लक्ष्मण झूला. अगर आप कभी ऋषिकेश गए होंगे तो पता ही होगा ये क्या जगह है. लोग अक्सर लक्ष्मण झूला पुल से गंगा नदी पार करते हैं. कई लोग पैदल तो कुछ लोग बाइक से इस पुल पर चलते थे. सस्पेंशन पुल है. यानी यह पुल सामान्य पुल की तरह खंभे पर नहीं टिका है. बल्कि केबल पर टिका है. पुल ब्रिटिश जमाने का है. लगभग 90 साल पुराना. लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है. यानी अगर आप ऋषिकेश जा रहे हैं या जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो इस पुल का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
Rishikesh: Administration today ordered to temporarily stop public movement on ‘Lakshman Jhula’, citing its dilapidated condition. #Uttarakhand pic.twitter.com/xLVho5KDPp
— ANI (@ANI) July 12, 2019
क्यों बंद हो रहा है पुल?
12 जुलाई 2019, उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से एक आदेश जारी किया गया. लक्ष्मण झूला पुल को बंद किया जा रहा है. पुल पुराना हो गया था. इसकी उम्र भी पूरी हो गई है. विशेषज्ञों की टीम ने सुझाव दिया था कि इसे बंद कर दिया जाए. क्योंकि अब यह और भार नहीं सह सकता है. पुल के ज्यादातर हिस्से कमजोर हो गए हैं. कभी भी गिर सकते हैं. ये भी कहा गया कि हाल फिलहाल में इस पुल पर आने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई थी. और यह एक तरफ झुक रहा था. ऐसे में इसका इस्तेमाल करने वाले लोग कभी भी हादसे का शिकार हो सकते थे. इसलिए इसे बंद किया जा रहा है.
लक्ष्मण झूला 450 फीट लंबा झूलता पुल है. पुल टिहरी जिले के तपोवन गांव को नदी के पश्चिमी तट पर स्थित पौड़ी जिले के जोंक से जोड़ता है. ऋषिकेश आने वाले लोग अक्सर इस झूले पर तस्वीर लेते हैं. शुरू में यह जूट का बना एक पुल था जिसे बाद में लोहे का बनाया गया. कहा जाता है कि रामायण के महत्वपूर्ण पात्र लक्ष्मण ने इसी जगह पर जूट की रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था.
17 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है. भारी संख्या में कांवड़िये ऋषिकेश भी पहुंचेंगे. लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से लोगों को तो परेशानी होगी ही, प्रशासन को भी दिक्कत हो सकती है. अधिकारियों को लक्ष्मण झूला का विकल्प खोजना होगा. हालांकि यह कंफर्म नहीं है कि इसे कुछ समय के लिए बंद किया गया है या हमेशा के लिए.
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