सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेजुएट होने की बात छुपाकर पंजाब नेशनल बैंक में चपरासी के पद पर भर्ती होने वाले शख्स की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है. साथ ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाई कोर्ट के पहले के दो आदेशों को दरकिनार कर दिया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में बैंक के इस चपरासी की सेवाएं जारी रखने का आदेश दिया था. साथ ही कहा था कि अभ्यर्थी को इस आधार पर उसके पद से वंचित नहीं किया जा सकता है कि उसकी योग्यता ज्यादा है.
क्या है पूरा मामला
पंजाब नेशनल बैंक. देश का जाना-माना बैंक. इस बैंक ने साल 2016 में चपरासी पद की नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली थी. इसके लिए विज्ञापन जारी किया गया था. विज्ञापन में लिखा था कि चपरासी पद के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति ग्रेजुएट नहीं होना चाहिए. बस उसे अंग्रेजी पढ़ने-लिखने आती हो और साथ ही 12वीं पास या उसके समकक्ष पढ़ाई करने वाले इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं.
इस पद पर कई लोगों की नियुक्ति हुई. उसमें से एक थे अमित कुमार दास. बैंक ने अमित की नियुक्ति यह कहते हुए रद्द कर दी कि वह ग्रेजुएट हैं. यानी चपरासी पद के लिए जितनी योग्यता मांगी गई थी, अमित उससे अधिक योग्यता रखते हैं. बैंक का कहना है कि यह बात अमित ने छुपाई थी.
इसके खिलाफ अमित ने उड़ीस हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में लिखा था कि अधिक योग्यता के आधार पर नियुक्ति रद्द करना गलत है, उन्हें चपरासी की नौकरी वापस दी जाए. हाई कोर्ट ने भी अमित की बातों को सही कहा था. हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर, 2016 को अपने फैसले में कहा था कि अधिक योग्यता से नियुक्ति रद्द नहीं होती, अमित इस पद पर बने रहेंगे. लेकिन बैंक ने बर्खास्तगी का फैसला बरकरार रखा था. इसके खिलाफ अमित दास ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
जस्टिस अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की बेंच ने अमित की सेवाएं समाप्त करने के पंजाब नेशनल बैंक के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा-
“महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने या गलत जानकारी देने वाला अभ्यर्थी सेवा में बने रहने का दावा नहीं कर सकता है. अमित ने योग्यता को चुनौती देने की बजाय अपनी योग्यता छिपाते हुए नौकरी के लिये आवेदन किया था. उसे चपरासी के पद पर अपना काम करते रहने का निर्देश देकर उच्च न्यायालय ने भी गलती की. जानकारी छुपाने और गलत जानकारी देने से कर्मचारी के चरित्र पर भी प्रभाव पड़ता है.”
कोर्ट ने आगे कहा-
“किसी पद के लिए शैक्षिक योग्यता उस संस्था या उद्योग की जरूरतों और हितों को देखते हुए तय की जाती है. इन योग्यताओं को तय करने का काम कोर्ट का नहीं है.”
“अमित ने चपरासी के पद के लिये आवेदन किया, लेकिन इसमें यह जानकारी नहीं दी कि उसने 2014 में ही ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर ली थी. उसने सिर्फ 12वीं पास होने का ही जिक्र किया था. उसके इस शरारतपूर्ण कृत्य से एक अन्य योग्य व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल सकी.”
(ये स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे बृज द्विवेदी ने लिखी है)
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