6 राज्यों के मंत्री नीट और जेईई की तारीखें आगे बढ़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लेकर गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में छह राज्यों के मंत्रियों की याचिका खारिज कर दी. इस याचिका में मंत्रियों ने NEET और JEE परीक्षा टालने की गुहार लगाई थी.
क्या है मामला
परीक्षाएं कराने के आदेश पर पुनर्विचार के लिये छह गैर-भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों ने याचिका दायर की थी. इन राज्यों का कहना था कि अदालत छात्रों के ‘जीने के अधिकार’ को सुरक्षित करने में विफल रही. साथ ही उसने कोविड-19 महामारी के दौरान परीक्षाओं के आयोजन में आने वाली परेशानियों को नजरअंदाज किया है.
राष्ट्रीय परीक्षा एजेन्सी (एनटीए), जो दोनों परीक्षाओं का आयोजन करती है, जेईई मुख्य परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक आयोजित कर रही है. नीट की परीक्षाओं का आयोजन 13 सितंबर को होगा.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने चेंबर में पुनर्विचार याचिका पर विचार किया. आम तौर पर पुनर्विचार याचिकाओं पर पीठ के सदस्य चेंबर में ही ‘सर्कुलेशन’ के जरिए विचार करते हैं. इसमें इस बात का फैसला लिया जाता है कि क्या मामला विचार करने लायक है या नहीं.
शीर्ष अदालत का 17 अगस्त का परीक्षा करने का फैसला एक राजनीतिक मुद्दा बन गया, जब छह गैर-भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने NEET-JEE की परीक्षा को आगे बढ़ाने वाली पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया है.(प्रतीकात्मक तस्वीर- PTI)
इन राज्यों के मंत्री पहुंचे थे कोर्ट
याचिका दायर करने वालों में पश्चिम बंगाल के मलय घटक, झारखंड के रामेश्वर ओरांव, राजस्थान के रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के अमरजीत भगत, पंजाब के बीएस सिद्धू और महाराष्ट्र के उदय रवीन्द्र सावंत शामिल हैं.
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