राकेश प्रताप सिंह. अमेठी के गौरीगंज से सपा के विधायक, जिन्होंने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के साथ ही अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने का ऐलान किया था. राकेश प्रताप सिंह दो सड़कों का पुनर्निर्माण कराए जाने की मांग को लेकर 31 अक्टूबर से धरना दे रहे थे. इसी क्रम में राकेश प्रताप सिंह 3 नवंबर से आमरण अनशन पर थे.
5 नवंबर को जब लखनऊ में गांधी प्रतिमा के सामने अनशन पर थे तभी मेडिकल टीम पहुंची. मेडिकल टीम ने कहा कि हेल्थ को ध्यान में रखते हुए उन्हें जल्द अनशन तोड़ देना चाहिए. लेकिन पूर्व विधायक नहीं माने. मेडिकल टीम की सलाह के बावजूद राकेश प्रताप सिंह आमरण अनशन खत्म करने को तैयार नहीं थे. बाद में पुलिस प्रशासन ने राकेश को एम्बुलेंस के जरिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया.
आज प्रशासन की ओर से मेडिकल टीम ने मेरा मेडिकल चेकअप किया और सलाह दी कि मुझे अनशन तोड़ना चाहिए, स्वास्थ्य जल्द ही ख़राब हो सकता है लेकिन मैं इस लड़ाई को आख़िरी साँस तक लड़ूँगा…
क्या एक #विधायक के बार-बार आवाज़ उठाने पर भी एक सड़क निर्माण नहीं हो सकता ? ये सरकार सिर्फ़ प्रचार में pic.twitter.com/oQhzrhPlHf— Rakesh Pratap Singh (@rpsmlagauriganj) November 5, 2021
राकेश प्रताप सिंह का कहना है कि पुलिस प्रशासन ने जबरन उन्हें अस्पताल पहुंचाया. इस बारे में उन्होंने ट्वीट किया,
मैं अपने अनशन के पहले दिन से लोकतांत्रिक तरीक़े से अनशन पर था, ना मेरी ओर से ना मेरे समर्थकों की ओर से कोई ऐसा कृत किया गया जिससे सामाजिक संतुलन बिगड़े. शासन व प्रशासन द्वारा मुझे जबरन सिविल अस्पताल लाया गया और मेरे दोनों हाथ बांधकर जबरन ड्रिप लगाई गई. क्या अपनी जनता के लिए आवाज़ उठाना गुनाह है ? क्या हमारे लोकतंत्र में जनहित के लिए कोई जगह नहीं है ? मैं पूछता हूं इस सरकार से.
गई। क्या अपनी जनता के लिए आवाज़ उठाना गुनाह है ? क्या हमारे लोकतंत्र में जनहित के लिए कोई जगह नहीं है ? मैं पूछता हूँ इस सरकार से…@DmAmethi @yadavakhilesh @samajwadiparty @CMOfficeUP @AdminLKO
— Rakesh Pratap Singh (@rpsmlagauriganj) November 5, 2021
रविवार, 31 अक्टूबर को उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को इस्तीफा सौंप दिया था. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि वह अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याएं दूर नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में उनके विधायक बने रहने का कोई मतलब नहीं है. अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा है,
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी दो सड़कें कादू नाला से थौरी मार्ग और मुसाफिरखाना से पारा मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं. पिछले तीन साल से इन दोनों सड़कों के पुनर्निर्माण की मांग का मुद्दा विधानसभा में उठा रहा हूं. इसी साल फरवरी में इन सड़कों के पुनर्निर्माण का काम तीन महीने में पूरा होने का भरोसा दिया गया था. 2 अक्टूबर को मैंने अमेठी के कलेक्टर को ज्ञापन दिया था और बताया था कि अगर 31 अक्टूबर तक सड़क के पुनर्निर्माण का काम शुरू नहीं होता है तो इस्तीफा दे दूंगा. अनिश्चितकाल के लिए अनशन पर चला जाऊंगा. 31 अक्टूबर तक सड़क के पुनर्निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया है, इसलिए अपनी तय घोषणा के मुताबिक पद से इस्तीफा दे रहा हूं.
राकेश प्रताप सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव में एसपी और कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी थे.इससे पहले समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2012 के विधानसभा चुनाव में राकेश प्रताप सिंह गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे.
वीडियो देखें: अमेठी में सड़क बनाने की मांग पूरी नहीं हुई तो विधायक ने इस्तीफा दे दिया!