भारतीय जनता पार्टी के गांधी यानी वरुण गांधी, एक बार फिर अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ बोले हैं. वरुण ने सरकारी यानी पब्लिक सेक्टर की बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का न सिर्फ विरोध किया है, बल्कि लोगों को प्राइवेटाइजेशन के बाद होने वाली कथित परेशानियों के बारे में भी खुलकर बताया है. न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक यूपी के बरेली में एक कार्यक्रम के दौरान वरुण गांधी ने कहा,
“बैंकों का निजीकरण हुआ तो 8-10 लाख लोगों की नौकरी चली जाएगी, ये लोग 40-50 साल के हो जाएंगे. कौन उन्हें फिर से ट्रेनिंग देगा और उन्हें फिर से नौकरी देगा? उनके बच्चों का पालन-पोषण कौन करेगा? अगर BHEL(भेल), MTNL, BSNL, एयरपोर्ट्स और एयरलाइंस बिक गए तो आम आदमी के बच्चों को रोजगार कौन देगा?”
If banks are privatised, 8-10 lakh people will lose jobs, they’ll be 40-50-yr-old. Who’ll retrain them & employ them again? Who’ll feed their children? If BHEL,MTNL,BSNL,airports & airlines are sold,who’ll emply common man’s children?: BJP MP Varun Gandhi in Bareilly (UP) (20.12) pic.twitter.com/K91VWxYDvU
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 21, 2021
भाजपा सांसद वरुण गांधी का यह बयान उनकी पार्टी और सरकार के खिलाफ माना जा रहा है, क्योंकि मोदी सरकार बैंकों के निजीकरण का समर्थन कर रही है. सरकार जल्द ही संसद में बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर ‘बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक’ लाने वाली है, जिससे सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
मुझे टिकट कटने का डर नहीं
अमर उजाला की खबर के मुताबिक सोमवार 20 दिसंबर को वरुण गांधी ने ये भी कहा कि वे लोगों के हक में अपनी आवाज उठाते रहेंगे क्योंकि उन्हें टिकट कटने का कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा,
‘मैं देश के हर उस व्यक्ति के साथ हूं, जिसके साथ अन्याय हो रहा है. सरकार से किसानों के गन्ने के रुपए बढ़ाने की बात कहने की हिम्मत किसी सांसद और विधायक की नहीं हुई. केवल मैंने ही गन्ने के रेट बढ़ाने का मुद्दा उठाया. उन नेताओं को डर लगता है कि हमारा टिकट कट जाएगा, पद चल जाएगा. जनता की आवाज अगर जनप्रतिनिधि नहीं उठाएगा तो कौन उठाएगा?’
वरुण ने आगे कहा, ‘मुझे टिकट कटने से कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरे परिवार ने निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं, कभी हारे नहीं. मैं टिकट के स्वार्थ में झूठ नहीं बोलूंगा. सरकारें तो आती जाती रहती हैं.’
बीजेपी की लाइन से अलग हटकर बयानबाजी
वरुण गांधी इसे पहले भी कई बार अपनी पार्टी लाइन के विपरीत जाकर बोल चुके हैं. मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को लेकर भी वे लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे और किसान आंदोलन के पक्ष आवाज उठाते रहे. बीते अक्टूबर में लखीमपुर में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत के मामले में उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था. उन्होंने पीड़ित परिवारों को 1-1 करोड़ का मुआवजा देने, किसानों पर ज्यादती न करने और पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग भी की थी.
पीएम मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद वरुण गांधी ने पीएम मोदी को भी एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने एमएसपी पर जल्द कानून बनाने की मांग की थी. साथ ही उन्होंने इस पत्र में लिखा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा लिप्त हैं, इसलिए उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
वीडियो-लखीमपुर हिंसा में वरुण गांधी और प्रियंका गांधी ने PM मोदी को चिट्ठी लिख क्या कह दिया?