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मंत्री स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर एक ही सीट से BJP का टिकट क्यों मांग रहे हैं?

लखनऊ शहर में पति और पत्नी दोनों ने लगाए अलग-अलग पोस्टर

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स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह सरोजनी नगर सीट से टिकट मांग रहे हैं (फोटो: फेसबुक)
19 जनवरी 2022 (Updated: 19 जनवरी 2022, 10:39 IST)
Updated: 19 जनवरी 2022 10:39 IST
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यूपी में असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी से जूझ रही बीजेपी (BJP) के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है, जिसका समाधान पार्टी को भी नहीं सूझ रहा है. राजधानी लखनऊ की सरोजनी नगर विधानसभा सीट पर पार्टी से जुड़े पति और पत्नी दोनों ही टिकट के लिए दावा कर रहे हैं. इस सीट से योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह के साथ-साथ उनके पति और राज्य बीजेपी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने भी टिकट की मांग की है. लखनऊ शहर में दोनों के ही पोस्टर लगे हैं, और दोनों ने ही अपने-अपने पोस्टर्स में एक-दूसरे का नाम और फोटो इस्तेमाल नहीं किया है. दयाशंकर क्यों मांग रहे हैं टिकट? लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से इस समय स्वाति सिंह ही विधायक हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब पत्नी इस सीट से विधायक हैं और वे फिर टिकट मांग रही हैं तो फिर दयाशंकर सिंह यहां से क्यों टिकट चाहते हैं. आजतक ने जब यह सवाल दयाशंकर सिंह से किया तो उन्होंने कहा,
"हां, मैंने भी सरोजिनी नगर सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. 2017 में मेरी वजह से ही स्वाति सिंह को यहां से टिकट मिला था. पार्टी मुझे टिकट दे या स्वाति सिंह को, अब फैसला मैंने पार्टी पर छोड़ दिया है. पार्टी तय करेगी, किसको टिकट मिलेगा."
जब दयाशंकर सिंह से यह सवाल किया गया कि क्या वे अपनी दावेदारी से पत्नी की दावेदारी कमजोर नहीं कर रहे? इस पर उन्होंने कहा,
"देखिए, ऐसी कई सीटें हैं जहां एक से ज़्यादा लोग अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. एक परिवार के दो लोग भी टिकट मांगते हैं. पिछली बार भी मैंने मांगा था...लेकिन तब पार्टी ने कहा आप मत लड़ें, स्वाति सिंह को चुनाव लड़वाने में मदद करें. तो मेरी टीम ने उन्हें लड़वाया. दावेदारी तो हर समय रहती है. बाक़ी निर्णय पार्टी का है."
स्वाति सिंह का क्या कहना है? बीते दिसंबर में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री स्वाति सिंह ने सरोजनी नगर से दावेदारी को लेकर आजतक से कहा था कि उन्होंने इस विधानसभा सीट के लिए किए गए अपने काम के बूते पर टिकट की दावेदारी पेश की है. उनके मुताबिक,
"2017 में इस इलाके में बिजली की बहुत बड़ी समस्या थी. आज एक भी घर ऐसा नहीं जिसमें बिजली नहीं है. डिफेंस कॉरिडोर मेरे ही क्षेत्र में बनेगा. 5 साल बाद मेरे क्षेत्र में एक भी बेटा या बेटी बेरोजगार नहीं रहेगा."
2016 में दयाशंकर सिंह क्यों विवादों में फंसे थे? दयाशंकर सिंह ने जुलाई 2016 में बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर विवादित बयान दिया था. मामले के तूल पकड़ने पर उन्हें बीजेपी से निकाल दिया गया था. करीब 10 दिन तक लापता रहने के बाद उन्हें 29 जुलाई 2016 को बिहार के बक्सर से गिरफ्तार किया गया था. रिहाई के बाद पार्टी में उनकी दोबारा वापसी हो गई थी. बाद में मायावती पर की गई अपनी विवादित टिप्पणी को लेकर दयाशंकर सिंह ने कहा था,
"मैंने जो कुछ भी कहा वह वास्तव में गलत है. मेरा तरीका गलत था लेकिन यह सच है कि मायावती टिकटों के बंटवारे में पैसे लेती हैं. मेरा बयान गलत था और मैंने इसके लिए माफी भी मांग ली."
2016 में स्वाति सिंह कैसे अचानक चर्चा में आईं साल 2016 में दयाशंकर सिंह की मायावती पर टिप्पणी के चलते बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी. लेकिन, इसी दौरान दयाशंकर सिंह के बयान से बौखलाए बसपा के नेताओं ने उनकी बेटी को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके बाद पत्नी स्वाति सिंह ने बसपा नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इस घटना से वे काफी चर्चा में आ गई थीं. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया था फिर 2017 के चुनाव में उन्हें सरोजनी नगर से चुनाव मैदान में उतार दिया. इस चुनाव में स्वाति सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के अनुराग यादव को 34 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. सरोजनी नगर सीट पर वोटों का गणित सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में करीब पांच लाख वोटर हैं. अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में सबसे अधिक दलित मतदाता हैं. ठाकुर और ब्राह्मण जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. इस सीट पर मुस्लिम वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से काफी बड़ी इस विधानसभा सीट का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण इलाकों में भी आता है. सरोजनी नगर विधानसभा सीट से 1989 में जनता दल के शारदा प्रसाद शुक्ला, 1991 में कांग्रेस के विजय कुमार त्रिपाठी, 1993 और 1996 में सपा के श्याम किशोर यादव चुनाव जीते थे. 2002 और 2007 के चुनाव में यहां से बसपा के इरशाद खान विधानसभा पहुंचे तो वहीं 2012 में सपा के शारदा प्रसाद शुक्ला सरोजनी नगर से विजयी रहे.

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