेतु (Comet) जोरदार तरीके से टकराया होगा. इस टक्कर के बाद चट्टानों और मलबे के कई टुकड़े अंतरिक्ष में चले गए. NWA 16788 नाम का यह टुकड़ा भी उन्हीं में से एक था. जिसने अंतरिक्ष में 140 मिलियन मील (लगभग 22.5 करोड़ किमी) की दूरी तय की. और पृथ्वी पर आ गिरा.

हैटन ने बताया, “आमतौर पर ऐसा मलबा वायुमंडल में जलकर खत्म हो जाता है. या समुद्र में गिरकर खो जाता है. लेकिन यह टुकड़ा बच गया. और धरती पर रेगिस्तान के बीच गिरा.”
इस उल्कापिंड का रंग लाल-भूरा है. ABC की रिपोर्ट के मुताबिक यह मंगल ग्रह की मिट्टी जैसा दिखता है. इसमें कुछ हिस्सों में कांच जैसी परत है. ऐसा अंतरिक्ष में तेज रफ्तार में पृथ्वी की ओर आने से हुआ है. इसका 21.2% हिस्सा मास्केलिनाइट (एक तरह का कांच), पाइरॉक्सीन और ओलिवाइन (Olivine) जैसे खनिजों (Minerals) से बना है.
कैसे साबित हुआ?अमेरिका और कनाडा के रिसर्चर्स ने अप्रैल 2024 में एक रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया कि यह उल्कापिंड एक ओलिवाइन-गैब्रोइक शेरगोटाइट है. यानी मंगल ग्रह की एक नई और खास किस्म की चट्टान. यह चट्टान मंगल पर मैग्मा (लावा) के धीरे-धीरे ठंडा होने से बनी है.
सोथबीज की इस नीलामी में सिर्फ मंगल ग्रह का उल्कापिंड नहीं बिका. इसमें डायनासोर अवशेष भी शामिल थे. करीब 15 करोड़ साल पहले के जुरासिक काल के एक सेराटोसॉरस (Ceratosaurus) के कंकाल को 26 मिलियन डॉलर (लगभग 223 करोड़ रुपये) में बेचा गया. वहीं क्रिटेशियस काल के एक पचीसेफालोसॉरस (Pachycephalosaurus) की खोपड़ी को 1.4 मिलियन डॉलर (करीब 11.5 करोड़ रुपये) में खरीदा गया.
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