BJP में इस्तीफों की झड़ी लगी, मंत्री धर्म सिंह सैनी सहित 3 विधायकों ने पार्टी छोड़ी
तीनों विधायक स्वामी प्रसाद मौर्या के करीबी हैं
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यूपी भाजपा में संकट थमता नहीं दिख रहा है. गुरुवार 13 जनवरी को तीन और विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इनमें योगी सरकार के एक मंत्री धर्म सिंह सैनी का नाम भी शामिल है. इसके अलावा विधायक विनय शाक्य और मुकेश वर्मा ने पार्टी छोड़ी है. धर्म सिंह सैनी योगी सरकार में आयुष मंत्री हैं, उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्या का बेहद करीबी माना जाता है. सैनी ने गुरूवार को लखनऊ में सपा के मुखिया अखिलेश यादव से भी मुलाकात की है, जिसके बाद उनके समाजवादी पार्टी को जॉइन करने की प्रबल संभावना है.
स्वामी प्रसाद मौर्या के एक और करीबी विनय शाक्य औरया के बिधूना सीट से विधायक हैं, उन्होंने बुधवार 12 जनवरी को भाजपा छोड़ने के संकेत दिए थे. विधायक ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्या उनके नेता हैं और जहां वो कहेंगे, वहां वे जाएंगे. आजतक के मुताबिक उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे पत्र में लिखा है,
"प्रदेश सरकार ने अपने 5 साल के कार्यकाल में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जों नहीं दी गई और न उन्हें उचित सम्मान दिया गया. इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा ही दलितों, पिछड़ों, किसानों व बेरोजगारों नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की भी घोर उपेक्षा की गई है. प्रदेश सरकार के ऐसे कूटनीतिपरक रवैये के कारण मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं. स्वामी प्रसाद मौर्या शोषितों और पीड़ितों की आवाज हैं. वे हमारे नेता हैं, मैं उनके साथ हूं."बीजेपी छोड़ने वाले मुकेश वर्मा फ़िरोज़ाबाद की शिकोहाबाद विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्होंने पार्टी छोड़ते हुए उसी तरह की बातें कही हैं, जैसी स्वामी प्रसाद मौर्या और अन्य नेताओं ने कही थीं. मुकेश वर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने पांच साल के कार्यकाल के दौरान दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को तवज्जों नहीं दी और न उन्हें कोई सम्मान दिया. उन्होंने ने भी आरोप लगाया है कि लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षा की गई. इस वजह से वह भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने कहा,
स्वामी प्रसाद मौर्य शोषित-पीड़ितों की आवाज हैं वह हमारे नेता हैं. मैं उनके साथ हूं.मैंन बीजेपी छोड़ दी है, क्योंकि यहां सुनवाई नहीं हो रही थी. मुझे आज भी बीजेपी बुला रही है, पर अब नहीं जाऊंगा.
मुकेश वर्मा पेशे से सर्जन हैं. शिकोहाबाद विधानसभा से 2012 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन सपा प्रत्याशी ओमप्रकाश वर्मा ने उन्हें 43,994 वोट से हरा दिया. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, अपने निकटम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर संजय कुमार यादव को 10,777 वोटों से हराया. मुकेश वर्मा ने 2017 के विधान सभा चुनाव में 87,851 वोट हासिल किए थे. वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर संजय यादव को 77,074 वोट मिले थे. इससे पहले 12 जनवरी को राज्य के वन, पर्यावरण एवं जन्तु-उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने राज्यपाल को भेजे अपने पत्र में कहा था कि सरकार की पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के साथ-साथ उसने पिछड़ों और दलितों के आरक्षण को लेकर जो खिलवाड़ किया है, उससे आहत होकर वह योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे रहे हैं. दारा सिंह से पहले योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्या और चार बीजेपी विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था. स्वामी प्रसाद और दारा सिंह के सपा में जाने की चर्चा है.Uttar Pradesh: Mukesh Verma, BJP MLA from Shikohabad (Firozabad), resigns from primary membership of the party
"Swami Prasad Maurya is our leader. We will support whatever decision he takes. Many other leaders will join us in the coming days," he says. pic.twitter.com/UAfBBAxftW — ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 13, 2022