किसान भले ही सड़कों पर कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार से लड़ रहे हैं, लेकिन राजनीति करने वाले अपनी राजनीति में लगे हैं. शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रेसिडेंट सुखबीर सिंह बादल ने दावा कर दिया है कि दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान जिन 54 लोगों की मौत हुई, उनमें से 40 अकाली दल से ताल्लुक रखते थे. हालांकि सुखबीर के दावों को किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने ही नकार दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि अकालियों को हमने मरने वाले किसानों के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं होने दिया था.
‘SAD किसान आंदोलन में सक्रिय है’
द इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रेसिडेंट सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए चल रहे आंदोलन में काफी सक्रिय हैं. उन्होंने कहा-
“हमारे आम कार्यकर्ता दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. SAD वर्करों के रूप में नहीं बल्कि किसानों के रूप में. पार्टी के 65 चुनाव प्रभारी दिल्ली में हैं. हमारे युवा अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर एक तम्बू शहर बनाया है. उनमें से कई ब्लॉक और गांव स्तर पर पार्टी के पदाधिकारी हैं.”
सुखबीर ने आगे कहा,
“दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) ने नियमित रूप से किसानों के लिए लंगरों का आयोजन किया है, उनके रहने की व्यवस्था कर रखी है. कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा SAD की कोर कमेटी मेंबर हैं, लेकिन सेवादार की तरह सीमाओं पर काम कर रहे हैं, न कि नेता के रूप में.
हम किसानों के आंदोलन का पूरी तरह से समर्थन करते हैं. मैंने अपने कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में सीमाओं पर जाने की सलाह दी है ताकि कानून निरस्त हो सकें. वास्तव में, यह न केवल किसानों का आंदोलन है, बल्कि डॉक्टरों, वकीलों, NRI का भी है. संक्षेप में कहें तो हर समुदाय के लोग किसानों का समर्थन कर रहे हैं. सरकार को लोगों की भावनाओं को समझना चाहिए और इन कानूनों को निरस्त करना चाहिए.”
अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि उनकी पार्टी सक्रिय रूप से किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रही है. उन्होंने बीजेपी पर लोगों की बांटने की राजनीति करने का आरोप भी लगाया.
किसान नेता बोले, अलग धरना करके देख लें
द इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक, सुखबीर के दावों से किसान यूनियन के नेता भौंचक्के हैं. बीकेयू (उग्राहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि मेरे लिए यह खबर है कि मृतकों में से 40 SAD कैडर के हैं. कुछ किसान एक विशेष पार्टी के मतदाता हो सकते हैं लेकिन आप मतदाताओं को कैडर नहीं कह सकते. उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक दलों की मजबूरी है कि उन्हें अपना वोट बैंक बचाए रखने के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ आना पड़ रहा है. सुखबीर के दावे की तरफ इशारा करते हुए सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा-
अगर राजनीतिक दलों को किसानों की इतनी ही चिंता है तो वे दिल्ली की किसी सीमा पर एक अलग धरना करके देख लें. पता चल जाएगा कितना समर्थन मिलता है.
बीकेयू (दकौंडा) के महासचिव और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी सदस्य जगमोहन सिंह पटियाला का कहना है-
हम इस तथ्य से सहमत नहीं हैं कि दिल्ली की सीमा पर जान गंवाने वाले 40 किसान SAD कैडर से थे. उनके नेताओं को तो किसानों के भोग समारोह में बोलने की भी अनुमति नहीं है. ऐसे ही मामले में 15 दिसंबर को परिवारों ने SAD के महासचिव प्रेम सिंह चंदूमाजरा को भोग समारोह में बोलने की अनुमति नहीं दी थी.
बता दें कि किसान इस बात से भी नाराज हैं कि जब कृषि अध्यादेश लाया गया था, तब केंद्र में बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार में शिरोमणि अकाली दल के कोटे से हरसिमरत कौर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री थीं. हालांकि कानून बनने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
बहरहाल, SAD नेता सुखबीर सिंह बादल ने भले ही किसानों के समर्थन की बात की हो, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें भाजपा से अलग होने का पछतावा है? तो वह बोले- मैं इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. हालांकि उन्होंने कहा कि बीजेपी लोगों को बांटने का खेल खेल रही है. किसानों को आतंकवादी, शहरी नक्सली कहकर पंजाब की शांति में खलल डालने के लिए बयान जारी कर रही है. इस तरह वो लोगों को एक विशेष वर्ग और धर्म के वोटों की तरह देखकर निशाना बनाते हुए उकसा रहे हैं. जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते. यही कारण है कि मैंने बीजेपी को असली टुकड़े-टुकड़े गैंग कहा है.
वीडियो – ग्राउंड रिपोर्ट: प्रदर्शनकारी किसानोंं ने बताया, किस वजह से कांग्रेस और अकाली दल से नाराज़ हैं