14 मार्च, 2018 को स्टीफन हॉकिंग नहीं रहे. हमारे वक्त के सबसे बड़े वैज्ञानिक.
वो नहीं रहे, लेकिन उनकी कही बातें हमारे बीच हमेशा रहेंगी. उन्होंने कुछ कहा था, जो आदमजात के लिए एक चेतावनी जैसी है. नवंबर 2017 में उनके कहने पर हमने जो लिखा था, वो पढ़िए:
एक गेंद लीजिए. उसके चारों ओर गोल घुमाकर कपड़ा बांध दीजिए. फिर उसको पेट्रोल में डुबो दीजिए. वैसे ही जैसे बाटी को घी में डुबोते हैं. अब उस गेंद में आग लगा दीजिए. गेंद के ऊपर-नीचे, हर कोने में आग लग जाएगी. वो जो होगा, उसे कहेंगे आग का गोला. 600 साल के अंदर धरती ऐसी ही आग का गोला बन जाएगी. कुछ ऐसा ही कहा है दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाने वाले स्टीफन हॉकिंग ने.
खुद देख लीजिए, कितनी जल्दी बीत जाते हैं 600 साल
आपको शायद 600 साल दूर लगेंगे. मगर बता दें कि वक्त बहुत जल्दी बीतता है. वो भंसाली की फिल्म है न पद्मावती. उसमें रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी बने हैं. पता है, अलाउद्दीन कब पैदा हुआ था? 1296 में. 720 साल पहले. बहुत वक्त बीत गया क्या उस बात को? साल 1492. वो साल, जब क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका को खोजा था. बहुत वक्त बीत गया क्या? अच्छा चलो, वो सब छोड़ो. दिल्ली का लोदी गार्डन जानते हैं? उसको बनवाया था इब्राहिम लोदी ने. साल था 1517. कहने को 500 साल हो गए. मगर इतिहास में देखो, तो क्या बहुत वक्त हो गया क्या उस बात को? विज्ञान मानता है कि इंसान की औसत उम्र 79 साल है. ऐसे जोड़ो, तो हमारी आठ पीढ़ियां. वक्त का क्या है. वो तो ऐसे ही चीते की तरह कूदता हुआ निकल जाता है.

स्टीफन हॉकिंग ने हम सबका, हमारी दुनिया का भविष्य देख लिया है
आज की तारीख में दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक कौन? स्टीफन हॉकिंग. नजूमी मालूम है? जो भविष्य देखता है. हॉकिंग साहब विज्ञान के नजूमी हैं. पहले क्या हुआ, आगे क्या होगा, ये सब बताते रहते हैं. क्या दिमाग है उनका. शरीर नहीं चलता. मगर दिमाग दौड़ता है. हमसे और आपसे कहीं ज्यादा दौड़ता है. ग्रहों, तारों और आसमानी चीजों पर दिन-रात काम करते हैं. उनके होने का ये फायदा है कि हमको मालूम चल जाता है. कि आज से 100 साल बाद और उसके भी बाद, ये दुनिया कैसी दिखेगी. कैसे रहेगी. थोड़ा संतोष रहता है. सोचते हैं, चलो. अपन लोग सही टाइम पर निकल लेंगे. उतना भोगने के लिए कौन बचा रहेगा? अब एक बार फिर स्टीफन हॉकिंग ने वॉर्निंग दी है. आप पूछेंगे कि ऐसा क्यों होगा? ऐसा होगा धरती की बदलती हालत के कारण. आबादी बहुत बढ़ती जा रही है. जंगल कट रहे हैं. इंसान अपनी जरूरतों के लिए धकाधक ईंधन इस्तेमाल कर रहा है. इस सबसे हमारी धरती तपती जा रही है. क्लाइमेट चेंज बड़ी तेजी से इसका हुलिया बिगाड़ रहा है. ऐसे ही बिगड़ते-बिगड़ते शायद एक दिन वो भी दिन आएगा, जब हॉकिंग की भविष्यवाणी सही साबित हो जाएगी.

600 साल के भीतर-भीतर खत्म हो जाएगी इंसान की जात!
हॉकिंग ने बताया है. जब धरती आग का गोला बन जाएगी, तब इंसान क्या, इंसान की जात ही खत्म हो जाएगी. वैसे ही जैसे डायनासॉर लुप्त हो गए. हॉकिंग कई साल से चेता रहे हैं. कवि लिखते हैं अपनी कविताओं में. नई दुनिया बसाएंगे. हॉकिंग कह रहे हैं, इसे सच करो. इंसानों को अपने लिए नई दुनिया बसानी होगी. कहीं किसी और ग्रह पर. अगर ऐसा नहीं किया, तो कोई नहीं बचेगा. धरती के सहारे बैठे रहे, तो सब मारे जाएंगे. कारण ये कि धरती खुद ही झुलस जाएगी. जीने के लायक ही नहीं रहेगी. हॉकिंग ने ये सब देख लिया है. विज्ञान के चश्मे से. सो कह रहे हैं, ऐसी जगह चलो जहां पहले कोई न गया हो. मतलब, चांद के पार चलो. मंगल पर. या कहीं और. कोई ऐसा ग्रह खोजो, जो धरती जैसा हो. जहां रहा जा सके.

तभी तो हॉकिंग कह रहे हैं, चांद के पार चलो
हॉकिंग एक छोटा सा अंतरिक्षयान भी बना रहे हैं. जो इतना तेज होगा, इतना तेज कि कुछ ही सालों में हमारी आकाशगंगा के अड़ोस-पड़ोस की टोह ले आएगा. इतना तेज कि एक घंटे से भी कम टाइम में मंगल पहुंच जाएगा. इसका नाम है नैनौक्राफ्ट. इसको ब्रह्मांड में ताका-झांकी के लिए भेजा जाएगा. धरती जैसा कोई ग्रह खोजने. जो बसने के मुफीद हो. जहां पानी हो. ऑक्सीजन हो. जीवन के निशान हों. हम ‘मिल्की-वे’ आकाशगंगा में रहते हैं. हमारे पड़ोस में है अल्फा सेंटोरी. सबसे नजदीकी स्टार सिस्टम. हमारे और उसके बीच करीब 40,000,000,000,000 किलोमीटर की दूरी है. यानी, 40 खरब किलोमीटर दूर. बस 20 साल के अंदर हॉकिंग का ये नैनोक्राफ्ट अल्फा सेंटुरी पहुंच जाएगा. वैज्ञानिकों को लगता है, वहां पक्का कोई ग्रह होगा. जीवन वाला. हमारी तरह. ऐसा हो गया, तो एक पूरी पीढ़ी मरने से पहले अल्फा सेंटूरी की तस्वीरें देख लेंगी. हो सकता है वो ऐलियन वाली पहेली भी सुलझ जाए.
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